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बिगब्रेकिंग:बेजुबाँ कुत्तों को जहर देकर मारने के मामलें में रिपोर्ट ना देने पर डबल बैंच का कड़ा रुख निदेशक नमामि गंगे प्रबंधक ग्रुप को कार्यवाही की चेतावनी(वीडियों)

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के चंडीघाट मोक्षधाम शमशानघाट में शवों के पूर्ण जलने से पूर्व कुत्तों द्वारा अधजले शवों को चिता में से घसीट ले जाकर नोचने खाने की शिकायत के बाद व्यवस्था ठीक करने के बजाय बेजुबाँ कुत्तों को जहर देकर बहुत ही निंदनीय शर्मनाक एवं हैवानियत भरा कार्य किया गया ।

वीडियों

समस्त प्रकरण इस प्रकार हैं कि उत्तराखंड राज्य की धर्मनगरी जिला हरिद्वार के चंडीघाट मोक्षधाम शमशानघाट में कोरोना महामारी के दौरान शवों के दाहसंस्कार में घोर लापरवाही बरती जा रही थी, शवों के पूर्ण जलने से पूर्व ही कुत्तो द्वारा अधजले शवों को चिता में से घसीट ले जाकर नौचा खाया जा रहा था, साथ ही चंडीघाट मोक्षधाम शमशानघाट में जगह होने बावजूद भी शवों को शमशानघाट के बाहर उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा था। इस कारण जानवर पक्षी शवों के पूर्ण जलने से पूर्व ही नोच खा रहे थे ।
इस संवाददाता द्वारा मामलें की गंभीरता को देखते हुए जनहित में डीजीपी उत्तराखंड को शिकायत की गयी कि उपरोक्त प्रकरण बहुत ही गंभीर है इसलिए इस मामले में तत्काल जनहित में जाँच के आदेश कर ठेकेदार, कर्मचारी या जो कोई भी जिम्मेदार हैं उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाही की जाये तथा श्मशान घाट के बाहर दुकानों में रात को अगर खुलेआम शराब पी जा रही है तो उनके विरुद्ध भी कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की कृपा करें तथा क्षेत्रीय पुलिस जिसके क्षेत्र में यह कार्य चल रहा है उनका भी जवाबतलब करने की कृपा करें, साथ ही इसी प्रकार की स्थिति कही हरिद्वार के अन्य शमशान घाटो में भी न हो इसलिये जनहित में जल्द से जल्द कार्रवाही की जाये ।
पुलिस महानिदेशक को शिकायत करने के बाद समाजसेवीका राजरानी द्वारा मेरे को फोन पर एवं व्हाट्सएप पर संदेश एवं वीडियों भेज कर बताया गया कि आपके द्वारा कार्यवाही हेतु शिकायत करने के बाद उन्होंने कुतिया को जहर देकर मार दिया हैं और इस कुतिया के तीन बच्चे थे उनकों भी जहर दे दिया हैं, उनकी मां मर चुकी है और कुत्ते तड़प रहे हैं इनका क्या इलाज किया जाए।

प्रकरण की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए मेरे द्वारा मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि प्रकरण अत्यंत ही गंभीर है क्योंकि चंडीघाट मोक्षधाम शमशानघाट में शवों के पूर्ण जलने से पूर्व कुत्तों द्वारा अधजले शवों को चिता में से घसीट ले जाकर नोचने खाने की शिकायत के बाद व्यवस्था ठीक करने के बजाय बेजुबा कुत्तों को जहर देना,बहुत ही निंदनीय शर्मनाक एवं हैवानियत भरा कार्य हैं तथा पुलिस महानिदेशक द्वारा जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को कार्यवाही हेतु पत्र लिखा था, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को शिकायत को गंभीरता से लेना चाहिए था वह शायद नहीं लिया गया इसलिए आप से निवेदन है कि प्रकरण बहुत ही गंभीर है इसलिए तत्काल न्यायहित में कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की कृपा कर जिला हरिद्वार पुलिस की लापरवाही पर संबंधित जिम्मेदारों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाए।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए आदेश जारी किए गए कि शिकायतकर्ता द्वारा उत्तराखण्ड के जिला हरिद्वार के चंडीघाट मोक्षधाम शमशानघाट में शवों के पूर्ण जलने से पूर्व कुत्तों द्वारा अधजले शवों को चिता मे से घसीट के ले जाने नोचने खाने की शिकायत के बाद व्यवस्था ठीक करने के बजाय बेजुबां कुत्तों को जहर देना बहुत ही निदनीय शर्मनाक एवं हैवानियत भरा कार्य दोषियों के विरूद्व तत्काल कार्यवाही करने के सम्बन्ध में शिकायती पत्र प्रस्तुत किया गया है।
शिकायत की प्रति जिलाधिकारी हरिद्वार को भेज दी जाए कि वह चार सप्ताह के अन्दर अपनी आख्या आयोग के समक्ष दाखिल करें।
पत्रावली दिनांक 14.09.2021 को पेश की जाए।
सुनवाई की अगली नियत तिथि 14.09.2021 को निदेशक राज्य परियोजना प्रबन्धक ग्रुप नमामि गंगे देहरादून को भी आयोग द्वारा नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तिथि 02-12-2021 से पूर्व रिपोर्ट पेश करने हेतु निर्देशित किया गया,परन्तु उनके द्वारा नियत तिथि पर इस अत्यंत ही गम्भीर प्रकरण पर अपनी आख्या आयोग में प्रस्तुत नही की गयी।
आयोग द्वारा इतने गंभीर एवं मानवीय मामले में लापरवाही बरतने पर और नियत तिथि पर अपनी रिपोर्ट आयोग में पेश ना करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए निदेशक राज्य परियोजना प्रबंधक ग्रुप नमामि गंगे देहरादून को 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट अवश्य ही आयोग में पेश करने हेतु निर्देशित किया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि आयोग के उपरोक्त आदेश की अपेक्षा अनुरूप कार्रवाई ना किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोपरांत यथोचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे।
आखिर बहुत बड़ा सवाल यह है कि बेजुबान निर्दोष कुत्तों को जहर देकर मारने के अत्यंत ही अमानवीय, संवेदनशील, गंभीर प्रकरण में आखिर जवाब देने में कोताही क्यों बरती जा रही है क्या इस अत्यंत अमानवीय कार्य को करने वालों को बचाने की कही कोशिश तो नहीं की जा रही है।