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खनन कारोबार में शामिल होगी निजी कंपनी

हल्द्वानी। अवैध खनन पर लगाम कसने का काम वन विभाग, खान विभाग, वन निगम और पुलिस पर होता है। लेकिन अब अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए ‘कंपनी’ की एंट्री होगी। नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून जिले में चयनित कंपनी के पास एक तरह से इन सरकारी विभागों की तरह पावर होगी। बीच सड़क गाड़ी रोक रायल्टी और रवन्ना चेक किया जाएगा।

अवैध खनन का मामला पकड़ने पर जुर्माना भी ठोका जाएगा। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या खनन के खेल को रोकने में सरकारी सिस्टम फेल हो चुका है? इसीलिए निजी कंपनी को लाया जा रहा है।
सरकारी तंत्र हो रहा है फेल

उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में खनन रोजगार राजस्व का बड़ा जरिया है, लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण हर साल खनन सत्र में देरी हो रही है। कभी टेंडरों से जुड़े विवाद तो कभी अन्य कारण। जिसका नुकसान वाहनस्वामियों से लेकर सरकार तक को होता है। इसके अलावा नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में अवैध खनन का नेटवर्क लगातार मजबूत होने की वजह से प्राकृतिक संसाधनों की एक तरह से लूट भी हो रही है।

खनन कारोबार में शामिल होगी निजी कंपनी

खनन विभाग के उच्चधिकारियों के अनुसार खनिज की उपलब्धता के हिसाब से 350 करोड़ का राजस्व मिलना चाहिए। लेकिन रायल्टी चोरी व अवैध खनन के कारण लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता। इसलिए निजी कंपनी को खनन कारोबार में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

ऐसे काम करेगी ‘कंपनी’

12 दिसंबर को टेंडर खोला जाएगा। जिसके बाद चयनित कंपनी ही रायल्टी के तौर पर अलग-अलग किस्तों में 350 करोड़ रुपये जमा करेगी। यह न्यूनतम आधार मूल्य है। इससे ज्यादा रकम भी मिल सकती है। इसके बाद कंपनी वन निगम के माध्यम से संचालित नदियों के अलावा निजी पट्टों की रायल्टी ठेकेदार से वसूल खुद जमा करेगी। सबसे अहम काम अवैध खनन में लिप्त गाड़ियों को पकड़ने के अलावा जुर्माना वसूली का होगा।

इस तरह बदलेगा खनन का सिस्टम

गौला, नंधौर, कोसी, दाबका, शारदा आदि नदियों से वन निगम खनन करवाता है। एडवांस में रायल्टी का पैसा खान विभाग के माध्यम से सरकार को जमा करता है। संचालन के एवज में अपना शुल्क अलग से जोड़ता है। अब रायल्टी का पैसा वन निगम खुद जमा करने की बजाय कंपनी को देगा। कंपनी शासन को देगी। निजी पट्टों पर भी यह नियम लागू होगा।

कंपनी ऐसे बचाएगी आय

अपर निदेशक खनन राजपाल लेघा के अनुसार टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी बार्डर पर चेक पोस्ट बनाएगी। इन्हीं रास्तों से उपखनिज उत्तर प्रदेश जाता है। यहां अवैध खनन और रायल्टी से अधिक मात्रा के मामलों को पकड़ जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा अन्य किन्हीं भी जगहों पर गाड़ियों को निजी कंपनी के लोग चेक कर सकेंगे। जिसके बाद पैसा वसूला जाएगा। फिलहाल कंपनी की आय का जरिया यही बताया जा रहा है।

अधिकारी ने कही ये बात

इस निर्णय से वन निगम का काम प्रभावित नहीं होगा। सिर्फ रायल्टी का पैसा कंपनी वसूलेगी, जिसे सरकार को जमा किया जाएगा। इसके अलावा अवैध खनन पर कार्रवाई और जुर्माने का अधिकार भी चयनित कंपनी को मिलेगा।