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उत्तराखंड: केदारनाथ में एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम पर मुख्य सचिव को तत्काल कार्यवाही हेतु निर्देश जारी

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

केदारनाथ तक पहुँच के लिए हेलीकॉप्टर की सुरक्षित उड़ान को लेकर कोई इंतजाम नही हैं, एयर कंट्रोल रूम स्थापित नहीं हैं जबकि वर्ष 2010 से 2018 तक केदारनाथ क्षेत्र में सात हेलीकॉप्टर क्रैश होने से हादसे में सेना के 20 जवानों सहित 23 लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं ओर कई लोग घायल हुए हैं परंतु संबंधित विभाग फिर भी गंभीर नहीं

जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ तक पहुंचने के लिए प्रदेश सरकारों ने हेलीकॉप्टर सेवाओं को बढ़ावा तो दिया परंतु सुरक्षित उड़ान हेतु कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है।

वर्तमान तक एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम तक स्थापित नहीं किया गया है जिस कारण यहां हवा की दशा और दबाव की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, ऐसे में कभी भी हवाई दुर्घटना का कारण बन सकता है, यह सब देखते हुए भी संबंधित विभाग यूकाडा व शासन गंभीर नहीं है जबकि मामला स्पष्ट रूप से आम जनता की जान माल की हानि से जुड़ा हुआ है, गौरीकुंड से केदारनाथ तक गहरी संकरी घाटी है, जिससे गुजरकर हेलीकॉप्टर केदारनाथ पहुंचते हैं। यहां हल्की सी बारिश हुई नहीं की कोहरा छाने लगता है।

वर्ष 2010 से 2018 तक केदारनाथ क्षेत्र में सात हेलीकॉप्टर क्रैश होने से हादसे में सेना के 20 जवानों सहित 23 लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं ओर कई घायल भी हुए हैं।

इस संवाददाता द्वारा उपरोक्त मामलें में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि शिकायत का विषय स्पष्ट रूप से आमजनता की जानमाल की हानि से जुड़ा हुआ है और जल्द ही चार धाम यात्रा भी शुरू होने वाली है, इसलिए जनहित न्यायहित में संबंधित विभाग को तत्काल ही कार्यवाही हेतु निर्देशित करने की कृपा कर रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें ।

मानवाधिकार आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए जनहित याचिका में संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को नियमानुसार एवं विधि अनुसार उचित एवं शीघ्र कार्रवाई हेतु निर्देशित किया गया।

One Reply to “उत्तराखंड: केदारनाथ में एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम पर मुख्य सचिव को तत्काल कार्यवाही हेतु निर्देश जारी

  1. सरकार जब भी कोई विकास की गतिविधि शुरू करती है या योजना जनता के लाभ हेतु शुरू करती है तो उस समय तकनीकी तथ्य तथा सुरक्षा संबंधी सभी इंतजाम पुख्ता किए जाते है लेकिन पिछले कई वर्षों से यह देखा गया है कि राजनैतिक लाभ तथा वाहवाही लूटने के लिए कई सरकारी योजनाएं शुरू कर दी जाती है तथा धन भी व्यय कर दिया जाता है भले ही वह बाद में या तो बंद हो जाती हैं या फिर प्रबंधन में कमी के कारण पूरी तरह से चालू नही हो पाती है। उत्तराखंड में यह विशेष है क्योंकि राजनेताओं का जो स्तर है एवम योग्यता है वह सर्व विदित है। उदाहरण के तौर पर पिथौरागढ़ की उड़ान योजना के अंतर्गत शुरू हुई वायुयान सेवा का ठप हो जाना, हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए कोई टावर व्यवस्था न होना आदि हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि जो छोटे से प्रशासनिक मामले है उन्हे भी माननीय उच्च न्यायालय में पी आई एल तथा मानवाधिकार आयोग आदि निपटाने में लगें है।
    उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में उच्च न्यायालय एवम मानवाधिकार आयोग आदि में दिन प्रति दिन बढ़ते मामले प्रशासनिक असंवदेनशीलता, रुचिहीनता एवम राजनैतिक अयोग्यता का द्योतक हैं।

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