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देहरादून: पासपोर्ट वेरिफिकेशन के समय LIU कर्मी द्वारा महिला से छेड़छाड़ मामला,SSP ने आयोग में पेश की रिपोर्ट आरोपी के विरुद्ध धारा 354 एवं 409 में एफआईआर दर्ज कर किया गिरफ्तार

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

देहरादून में एलआईयू(स्थानीय अभिसूचना)के सिपाही द्वारा पासपोर्ट आवेदन के सत्यापन के दौरान शराब,पैसे की डिमांड करना और युवती से शारीरिक छेड़छाड़ करना, शर्मनाक ओर गम्भीर।
सम्पूर्ण प्रकरण इस प्रकार हैं कि देहरादून में एलआईयू(स्थानीय अभिसूचना)के सिपाही द्वारा पासपोर्ट आवेदन के सत्यापन के दौरान एक युवती से शराब की बोतल और ₹ 500/- मांगे गए थे और ना देने पर सिपाही द्वारा शारीरिक छेड़छाड़ भी की गई।
यह प्रकरण देहरादून के बसन्त विहार थाना क्षेत्र का है यहां रहने वाली युवती ने पिछले दिनों पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, नियमानुसार इसकी एलआईयू जांच भी होती है इसके लिए एलआईयू के सिपाही केदार पंवार की ड्यूटी लगी थी। युवती के कहे अनुसार एलआईयू के सिपाही ने सत्यापन के दौरान कागजों में कई तरह की त्रुटियां बतानी शुरू कर दी और इसी दौरान उसने शारीरिक छेड़छाड़ शुरू कर दी युवती के विरोध करने पर वह दूर हट गया, इसके बाद सिपाही ने रुपए मांगे तो युवती ने उसे ₹ 500/- भी दे दिए। युवती ने यह भी आरोप लगाया कि सिपाही यहीं नहीं रुका उसने शराब की बोतल भी मांगी लेकिन युवती ने इंकार कर दिया।
युवती ने इसकी शिकायत पुलिस को कर दी थी युवती की शिकायत के आधार पर सिपाही केदार पंवार को निलंबित करने के बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले की गंभीरता से जांच के आदेश दिए गए हैं।
इस संवाददाता ने इस मामलें में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका कर निवेदन किया गया कि प्रकरण बहुत ही गंभीर है और सिपाही पर गंभीर तरह के आरोप लगे हैं, इसलिए जनहित न्यायहित में कार्यवाही कर निष्पक्ष जांच के आदेश कर रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें क्योंकि मामला एलआईयू के सिपाही से जुड़ा हुआ है। साथ ही इस प्रकार के शर्मनाक और गंभीर प्रकरण भविष्य में दोबारा ना हो इसके लिए गृहविभाग के उच्च अधिकारी को जनहित में कार्यवाही हेतु निर्देशित करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रकरण की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विजय कुमार बिष्ट तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को नोटिस जारी किया गया कि शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी द्वारा देहरादून में एलआईयू (स्थानीय अभिसूचना) के सिपाही द्वारा पासपोर्ट सत्यापन के दौरान शराब पैसे की डिमांड करना और युवती से शारीरिक छेड़छाड़ करना इस प्रकार के शर्मनाक और गंभीर प्रकरण भविष्य में दोबारा ना हो, के संबंध में जनहित में कार्यवाही हेतु शिकायत प्रस्तुत की है। न्यायहित में शिकायत की प्रति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को प्रेषित कर दी जाए वह इस संबंध में अपनी आख्या 4 सप्ताह में आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें।
मानवाधिकार आयोग के डीआईजी/एसएसपी देहरादून को दिनांक 23-12-2021 को कार्यवाही हेतु जारी आदेशों के बाद दिनांक 25 फरवरी 2022 को पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा पुलिस अधीक्षक मुख्यालय जनपद देहरादून से आख्या प्राप्त कर आयोग में प्रेषित की गई कि पीड़िता वादिनी की लिखित तहरीर के आधार पर विपक्षी एलआईयू कर्मी केदार पंवार के विरुद्ध दिनांक 05-02-2022 को थाना बसंत विहार पर मुकदमा अपराध संख्या 230/21 धारा 354/409 भा.द.वि. पंजीकृत किया गया है, तथा तददिनांक को ही अभियुक्त एलआईयू कर्मी केदार पंवार पुत्र नामु सिंह उपरोक्त को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया है। इसके उपरांत विवेचक द्वारा मुकदमा उपरोक्त की विवेचना में धारा 409 भा.द.वि. का लोप किया गया है। विवेचना में पीड़िता/वादिनी के धारा 164 दं.प्र.सं.के अंतर्गत बयान अंकित कराकर निरीक्षण घटनास्थल व गवाहों के बयान अंकित किए जा चुके हैं, विवेचना वर्तमान में प्रचलित है। प्रकरण के संबंध में एलआईयू कर्मी केदार पंवार के विरुद्ध उपरोक्तानुसार अभियोग पंजीकृत होकर अभियुक्त की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
आयोग द्वारा डीआईजी/एसएसपी देहरादून द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद आदेश जारी किए गए कि पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा आख्या दाखिल की गई है।
आख्या की प्रति शिकायतकर्ता को भेजी जाए कि यदि वे चाहें तो अपना प्रतिउत्तर नियत तिथि से पूर्व आयोग के समक्ष दाखिल कर सकते हैं।

क्या हैं धारा 354-
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर हमला या जोर जबरदस्ती करता है, तो उस पर आईपीसी की धारा 354 लगाई जाती है. जिसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

क्या हैं धारा 409-
लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
सजा – दस वर्ष कारावास और आर्थिक दंड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।