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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व राज्य मानवाधिकार आयोग संस्तुति करने वाली संस्थाएं लेकिन फिर भी इनके पास मानवाधिकार संरक्षण कानून के तहत कार्यवाही हेतु पर्याप्त शक्तियां

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने बढ़ती पुलिस मुठभेड़ों पर सचेत करते हुए कहा कि मुठभेड़ के जरिये त्वरित न्याय व्यवस्थागत नाकामी की ओर संकेत करता है। इसे ठीक करने के लिए क्या किया जाए इस, पर विचार करने का अब समय आ गया है।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कई बार व्यवस्थागत नाकामी के चलते कोर्ट की डिक्री भी नहीं लागू होती। जस्टिस मिश्रा ने यह बात कल बुधवार को एनएचआरसी की राज्य मानवाधिकार आयोगों (एसएचआरसी) के साथ हुई बैठक में कही।
विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में मानवाधिकारों के संरक्षण और इस बारे में आयोगों की भूमिका और कार्य पर मंथन हुआ। जस्टिस मिश्रा ने उद्घाटन सत्र में कहा कि कल्याणकारी योजनाओं के सही दिशा में लागू नहीं होने से मानवाधिकारों का हनन होता है। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी और एसएचआरसी संस्तुति करने वाली संस्थाएं हैं, लेकिन फिर भी इनके पास मानवाधिकार संरक्षण कानून के तहत पर्याप्त शक्तियां हैं जिससे ये पंक्ति के आखिरी व्यक्ति और गरीबों के अधिकार संरक्षित करना सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न एडवाइजरी पर अमल सुनिश्चित करने के लिए राज्य आयोग, राष्ट्रीय आयोग का सहयोग कर सकते हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सभी राज्यों को पत्र लिखेगा कि वे राज्य आयोगों को सुदृढ़ करने के अपने दायित्व का निर्वहन करें। उद्घाटन सत्र के अलावा एनएचआरसी और एसएचआरसी के मिलकर काम करने और विभिन्न पहलुओं पर मंथन व विचार विमर्श के पांच सत्र हुए। इन सत्रों में खाद्य सुरक्षा कानून, वन नेशन वन राशनकार्ड योजना लागू कराने और असंगठित क्षेत्र के कामगारों की योजनाएं लागू कराने आदि पर चर्चा हुई।