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उत्तराखंड:देहरादून में मिलावटी जानलेवा हैंड सैनिटाइजर मामले में रिपोर्ट दर्ज करने हेतु थाने में दी तहरीर डीजीपी डीआईजी को भी भेजी शिकायत

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

हैंड-सैनिटाइजर को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपेक्स संस्था के सचिव ब्रिजमोहन शर्मा का बहुत ही बड़ा खुलासा बाजारों में बिक रहा हैंड-सैनिटाइजर गंभीर बीमारियों से लेकर जानलेवा तक हो सकता है, 56 फीसदी सैनिटाइजर मानकों पर खरे नहीं कोरोना मामलें भी शायद इसीलिये बढ़े हैं।


समस्त प्रकरण यह हैं कि स्पेक्स संस्था के राज्य भर में चलाए गए सैनिटाइजर जांच अभियान में 56 फ़ीसदी नमूने फेल पाए गए हैं उत्तरांचल प्रेस क्लब में बुधवार दिनांक 4-8-2021 को प्रेस वार्ता में संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि आपदा में कैसे कुछ लोगों ने इसे अवसर बना डाला है।


स्पेक्स संस्था ने मई-जून में उत्तराखंड के सभी जिलों में सेनेटाइजर टेस्टिंग अभियान -2021 चलाया जिसमे 1050 नमूने एकत्र किये जिसमे 578 नमूनों में एलकोहॉल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। कोरोना महामारी से बचने का मूल मंत्र भारत सरकार एवम अन्य स्वस्थ सम्बन्धी संस्थाओ ने यही समझाया की दिन में बार-बार एलकोहॉल वाले सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करने से कोरोना जैसे वायरस से बचाव संभव है । इस सुझाव के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ गयी और कुछ लोगो ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सेनेटाइजर बाजार में बेचने शुरू कर दिए । इस प्रक्रिया को समझने के उद्देश्य से स्पेक्स ने अपने साथियो के साथ मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक अध्ययन 3 मई से 5 जुलाई ,2021 तक किया गया । नमूनों में एलकोहॉल परसेंटेज के साथ साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड ,मेथेनॉल और रंगो की गुणवत्ता का परिक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया। यह प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ,भारत सरकार ने प्रदान की थी।


सेनेटाइजर में एलकोहॉल की प्रयाप्त मात्रा नहीं होने के कारण भी उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या शायद बढ़ी हो,कृत्रिम रंग आपकी त्वचा पर जो विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, वे आपकी संवेदनशीलता और जलन के जोखिम को बहुत बढ़ा देते हैं और इन रसायनों को आपके शरीर में अवशोषित होने देते हैं जहां वे और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे आपके छिद्रों को भी अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे मुंहासों का अधिक खतरा होता है।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड भी लिपिड प्रति ऑक्सीकरण के माध्यम से एक सीधा साइटोटोक्सिक प्रभाव डाल सकता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड के अंतर्ग्रहण से मतली, उल्टी, रक्तगुल्म और मुंह से झाग के साथ जठरांत्र संबंधी मार्ग में जलन हो सकती है; फोम श्वसन पथ को बाधित कर सकता है या फुफ्फुसीय आकांक्षा में परिणाम कर सकता है।
मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे डर्मेटाइटिस हो सकता है। तीव्र मेथनॉल एक्सपोजर के लक्षणों में सिरदर्द, कमजोरी, उनींदापन, मतली, सांस लेने में कठिनाई, नशे, आंखों में जलन, धुंधली दृष्टि, चेतना की हानि और संभवतः मृत्यु शामिल हो सकती है।
इस संवाददाता द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए इस प्रकरण के संबंध में मुकदमा दर्ज करने हेतु इसकी तहरीर थाना नेहरू कॉलोनी देहरादून में दी है क्योंकि मेरा आवास थाना नेहरू कॉलोनी देहरादून क्षेत्र में स्थित है। इसके साथ ही इस शिकायत की प्रति मेरे द्वारा पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड और पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल रेंज उत्तराखंड को भी की गई है और लिखा गया है कि यह एक बहुत ही गंभीर ओर स्पष्ट रूप से आमजनता की जनहानि से जुड़ा हुआ मामला है क्योंकि कोरोना बीमारी के कारण लाखों लोगों की असमय मृत्यु हो गयी हैं और आगे भी स्थिति बहुत ही चिंताजनक हैं क्योंकि आमजनता विश्वास कर दुकानों से हैंड सैनिटाइजर खरीद रही है कि इसके प्रयोग से हम सुरक्षित रहेंगे परंतु जब हैंड सैनिटाइजर ही नकली होगा तो लोग कोरोना का शिकार होने से कैसे बचेंगे। उत्तराखंड के बाजारों में बिकने के लिए हैंड-सैनिटाइजरों के ढेर लगे हुए हैं और कुछ पत्थर दिल लोग एक अपने फायदे के लिए आपदा को भी अवसर बनाने से नहीं चूक रहे हैं।इसलिये जनहित न्यायहित में जहां-जहां हैंडसैनिटाइजर बिक रहे हैं और और जो-जो व्यक्ति बेच रहे हैं तथा जिस-जिस विभाग के पास हैंड सैनिटाइजर चेक/टेस्ट करने की जिम्मेदारी है उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया जो इसी कार्य के लिए भर्ती हैं और वेतन ले रहे हैं इन्ही की यह जानलेवा घोर लापरवाही है कि सरकारी विभाग ने कोई टेस्ट हैंड सैनिटाइजर के नहीं किए उनके संरक्षण में ही मिलावटी हैंड सैनिटाइजर विक्रय किए जा रहे हैं। उस काम को बृजमोहन शर्मा विशेषज्ञ ने किया है बृजमोहन शर्मा ने 1050 नमूनों में से 578 लगभग 56% नमूने फेल पाए हैं इसलिये संबंधित विभाग के दोषी व्यक्तियों एवं जिन विक्रेताओं के हैंड सैनिटाइजर के नमूने फेल पाए गए हैं उनके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही की जाये ।

साथ ही आमजनता के स्वास्थ्य, जीवन से जुड़े इस मामलें में अगर रिपोर्ट दर्ज करने में या कार्यवाही करने में लापरवाही बरती जाती है इसकी शिकायत राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से लेकर उच्च न्यायालय तक में की जाएगी।