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सहसपुर थाने में संदिग्ध मौत की सीबीआई जांच को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका 

सहसपुर थाने की हवालात में हुई मौत मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को याचिका भेजी गई है।
देहरादून निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार लक्ष्मी ने सहसपुर के थाने में हुई मौत मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। खुलेआम मानवाधिकारों के उल्लंघन के इस मामले में जनहित न्यायहित में तत्काल कार्यवाही हेतु थाने के प्रभारी पी.डी. भट्ट एवं थाने के समस्त स्टाफ के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच के आदेश तथा थाना प्रभारी पी.डी.भट्ट के पूर्व के समस्त मामलों (हिरासत में मौत एवं मारपीट) की उच्च स्तरीय जांच अथवा सीबीआई से जांच करवाने हेतु राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मुख्य न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्यपाल उत्तराखण्ड , मुख्य न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय नैनीताल एवं पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था)उत्तराखण्ड को शिकायत भेजी गयी हैं। लोक सूचना अधिकारी आईजी गढ़वाल परिक्षेत्र कार्यालय से भी पीडी भट्ट के कारनामों एवं थाना सहसपुर के समस्त कर्मियों की जानकारी मांगी गई है।

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड राज्य के जिला देहरादून के थाना सहसपुर में पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में छात्रा की तहरीर पर अभिनव कुमार यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया तथा जांच महिला दरोगा लक्ष्मी जोशी को सौंपी गई। आरोपी अभिनव कुमार यादव को पूछताछ के लिए 29-11-2019 को थाना सहसपुर बुलाया गया था। आरोपी से पूछताछ के बाद सुरक्षा की दृष्टि से थाना सहसपुर की हवालात में रखा गया। आरोपी अभिनव कुमार यादव को 30-11-2019 की प्रातः जो कंबल उसे ओढ़ने के लिए दिया गया था, उस कंबल के किनारों को फाड़कर बने फंदे में हवालात के भीतर कील में लटका पाया गया।


पुलिस आरोपी की मौत को आत्महत्या बता रही है, परंतु पुलिस की कहानी में झोल ही झोल नजर आ रहे हैं, क्योंकि पुलिस का कहना है कि आरोपी ने रात को हवालात में कंबल के किनारे की पट्टी को फाड़कर उसका फंदा बनाया। हवालात के अंदर दीवार पर कील थी, जिस पर आरोपी ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली, परंतु आरोपी ने आत्महत्या हवालात के ऐसे कोने में की, जहां थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे की पहुंच नहीं है। सहसपुर थाने के अंदर हवालात के ठीक सामने थाना प्रभारी पीडी भट्ट का कार्यालय है तथा पास में ही थाना प्रभारी का आवास भी है। इसके अलावा हवालात के पास ही पुलिस का कार्यालय है, जहां 24 घंटे पुलिसकर्मी रहते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आरोपी युवक ने हवालात के अंदर जब फांसी लगाई, तब पुलिस कहां थी और पुलिस को रात को भनक क्यों नहीं लगी? जबकि हवालात के पास पुलिस का संतरी लगातार तैनात रहता है। ऐसे में रात के समय जब आरोपी ने फांसी लगाई, तब पुलिस क्या कर रही थी? क्या पुलिस को आरोपी की हरकतों का पता नहीं लगा? सुरक्षा की दृष्टि से जिस हवालात में रखा गया, उसी हवालात में उसने कील पर लटकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, ऐसे में यह मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है।
जिस थाने में यह घटना हुई है उस थाने के थानेदार पीडी भट्ट के पूर्व में भी अन्य थाने चौकी में तैनाती के दौरान हिरासत में मौत एवं मारपीट की घटनाएं घट चुकी है।
उदाहरणार्थ वर्ष 2012 में जिला देहरादून की थाना कोतवाली की धारा पुलिस चौकी में इनके प्रभारी रहते हुए अभिरक्षा में एक अजय बरसाती नामक युवक की जान चली गई थी। जिसकी सीबीआई जांच चल रही है तथा वर्ष 2011 में जिला देहरादून की प्रेमनगर पुलिस चौकी में जब पीडी भट्ट चौकी प्रभारी थे, तब उनके द्वारा एक आरोपी के साथ मारपीट कर उसके पैर पर जलती हुई सिगरेट भी लगाई गई तथा झूठे मामले में फंसाने की धमकी देते हुए उसका पुलिस एक्ट में चालान कर दिया था। इस मामले की निगरानी को जिला देहरादून की माननीय लोअर कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया था, जिस पर पीड़ित पक्ष ने अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय की अदालत में आवेदन दाखिल किया। अदालत ने मामले में दाखिल रिवीजन को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के आदेश निरस्त करते हुए उचित आदेश पारित करने के आदेश दिया है।