खुलासा

देहरादून:मैक्स अस्पताल ने कोरोना ईलाज के नाम पर वसूले रु 17 लाख जिन डॉक्टरों ने ईलाज नही किया उनके बिल भी जोड़े डीजीपी के आदेशों के बाद मुक़दमा दर्ज

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

देहरादून: कोरोना संक्रमित मरीज के ईलाज के लिए निर्धारित से अधिक फीस लेने संबंधी शिकायत पर एसएसपी ओर राजपुर थाना पुलिस द्वारा कार्यवाही ना करने पर महानिदेशक अशोक कुमार के आदेश के बाद देहरादून के राजपुर थानें में मसूरी डायवर्जन स्थित मैक्स अस्पताल, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और पांच डॉक्टरों डा. प्रीति शर्मा, डा. पुनीत त्यागी, डा. वैभव छाजर, डा. चंद्रकांत, डा. बिपेश उनियाल सहित अस्पताल स्टाफ़ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है ।

मामला इस प्रकार है कि मैक्स अस्पताल के विरुद्ध देहरादून निवासी विशाल अग्रवाल निवासी एकता एवेन्यू नालापानी द्वारा पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से शिकायत की गयी कि उनकी माता सावित्री देवी को कोरोना संक्रमण होने पर 23 अप्रैल 2021 को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था ओर कुछ दिन बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई। उनका आरोप है कि निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी दो जून को डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनकी माता जी का निधन हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने उनसे इलाज के नाम पर रु 17 लाख रुपये वसूल लिए, जो निर्धारित शुल्क से काफी अधिक थे ओर उन डॉक्टरों की विजिटिंग फीस भी वसूल की गई जिनके द्वारा उनकी माता जी का ईलाज भी नहीं किया। शिकायतकर्ता विशाल का कहना है कि इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की ओर से भी की जा चुकी है हालांकि अस्पताल ने उन्हें अतिरिक्त धनराशि नहीं लौटाई।
मैक्स अस्पताल की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा तो देखिए उन डॉक्टरों की विजिटिंग फीस भी वसूल की गई जिनके द्वारा कोरोना मरीज़ का ईलाज भी नहीं किया।
दूसरी ओर इतने गंभीर मामलें में पुलिस के हाल भी देख लो शिकायतकर्ता विशाल का यह भी आरोप है कि उन्होंने इस मामले में राजपुर थाना पुलिस और एसएसपी से शिकायत की थी, लेकिन दोनों ही जगह से कोई कार्यवाही नहीं की गई इसलिये पुलिस महानिदेशक से गुहार लगानी पड़ी ओर उनके आदेशों के बाद मुकदमा दर्ज किया गया ।

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  1. देहरादून की चिकित्सा व्यवस्था जहां विकास के साथ प्राइवेट बड़े कॉरपोरेट चिकित्सालयों के आने से सुधारी जरूर है परंतु आम आदमी के स्वास्थ्य हेतु राजकीय चिकित्सालय में कोई सुधार या विकास हुआ है या नही यह चिंता का विषय तो है ही कटपय निजी चिकित्सालयों के द्वारा जिस प्रकार मरीजों के शोषण किए जाने की नित्य घटनाएं प्रकाश में आ रही है उस पर तत्काल अंकुश लगाए जाने की जरूरत है। कुछ प्रमुख बिंदु जिन पर स्टेट मेडिकल काउंसिल एवम सरकार को तत्काल कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए निम्बवत है:
    1. आवश्यक रूप से केवल जेनेरिक दवाएं ही चिकत्सक सरकारी अस्पतालों में। तो हर दशा में हर समय लिखी जाएं ताकि मरीजों जा खर्च 1/5 से भी कम हो जाए। अब ये दवाएं सहर मैं पर्याप्त एवम कई जगह उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य विभाग इस की भारीi पब्लिसिटी करे।
    2. हर प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रमुखता से इलाज के खर्च प्रत्येक आइटम के सूचना पट पर प्रकाशित हों।
    3. चिकत्सकों के कंडक्ट तथा इथिक्स के प्रकरणों पर स्टेट मेडिकल काउंसिल दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्यवाही करे।
    4. सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं बड़े स्तर पर सुदृढ की जाएं और चिकित्सकों को जेनेरिक दवा न लिखने पर दंड की व्यवस्था हो।
    5. इसके अतिरिक्त अनेकों स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं पर डे टू डे रूप से सरकार को तकनीक इनपुट या तो विभाग नियमित रूप से दे या पब्लिक रियोरेजेंटेटिव नियमित रूप से विभाग के अस्पतालों और निजी संस्थाओं की गतिविधियों पर नजर रखे.

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