Human Rights

सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे और गलत नक्शे पास करने मामले में कई नोटिस के बाद भी एमडीडीए सचिव ने नहीं दिया जवाब

देहरादून नगर निगम के भाजपा पार्षदों का एमडीडीए के अधिकारियों पर सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जे और गलत तरीके से नक्शे पास कराने के आरोपों को मानवाधिकार आयोग ने लिया बहुत ही गंभीरता से एमडीडीए सचिव को नोटिस जारी किये थे।

सम्पूर्ण प्रकरण इस प्रकार हैं कि देहरादून नगर निगम के भाजपा पार्षदों द्वारा मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के सचिव को पत्र सौंपकर स्पष्ट रूप से आरोप लगाए गए हैं, कि यदि आज देहरादून की फिजा या आबोहवा खराब करने का काम यदि कोई कर रहा है तो वह सिर्फ आपका विभाग एमडीडीए कर रहा है। आपके अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से अच्छे खासे हरे भरे दून की तस्वीर ही बदल गई है, अवैध इमारतों एवं मालों/कॉम्प्लेक्सों के चक्कर में पानी के स्रोत, पार्क, नाले, खाले खत्म हो गए हैं आपका विभाग अपने डेवलपमेंट एवं कमीशनखोरी के चक्कर में प्रदेश का व प्रदेश की जनता का नुकसान करने पर आमदा है।

पार्षदों द्वारा अपने पत्र में निम्न आरोप लगाए गए हैं:-

1- धोरण के राजेश्वर नगर फेज 1 के खसरा नंबर 463 में नगर निगम देहरादून की स्वामित्व वाली भूमि को नगर निगम ने आपके विभाग के भरोसे पर एनओसी दी थी परंतु आपके अधिकारियों की मिलीभगत से किसी एनजीओ एवं भू माफिया को संपत्ति का कब्जा दे दिया गया है।

2- एमडीडीए अधिकारियों की मिलीभगत से जाखन क्षेत्र में अनेकों अवैध मॉल, फ्लैटों, प्लॉटिंग का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है।

3- एमडीडीए अधिकारियों की मिलीभगत से दून विहार जाखन में आवास विकास की आवासीय भूमि पर व्यवसायिक होटल, कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं।

4- शहर में किसी भी मॉल,फ्लैटस में पार्किंग की व्यवस्था, पानी के स्टोरेज की व्यवस्था, सीवर की व्यवस्था सुचारु रुप से नहीं है, कभी भी एमडीडीए के अधिकारियों ने इसकी जांच तक नहीं की है।

इस संवाददाता ने राज्यहित जनहित के प्रकरण में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि देहरादून नगर निगम के पार्षदों द्वारा एमडीडीए के अधिकारियों पर बहुत ही गंभीर प्रकार के आरोप लगाए गए हैं, और उसके प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं इसलिए राज्यहित जनहित में तत्काल कड़ी से कड़ी कार्यवाही करते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश कर संपूर्ण मामले की रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें, प्रकरण बहुत ही गंभीर है, इसलिए एमडीडीए के उच्च अधिकारी अपने अधिकारियों को बचाने का प्रयास भी कर सकते हैं।

मानव अधिकार आयोग द्वारा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की गई और एमडीडीए सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने हेतु निर्देशित किया गया था।

मानवाधिकार आयोग के आदेशों पश्चात भी सुनवाई की नियत तिथि पर MDDA ने अपना जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया, सचिव द्वारा इस अत्यंत ही गम्भीर मामलें में जवाब दाख़िल ना करने पर आयोग द्वारा कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश जारी किए गए कि “सचिव, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, देहरादून द्वारा आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी है। पुनः नोटिस जारी हो। वह इस सम्बन्ध में अपनी आख्या स्वयं उपस्थित होकर या अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से 04 सप्ताह में आयेाग के समक्ष अवश्य ही प्रस्तुत करें।

परंतु आयोग द्धारा पिछले लगभग दो सालों में सात नोटिस भेजने के बाद भी सचिव ने कोई जवाब नहीं दिया। जिसपर मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायाधीश गिरधर सिंह धर्मशक्तू द्वारा आदेश जारी किए गए कि:-

आदेश

पूर्व कई तिथियों से सचिव एम०डी०डी०ए० देहरादून द्वारा शिकायत के सम्बन्ध में आख्या प्रस्तुत नहीं की जा रही है। यह अत्यन्त खेदजनक है। सचिव, एम०डी०डी०ए० देहरादून नियत्त तिथि तक अपनी आख्या आयोग के समक्ष अवश्य दाखिल करेंगे।