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देहरादून:आराघर अंग्रेजी शराब के ठेके पर खुलेआम ओवररेटिंग,OR का विरोध करने पर कहना ऊपर के खर्चे कैसे चलेंगे,मुख्यमंत्री धामी जी कृपया आप ही संज्ञान लीजिए और रोजाना लुटने वाली जनता को बचाईये

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

सम्पूर्ण वाक्या इस प्रकार हैं कि यह संवाददाता दिनांक- 06-5-2022 को रात्रि लगभग 9:30 बजे देहरादून आराघर स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान (लाइसेंसी शिवा सिंह) पर शराब खरीदने गया तथा मेरे द्वारा सेल्समैन से कहा गया कि एक बोतल (RS) रॉयल स्टैग शराब की दे दीजिए सेल्समैन द्वारा पैसे मांगने पर मेरे द्वारा उसको अपने बैंक का एटीएम कार्ड दे दिया सेल्समैन ने कार्ड को स्वैप मशीन में डाला एवं औपचारिकताएं पूर्ण करने के पश्चात मेरे से कहा गया कि इसमें पिन नंबर डाल दीजिए मेरे द्वारा पिन नंबर डालने के बाद सेल्समैन ने स्वैप मशीन में से शराब की वसूली हुई कीमत की रसीद निकाल कर मेरे को दे दी।
रसीद पर भी देखा कि शराब की कीमत रु 830/- वसूल की गई है ओर शराब की बोतल की कीमत रु 820/- हैं ओर मेरे से शराब के निर्धारित मूल्य से धोखाधड़ी से मेरे बैंक के एटीएम से अवैध रूप से अधिक धनराशी की निकासी की गयी हैं ।
रेट से अधिक पैसे लेने पर जब मेरे द्वारा सेल्समैन से विरोध प्रकट किया गया और कहा कि अपने मालिक को बुलाओ इसपर उसने कहा कि मालिक के कहने से ही यह सब हो रहा है,ऊपर के खर्चे कैसे चलेंगे आपसे अगर थोड़े से ज्यादा पैसे ले भी लिए तो आपको क्या फर्क पड़ता है।

साथ ही एक बात और बहुत ही उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिन पूर्व तक रॉयल स्टैग शराब की बोतल का मूल्य रु 770/- जो अब बढ़कर ₹ 820/- हो गया है। परंतु यह शराब के ठेके वाला पुराने वाला शराब का स्टॉक बेच रहा है क्योंकि जो शराब की बोतल मेरे द्वारा खरीदी गई है उस पर रु 770/- अंकित है।
पुलिस और आबकारी के चहेते देहरादून आराघर स्थित अंग्रेजी शराब के ठेके की पूर्व में भी ओवररेटिंग की कई शिकायतें इंस्पेक्टर थाना डालनवाला, आराघर पुलिस चौकी एवं पुलिस के उच्चाधिकारियों को दिनांक 30-07-2018/ 05-01-2019/24-01-2019/ 16-02-2019/08-01-2020 तथा 08-08-2020 को की हैं परन्तु आज भी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इतनी शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्यवाही ना होना यह स्पष्ट करता हैं,थाना डालनवाला एवं उच्चाधिकारियों का ओवररेटिंग करने वालों पर पूरा वरदहस्त हैं l
यहां इस मामले में वह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।
उत्तराखंड की जनता लूट रही है रोज परंतु जिम्मेदार अधिकारियों को क्या लेना।

साथ ही जल्द ही पुरानी ओवर-रेटिंग की सारी शिकायतों के सम्बन्ध में सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगी जाएगी की उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई।