खुलासा

उत्तराखंड:पौड़ी,यमकेश्वर के सिरासू प्री-वैडिंग स्थल पर शूट के लिए काटी जाती हैं रु एक हजार की रसीद लेकिन सुविधाओं के नाम पर पर्यटकों को वहां मिलता है शून्य

राजेश शर्मा 

उत्तराखंड:पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर क्षेत्र के सिरासू प्री-वैडिंग स्थल पर शूट के लिए काटी जाती हैं रु एक हजार की रसीद लेकिन सुविधाओं के नाम पर पर्यटकों को वहां मिलता है शून्य,
हैरानी वाली बात यह है कि प्री-वैडिंग शूट के लिए युगल जोडों के लिए कपडे बदलने का कोई स्थान ही नहीं है और एक छोटा सा काला टैंट जिसमें आदमी सिर्फ खडा हो सकता है वहां पर भी कपडे बदलने के एवज में सौ रूपये एक व्यक्ति से लिया जाता है।

सिरासू प्री-वैडिंग स्थल पर कहां सफाई कर रहा समूह सहायता केन्द्र क्योंकि बैठने को तो जगह नहीं तो फिर आख़िर कहां सफाई करता है समूह,
ओर पर्यटकों से वसूली जाने वाली रु 1000- की एंट्री फीस की प्रशासन ने कभी समीक्षा की हैं क्या ?

देहरादून: उत्तराखण्ड में कोरोना काल से राज्य के पर्यटन पर ग्रहण लग गया था और यही कारण था कि सरकार ने देश-विदेश में संदेश दिया कि पर्यटक उत्तराखण्ड आयें। यहां उन्हें शांत वातावरण मिलेगा और पर्यटन स्थलों का दृश्य देखकर वह मंत्र मुग्ध होंगे। कोरोना काल जब खामोश हो चला तो देश के कोने-कोने से शादी के बंधन में बंधने वाले युगल जोडे गढवाल के कुछ जनपदों में प्री-वैडिंग शूट के लिए आ रहे हैं लेकिन कुछ स्थलों पर न तो पर्यटकों के बैठने के लिए कोई इंतजाम है और न ही शौचालय हैं जिसके चलते इन पर्यटकों को खुले आसमान के नीचे इधर-उधर जाकर शौच करने के लिए मजबूर होना पडता है।
वहीं पौडी गढवाल के यमकेश्वर के अन्तर्गत आने वाले सिरासू में युगल जोडे वर्षों पुराने बने झूला पुल पर शूटिंग करने के लिए जाते हैं और सडक से लेकर नीचे जाने का रास्ता ऐसा है जहां बुजुर्ग शायद वहां जाना भी नहीं चाहते क्योंकि पतली सडक के दोनो ओर रैलिंग न होने के कारण यह रास्ता खतरनाक दिखाई देता है और यहां प्री-वैडिंग शूट के लिए एक हजार रूपये की रसीद काटी जाती है, लेकिन सुविधा के नाम पर पर्यटकों को वहां शून्य ही मिलता है। इतना ही नहीं पर्यटक स्थल पर मोटर साइकिल, टैंट व बोट में शूटिंग के लिए जिस तरह से पर्यटकों से मनचाहे पैसे वसूलने का खेल खेला जाता है उस पर नकेल लगाने के लिए सिस्टम हमेशा खामोश ही दिखाई देता है।
गजब बात तो यह है कि गांव के समूह सहायता केन्द्र ने पर्यटक स्थल की साफ-सफाई का जिम्मा अपने पास रखा हुआ है और उसी के लिए पर्यटकों से एक हजार रूपये लिया जाता है। लेकिन सवाल उठता है कि जब पर्यटक स्थल पर बैठने तक का कोई ठिकाना नहीं है तो फिर वहां पर्यटक क्या रेत में बैठकर खाना खाकर गंदगी करते हैं ? आये दिन हजारों रूपये वसूलने वाले समूह सहायता केन्द्र ने क्या पर्यटक स्थल पर बने उस गंदगी भरे दो छोटे शौचालयों को देखा है ओर तो ओर शौचालय के आसपास भी घोड़ो ने गंदगी कर रखी हैं ? ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इस पर्यटक स्थल की खूद समीक्षा करने के लिए आगे आये और देखे कि जब पर्यटकों के बैठने तक के लिए पर्यटन स्थल पर कोई इंतजाम नहीं है तो क्या सिर्फ झूला पुल पर मात्र पांच मिनट की शूटिंग के लिए पर्यटकों से एक हजार रूपये की वसूली की जा रही है ?
उल्लेखनीय है कि यमकेश्वर के अन्तर्गत आने वाले सिरासू इलाके में एक झूला पुल वर्षों से बना हुआ है और उसके नीचे गंगा बह रही है जहां पानी के साथ रेत ही रेत है और वहां पर्यटकों के बैठने के लिए जिला प्रशासन द्वारा आज तक कोई व्यवस्था नहीं की है। हैरानी वाली बात है कि मुख्य सड़क से झूला पुल तक आने के लिए जो रास्ता सीमेंट की सडक का बना हुआ है वह काफी खतरनाक है लेकिन इसके बावजूद भी जिला प्रशासन ने इस सडक के दोनो ओर रैलिंग लगाने का काम नहीं किया जिससे आते समय चढाई वाली इस सडक पर चढते हुए युगल जोडे भी हांफ जाते है। गजब की बात तो यह है कि सिरासू पर्यटक स्थल पर एक-दो व्यक्ति ऐसे हैं जिनके पास मोटर साइकिल, टैंट व बोट है जो कि वहां आने वाले युगल जोडों से मनचाहे पैसे वसूलने का खेल खेलते हैं। यह इलाका पटवारी क्षेत्र में आता है इसलिए कोई पर्यटक अगर यहां हो रही मनचाही वसूली की शिकायत करना चाहे तो आखिर वह शिकायत कहां करे ? ‘क्राईम स्टोरी’ ने जब इस स्थल का हाल अपनी आंखों से देखा तो पाया कि पुल के पहले और पुल के बाद मात्र तीन चार ग्रामीणों ने छोटी-छोटी चाय की दुकान छप्पर से बना रखी है और यहां सिर्फ चाय और मैगी के अलावा कुछ नहीं मिलता जिसके चलते वहां किसी भी प्रकार की कोई गंदगी होने का कोई सवाल ही नहीं है। हैरानी वाली बात है कि प्री-वैडिंग शूट के लिए युगल जोडों के लिए कपडे बदलने का कोई स्थान ही नहीं है और एक छोटा सा काला टैंट जिसमें आदमी सिर्फ खडा हो सकता है वहां पर भी कपडे बदलने के एवज में सौ रूपये एक व्यक्ति से लिया जाता है। इस पर्यटक स्थल को सिर्फ युगल जोडे प्री-वैडिंग शूट के लिए ही इस्तेमाल करते हैं और सिर्फ गंगा में बोट पर बैठकर फोटो शूट चंद मिनट का कराते हैं और गंगा के दोनो ओर रेत ही रेत है तो वहां कोई कैसे बैठकर गंदगी कर सकता है इसका आंकलन जिला प्रशासन को करना चाहिए। एक हजार रूपये की पर्ची का सच जब पता किया गया तो मालूम हुआ कि गांव की महिलाओं की ओर से एक प्रस्ताव दिया गया कि भारी संख्या में यहां पर्यटक आते हैं और वह गंदगी करते हैं जिसकी साफ सफाई का काम समूह सहायता केन्द्र को दिया गया लेकिन हैरानी वाली बात है कि इस पर्यटक स्थल पर तो तिनका भर भी गंदगी कोई पर्यटक नहीं करता तो फिर किस बात के लिए समूह सहायता केन्द्र को एक हजार रूपये की पर्ची काटने का अधिकार ग्राम प्रधान, सरपंच व कुर्क अमीन ने दे रखा है। यह हैरान करने वाली बात है कि देश के कोने-कोने से सिरासू में प्री-वैडिंग के लिए युगल जोडे आते हैं लेकिन वहां काफी ऊंचाई की ढांग पर लोहे की टीन के दो शौचालय इस हालात में दिखाई दिये कि मानो वह शौचालय न होकर किसी जानवर का छोटा तबेला हो इसलिए सरकार को चाहिए कि वह खुद अपनी टीम को इस पर्यटक स्थल की सच्चाई देखनी चाहिए कि आखिरकार यहां हो क्या रहा है और एक हजार रूपये की एंट्री फीस लेकर वह पर्यटक को शौच के लिए एक छोटा सा साफ शौचालय भी नहीं दे पा रहे तो फिर यह वसूली किसके लिए हो रही हैं ?