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देहरादून: दूषित पानी के संबंध में सपैक्स संस्था के सचिव बृजमोहन से आयोग ने धारा 16 मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अंतर्गत मांगा जवाब

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

उत्तराखंड के जिला देहरादून के प्रेस क्लब में एक स्पेक्स नामक एनजीओ के सचिव बृजमोहन शर्मा ने दिनाँक 16-7-2021 को प्रेस वार्ता का आयोजन कर अपनी पानी की जाँच से सम्बंधित रिपोर्ट सावर्जनिक की गई कि देहरादून में मंत्रियों,आईएएस से लेकर आमजनता के घरों तक का पानी पीने लायक नहीं हैं इस पानी से गंभीर प्रकार की कैंसर जैसी बीमारियों तक का ख़तरा हैं।
इस संवाददाता द्वारा इस अत्यंत ही गंभीर संवेदनशील मामले में मानव अधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित न्यायहित में याचिका दायर कर निवेदन किया गया था कि उपरोक्त प्रकरण बहुत ही गंभीर है और वीवीआईपी, वीआईपी से लेकर आमजनता की जानमाल की हानि से स्पष्ट रूप से जुड़ा हुआ है इसलिए शिकायत पर तत्काल सुनवाई करते हुए कार्यवाही करने की कृपा करें, साथ ही जल्द से जल्द मामले की रिपोर्ट मंगवा कार्यवाही हेतु निर्देशित करने की कृपा करें क्योंकि प्रकरण बहुत ही गंभीर है।

प्रकरण की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए प्रबन्ध निदेशक पेयजल निगम उत्तराखंड देहरादून ओर मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान उत्तराखंड देहरादून को कार्यवाही हेतु निर्देशित कर मामलें में रिपोर्ट तलब की गई ।

आयोग के आदेशों पश्चात जल संस्थान उत्तराखंड के अधीक्षण अभियंता विनोद रमोला द्वारा गंदे दूषित पानी के संबंध में अपनी आंख्या जो माननीय आयोग में दाखिल की गयी है उसमें उनके द्वारा अंकित किया गया है कि स्पेक्स नामक एनजीओ द्वारा प्रकाशित पेयजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2021 के आधार पर प्रेषित की गई शिकायत एवं स्पेक्स नामक एनजीओ की प्रकाशित रिपोर्ट में पेयजल की गुणवत्ता के संबंध में उल्लेखनीय कथन पूर्णतः असत्य व अस्वीकार हैं ।

वही दूसरी ओर जिला देहरादून के प्रेस क्लब में एक स्पेक्स नामक एनजीओ के सचिव बृजमोहन शर्मा ने दिनाँक 16-7-2021 को प्रेस वार्ता का आयोजन कर अपनी पानी की जाँच से सम्बंधित रिपोर्ट सावर्जनिक की गई कि देहरादून में मंत्रियों, आईएएस से लेकर आमजनता के घरों तक का पानी पीने लायक नहीं हैं, इस पानी से गंभीर प्रकार की कैंसर जैसी बीमारियों तक का ख़तरा हैं, तथा स्पैक्स द्वारा विभिन्न अस्पतालों के बाल चिकित्सकों से वार्ता करने के दौरान इन बाल चिकित्सकों द्वारा बताया गया की लगभग 71 से 80 प्रतिशत बाल रोगियों में जल जनित रोग पाये जा रहें हैं।

इस संवददाता द्वारा आयोग में सपैक्स संस्था की गंदे पानी की रिपोर्ट ओर जल संस्थान उत्तराखंड की आख्या पेश कर निवेदन किया गया कि स्पेक्स नामक संस्था के सचिव डॉक्टर बृज मोहन शर्मा द्वारा पानी के संबंध में दी गई अपनी रिपोर्ट तथा जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता विनोद रमोला द्वारा भेजी गई आख्या स्पष्ट रूप से एक-दूसरे के विपरीत हैं। जबकि मामला स्पष्ट रूप से आमजनता की जानमाल की हानि से जुड़ा हुआ है इसलिए जनहित न्यायहित में संस्था के सचिव डॉक्टर बृज मोहन शर्मा को भी जल संस्थान द्वारा भेजी गई आख्या उनको भेजी जाए क्योंकि उनके द्वारा प्रैस क्लब में अपनी पानी से संबंधी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है और उनसे इस संबंध में उनसे संबंधित विभाग के माध्यम अथवा अन्य माध्यम से जवाब मंगवाने की कृपा करें क्योंकि मामला स्पष्ट रूप से आम जनता की जान माल की हानि से जुड़ा हुआ है।

आयोग द्वारा दिनाँक 09-12-2021 को आदेश जारी किए गए कि स्पैक्स नामक एनजीओ के सचिव बृजमोहन शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर घरों में पीने लायक पानी की सप्लाई होने एवं जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा होने के सम्बन्ध में आयोग में शिकायत प्रस्तुत की गयी थी ओर जल संस्थान द्वारा जो आख्या प्रस्तुत की गयी उस पर शिकायतकर्ता द्वारा प्रतिउत्तर प्रस्तुत कर कहा गया है कि स्पैक्स नामक एनजीओ गुणवता रिपोर्ट 2021 एवं अधीक्षण अभियन्ता उत्तराखण्ड जल संस्थान की आख्या एक दूसरे के विरोधाभाषी है इसलिये न्यायहित में सचिव बृजमोहन शर्मा से उक्त पर प्रतिउत्तर भेज कर उनका जवाब मांगा जाए क्योंकि यह आमजनता की जानमाल से जुड़ा मामला है।
अतः स्पैक्स नामक एनजीओ के सचिव, बृजमोहन शर्मा को भी धारा 16 मानवाधिकारी संरक्षण अधिनियम 1993 के अन्तर्गत सुना जाना न्यायोचित प्रतीत होता है, ऐसी स्थिति में बृजमोहन शर्मा को भी नोटिस जारी किया जाता हैं ओर वह इस सम्बन्ध में जो कुछ भी कहना चाहते हैं वह अपनी आख्या चार सप्ताह के अन्दर आयोग में प्रस्तुत करेंगे ।