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देहरादून मंडी में व्याप्त अनियमितताओं व आढ़तियों द्वारा स्ट्रीट वैंडर्स का उत्पीड़न मामला डीएम को स्वयं आयोग के समक्ष उपस्थित होकर या प्रतिनिधि के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने हेतु नोटिस

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

देहरादून निरंजनपुर सब्जी मंडी में आढ़तियों/दुकानदारों द्वारा स्ट्रीट वैंडर्स/परचून सब्जी फल विक्रेताओं के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करना वजन से कम माल देना ओर जो सरकार द्वारा निर्धारित मंडी शुल्क 6% हैं उस शुल्क को अवैध रूप से 7% वसूलना।
समस्त प्रकरण यह हैं कि दून स्ट्रीट वैंडर्स द्वारा सचिव मंडी समिति को देहरादून सब्जी मंडी में कार्यरत आढ़तियों/दुकानदारों द्वारा उनके उत्पीड़न, उनसे अवैध रूप से अधिक वसूली ओर अभद्र भाषा प्रयोग करने आदि की शिकायत की गई कि देहरादून निरंजनपुर स्थित सरकारी सब्जी मंडी समिति में आढ़तियों/दुकानदारों से जब स्ट्रीट वैंडर्स/परचून सब्जी फल विक्रेता खरीदारी करने जाते हैं तो उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है।
वजन से कम माल दिया जाता है, क्योंकि जो आलू की बोरी 50 किलो की बताई जाती है उसका वास्तविक वजन 46 से 47 किलो निकलता है, सूखी बोरी की जगह गीली बोरी में माल दिया जाता है।
गत्ते की पैकिंग वाली फल सब्जियों में गत्ते का वजन भी कम नहीं किया जाता है।
सरकार द्वारा निर्धारित जो मंडी शुल्क 6% हैं, उस शुल्क को अवैध रूप से 7% वसूलने का अपराध खुलेआम किया जा रहा हैं।
अनार के डिब्बे में 1 किलो की कटौती की जा रही हैं।
आढ़तियों/दुकानदारों द्वारा कम गुणवत्ता का माल विक्रय किया जा रहा है।
एक जागरूक नागरिक ने उपरोक्त मामलें की गंभीरता को देखते हुए व्यापक जनहित व राज्यहित में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर की गई ओर निवेदन किया गया कि मामला बहुत ही गम्भीर हैं इसलिए इस मामले में जिलाधिकारी देहरादून को व्यापक जनहित में कार्यवाही एवं जाँच हेतु निर्देशित कर रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें क्योंकि यह स्पष्ट रूप से गरीब लोगों से अभद्र भाषा का प्रयोग करने उनको वजन में कम माल देने और सरकारी मंडी शुल्क को अवैध रूप से अधिक वसूलने आदि का मामला हैं। साथ ही इसके अलावा मंडी में और भी अनियमितताएं हो सकती हैं इसलिए देहरादून मंडी समिति के प्रत्येक आढ़ती/दुकानदार की दुकान में पिछले 3 माह के दौरान कितना ओर कौन सा माल आया और उसका कितना सरकारी शुल्क प्रत्येक आढ़ती/दुकानदार ने मंडी समिति में जमा किया क्योंकि सरकार द्वारा निर्धारित जो मंडी शुल्क 6% हैं, उस शुल्क को अवैध रूप से 7% वसूला जा रहा हैं।
आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई कर दिनाँक-28/10/2021को जिलाधिकारी देहरादून को कार्यवाही हेतु नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
परंतु स्पष्ट रूप से जनहित से जुड़े इस मामले में जिलाधिकारी देहरादून द्वारा नियत तिथि पर अपनी जांच रिपोर्ट आयोग में प्रस्तुत नहीं करने पर आयोग द्वारा दिनाँक- 19/01/2022 को डीएम देहरादून को आदेशित किया गया था कि 4 सप्ताह के अंदर अपनी आख्या अवश्य दाखिल करें। आयोग के आदेश की अपेक्षानुरूप कार्यवाही न किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोपरांत यथोचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे,परन्तु आयोग के आदेशों पश्चात सुनवाई की अगली नियत तिथि 11/4/2022 को भी इस अत्यंत5 ही गम्भीर प्रकरण में अपना जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत नही किया गया।
आयोग के बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी डीएम द्वारा अपना जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत न करने पर आदेश पारित किए गए कि जिलाधिकारी, देहरादून द्वारा आख्या दाखिल नहीं की गई है। पुनः नोटिस जारी हो कि वे नियत तिथि से पूर्व अपनी आख्या आयोग के समक्ष अवष्य दाखिल करें। आख्या दाखिल न करने की स्थिति में वे आगामी दिनांक को स्वयं आयोग के समक्ष उपस्थित होकर या किसी प्रतिनिधि के माध्यम से आख्या प्रस्तुत करें।
निरंजनपुर सरकारी थोक मंडी में पता नही कब से यह गोरखधंधा चल रहा हैं आढ़तियों/दुकानदारों द्वारा स्ट्रीट वैंडर्स को तोल में कम माल दिया जा रहा हैं,अवैध रूप से निर्धारित सरकारी मंडी शुल्क अधिक वसूला जा रहा हैं। ओर बाज़ार में शायद फ़ल सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण यह भी हो सकते हैं ।
बड़ा सवाल यह हैं कि मंडी सचिव विजय थपलियाल से आयोग के प्रथम नोटिस जारी होने के बाद लगभग 6 माह पूर्व इस प्रकरण के बारे में बात की गई थी तब उनके द्वारा यह कहा गया था कि इस संबंध में मेरे पास शिकायत आई थी और मेरे द्वारा आढ़तियों/ दुकानदारों को उनकी यूनियन के माध्यम से नोटिस जारी किए गए थे। क्या हुआ छह माह पूर्व जारी किए गए उन नोटिसों का दाल में……….या……..?