एक्सक्लूसिव

लॉकडाउन में वेतन मिलने के बाद भी कई लोकसेवकों ने स्कूल कॉलेजों की फीस नहीं दी दून के नेहरुकालोनी के ही 1स्कूल में सरकारी टीचर के 5 बच्चें की लाखों की फ़ीस बकाया आयोग ने की कार्यवाही

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी 

लॉकडाउन में वेतन मिलने के बाद भी कई लोकसेवकों ने स्कूल कॉलेजों की फीस नहीं दी दून के नेहरुकालोनी के ही 1 स्कूल में सरकारी टीचर के 5 बच्चें की लाखों की फ़ीस बकाया मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड ने की कार्यवाही।
सम्पूर्ण मामला इस प्रकार हैं कि कोरोना महामारी के बाद काफ़ी समय पश्चात उत्तराखंड राज्य के प्राइवेट स्कूल/कॉलेज खुल गए हैं तथा जिन लोकसेवकों सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों/कॉलेजों में पढ़ रहे हैं उनमें से अभी भी कईयों द्वारा स्कूल, कॉलेज की फ़ीस नहीं दी गयी हैं हैं जबकि कोरोना काल में इन लोकसेवकों को सरकार द्वारा वेतन दिया जाता रहा हैं।
इस अत्यन्त ही जनहित से जुड़े प्रकरण पर देहरादून के नेहरुकालोनी निवासी समाजसेवी नरेश कुमार ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि पिछले वर्ष मार्च 2020 से लॉकडाउन होने के पश्चात से वर्तमान तक भी लोकसेवकों द्वारा लॉकडाउन के दौरान वेतन मिलने के बावजूद भी उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल,कॉलेज की फीस नहीं दी गयी हैं परंतु इन लोकसेवकों को वेतन मिल रहा था तो अपने बच्चों की फीस देनी चाहिए थी यह तो उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल,कॉलेज वालों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं क्योंकि जब लोकसेवक भी फीस नही देंगे तो कैसे स्कूल चलेंगे क्योंकि प्राईवेट व्यापार नौकरी वाले भी कई अभिभावक कोरोना समय में हुई तंगी के कारण फीस नही दे रहे हैं इसलिये इस संबंध में कार्यवाही करने की कृपा करें ।
मानव अधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी लोकसेवक जिन्होंने पिछले वर्ष लॉकडाउन शुरू होने से वर्तमान तक प्राइवेट स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले अपने बच्चों की वेतन मिलने के बावजूद भी फीस नहीं दी है। उनके विरुद्ध कार्यवाही हेतु जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश जारी किए गए हैं।


उदाहरण हेतु उत्तराखंड के जिला देहरादून के नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में स्थित एक स्कूल में सरकारी इंटर कॉलेज में कार्यरत लेक्चरार द्वारा पिछले वर्ष लॉकडाउन शुरू होने से वर्तमान तक अपने 5 बच्चों की फीस नही दी हैं जो लगभग रु 2 लाख से ऊपर हैं तथा इसी स्कूल में इसी तरह कुछ और भी लोकसेवक हैं। जिन्होंने अपने बच्चों की लॉकडाउन शुरू होने से अब तक अपने बच्चों की फीस नही दी हैं।


यह तो मात्र उत्तराखंड देहरादून के एक स्कूल का उदाहरण था बाकी उत्तराखंड राज्य के अन्य स्कूल कॉलेजों की भी यही स्थिति हो सकती है क्या यह स्कूल कॉलेज वालों के मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन नहीं है आखिर कब होगी ऐसे लोकसेवकों पर कार्यवाही जिन्होंने लॉकडाउन की अवधि में वेतन मिलने के पश्चात भी स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले अपने बच्चों की फीस नहीं दी है।
सामाजिक कार्यकर्ता नेहरू कॉलोनी निवासी नरेश कुमार जिनके द्वारा व्यापक जनहित में यह शिकायत की गई है वह पूर्व में भी उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में जनहित में याचिका दायर करने से लेकर जनहित के कई मामलों को उठा चुके हैं।
साथ ही नरेश कुमार इसी प्रकरण में मानव अधिकार आयोग उत्तराखंड में पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं कि समस्त उत्तराखंड हेतु इस संबंध में जनहित में कार्यवाही की जाए क्योंकि देहरादून के अलावा उत्तराखंड के अन्य स्कूल कॉलेजों में भी यह स्थिति हो सकती है वह इसलिए क्योंकि मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा सिर्फ देहरादून के स्कूल कॉलेजो के संबंध में कार्यवाही हेतु जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश जारी किए गए हैं ।