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विशेष:श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ऑटिज्म दिवस के अवसर पर पर अभिभावक ट्रेनिंग वर्कशाप का आयोजन

  • भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
  • व्यावहारिक बातों पर ध्यान देकर ऑटिज्म ग्रसित बच्चों का बेहतर उपचार सम्भव
     श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन
     ऑटिज्म लक्ष्णों को शुरूआती चरण में पता लगने पर जल्द शुरू करवाएं उपचार
     सही समय पर ऑटिज्म के उपचार से बच्चों में होता है अप्रत्याशित सुधार
  • देहरादून: श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ऑटिज्म दिवस के अवसर पर पर शनिवार को अभिभावक ट्रेनिंग वर्कशाप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के अभिभावकों ने प्रतिभाग किया। वर्कशाप में विशेषज्ञों ने अभिभावकों को जानकारी दी कि ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है। जितना जल्दी अभिभावक व्यावहारिक बातों को समझ लेते हैं, उतनी जल्दी ऑटिज्म का उपचार भी शुरू हो जाता है। इन बच्चों के साथ घर पर कैसा व्यवहार किया जाना है ? इन बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से क्या करें क्या न करें। ऐसी छोटी छोटी व्यावहारिक बातों पर ध्यान देकर अभिभावक इन बच्चों के विकास को सही दिशा दे सकते हैं। यह जानकारी विशेषज्ञों ने ऑटिज्म वर्कशाप के दौरान अभिभावकों से रूबरू होते हुए दी।
    शनिवार को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के सभागार में वर्कशाप का शुभारंभ श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के प्राचार्य डॉ यशबीर दीवान व श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय पंडिता ने संयुक्त रूप से किया।
    डॉ. यशबीर दीवान ने अस्पताल में ऑटिजल्म के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की सराहना की डॉ. दीवान ने ऑटिजम के मेडिकल पक्ष पर जानकारी देते हुए कहा कि स्टेम सेल की ऑटिजम में कोई भूमिका नहीं है. श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के शिशु रोग विभाग की ओर वर्कशाप का आयोजन किया गया। सीडीजीसी यूनिट की इंचार्ज डॉ श्रुति कुमार ने कहा कि ऑटिज्म बच्चों में जीवनपर्यन्त विकार है। यदि ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों के विकार को समय रहते पहचान लिया जाता है तो इस विकार को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है व बच्चों में अप्रत्याशित सुधार हो जाता हैं। शिशु रोग विभाग के प्रमुख डॉ उत्कर्ष शर्मा ने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में कई वर्षों से ऑटिज्म का सम्पूर्णं उपचार हो रहा है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल उत्तराखण्ड का एकमात्र अस्पताल है जहां पर ऑटिज्म बच्चें को एक छत के नीचे सम्पूर्णं देखभाल की जा रही है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक सैकड़ों बच्चे ऑटिज्म का उपचार पाकर लाभान्वित हो चुके हैं।
    कार्यकम में सोशियलिस्ट मंजू सिंघानिया व विधि सहायक रिजवान अली ने भी विचार व्यक्त किए।

ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है। इसमें मरीज न तो अपनी बात ठीक से कह पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है और न उनसे संवाद स्थापित कर सकता है। यह एक डेवलपमेंटल डिसेबिलिटी है। इसके लक्षण बचपन से ही नजर आ जाते हैं।