एक्सक्लूसिव

एक्सक्लुसिव:नगर निगम देहरादून के कूड़ा उठान घपले की जाँच में आख्या में ख़ुलासा जाँच टीम द्वारा की गयी लीपापोती

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी 

नगर निगम देहरादून के कूड़ा उठान घपले की जाँच आख्या में ख़ुलासा जाँच टीम द्वारा की गयी लीपापोती क्योंकि ट्रैक्टर ट्रॉलीयों से संबंधित दी गयी जाँच आख्या में दोषियों को बचाने की पूरी कोशिश की गयी हैं ।
संपूर्ण वाक्या इस प्रकार है कि भाजपा पार्षद भूपेन्द्र कठैत ने दस्तावेजों के साथ कूड़ा उठान हेतु किराए पर लगाए गए ट्रैक्टर ट्रॉलियों से सम्बंधित टेंडर में निगम के ही पार्षदो पर आरोप लगाया कि नगर निगम के पार्षदों के एक सिंडिकेट ने फर्जी/डमी ठेकेदार के जरिए टेण्डर हासिल किया है और टेंडर की शर्तों में 45 ट्रैक्टर ट्रॉली लगाना अनिवार्य है जबकि टेंडर की शर्तों के विपरीत मात्र 30 ट्रैक्टर ट्रॉली ही चलन में है । ट्रैक्टर ट्रॉली वाले दो ही फेरे लगा रहे हैं और भुगतान किया जा रहा है उनको चार फेरों का पार्षद की इस बहुत ही गंभीर मामले में शिकायत के बाद वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी,अपर नगर आयुक्त और निगम के सहायक लेखाकार द्वारा मामलें की जाँच की गयी और दिनाँक 20-10-2020 को नगर आयुक्त को जाँच से संबंधित आख्या दी गयी।

 

नगर निगम देहरादून के स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी ट्रैक्टर ट्रालीयों से कूड़ा उठान से संबंधित ई निविदा की शर्तों की बिंदु संख्या 9 में अंकित किया गया है कि प्रत्येक ट्रैक्टर-ट्राली को प्रतिदिन कम से कम 4 फेरे करने अनिवार्य हैं और इस बिंदु की जांच आख्या में टीम द्वारा अंकित किया गया है कि रजिस्टर की जांच में पाया गया कि अधिकतर ट्रैक्टर ट्रालीयों द्वारा तीन चक्कर ही लगाए जा रहे हैं । अब प्रश्न यह है कि जब निविदा में चार चक्कर रोजाना लगाने अनिवार्य किए गए हैं तो तीन चक्कर लगाने पर इस संबंध में कार्यवाही क्यों नहीं की गई ।


निगम की निविदा के बिंदु संख्या 14 की शर्त यह है कि निविदा दरों के साथ ठेकेदार को वाहन का इंश्योरेंस पंजीकरण एवं चालक के लाइसेंस/इंश्योरेंस की छाया प्रति संलग्न करना अनिवार्य है भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत द्वारा भी अपनी शिकायत में लिखा गया हैं कि अगर 30 गाड़ियां चल रही है तो उन गाड़ियों का नंबर बताने का कष्ट करें साथ ही ट्रैक्टर ट्रालीयों की फिटनेस कमर्शियल टैक्स परमिट व इंश्योरेंस की कॉपी सार्वजनिक करने हेतु लिखा गया हैं । जांच टीम द्वारा इस संबंध में भी पूरी तरह से लीपापोती की गई है क्योंकि जांच टीम जांच आख्या में स्पष्ट है कि 30 गाड़ियां चल रही है परंतु जांच टीम द्वारा अपनी जाँच आख्या में सार्वजनिक की गई सिर्फ 19 ट्रैक्टर ट्रॉलियों की इंश्योरेंस । सवाल यह है कि जब 30 ट्रैक्टर ट्रॉली संचालित हो रही हैं तो बाकी की 11 ट्रैक्टर ट्रॉली की इंश्योरेंस कहां गायब हो गई ।
सबसे बड़ा सवाल जाँच टीम द्वारा अपनी जाँच में अंकित किया गया है कि फिटनेस,कमर्शियल टैक्स एवं परमिट निविदा शर्तों में सम्मिलित नहीं है इसका मतलब यह हुआ कि कूड़ा उठान की निविदा जारी करने में भी बड़ा खेल हुआ हैं क्योंकि निविदा में अंकित है कि ( प्राइवेट ट्रैक्टर ट्रॉली से कूड़ा उठान हेतु निविदा की शर्तें ) । जबकि जो ट्रैक्टर ट्रॉलीयां निगम में कूड़ा उठान हेतु लगी है निविदा की शर्तों में उनका फिटनेस,कमर्शियल टैक्स तथा फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य होना चाहिए था क्योंकि ट्रैक्टर ट्रॉली वाले अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से अपने घर का काम नहीं कर रहे बल्कि निगम से कूड़ा उठान का कार्य कर धन अर्जित कर व्यावसायिक कार्य कर रहे हैं । इसलिये जितनी भी ट्रैक्टर ट्रॉलीयां निगम में कूड़ा उठान हेतु लगी है उनकी जाँच होनी चाहिये कि परिवहन कार्यालय से इनकी फ़िटनेस हो रखी है या नही और ये कमर्शियल टैक्स की चोरी कर सरकार को नुकसान तो नही पहुंचा रहे और इन ट्रैक्टर ट्रॉलियों की फर्स्ट पार्टी इश्योरेंस हैं या नही क्योंकि अगर इनसे कोई दुर्घटना होती हैं तो इसकी भरपाई कैसे होगी और सबसे बड़ा सवाल 30 ट्रैक्टर ट्रॉलियों में से 11 के दस्तावेज़ कहा गायब हो गए ।