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देहरादून:श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में इंटरवेंशनल पल्मोनॉल्जी से मरीज़ का जीवन बचाया

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में इंटरवेंशनल पल्मोनॉल्जी से मरीज़ का जीवन बचाया
 81 वर्षीय मरीज़ को 2 स्टेंट लगाकर वेंटीलेटर सपोर्ट से बाहर निकाला

देहरादून: श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के छाती एवम् श्वास रोग विभाग के डॉक्टरों ने 81 वर्षीय मरीज़ का जीवन बचाया। खाने की नली में कैंसर की गांठ की वजह से संास की नली पर दबाव बढ़ गया था, जिसकी वजह से संकरी नली से मरीज़ को सांस लेने में भारी कठिनाई होनी लगी, परेशानी इतनी बढ़ गई कि मरीज़ वेंटीलेटर सपोर्ट पर चला गया। मेडिकल साइंस में इस अवस्था को रेस्पीरेट्री फेलियर कहा जाता है। छाती एवम् श्वास रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम ने तत्काल एक्शन कर मरीज़ की जान बचाई। इलाज के बाद मरीज़ को डिस्चार्ज कर दिया गया है। यह प्रोसीजर इस लिए भी विशेष है क्योंकि सांस की नली में इस प्रकार 2 स्टेंट का एक साथ लगाया जाना बहुत सीमित मामलों में किया जाता है। यह जानकारी छाती एवम् श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगदीश रावत ने दी।

काबिलेगौर है कि 81 वर्षीय प्रेमनगर देहरादून निवासी मरीज़ को खाने की नली में कैंसर की गांठ सम्बन्धित परेशानी है। लंबे समय से मरीज़ बीमारी का उपचार ले रहे हैं। अचानक स्वास्थ्य बिगडने पर परिजन मरीज़ को उपचार के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल लेकर आए। बॉन्कोस्कोपी करने पर पता चला कि मरीज़ की सांस की नली गांठ के कारण संकरी हो गई है। नली के रास्ते को खोलने के लिए तत्काल 2 स्टेंट लगाए गए जिनको डालते ही मरीज़ को वेंटीलेटर सपोर्ट से हटाकर सामान्य अवस्था में ले आए। यदि विलम्ब होता तो मरीज़ की जान को खतरा हो सकता था। दो दिन के उपचार के बाद मरीज़ को छुट्टी दे दी गई। मरीज़ को किसी प्रकार के ऑक्सीजन सहयोग की आवश्यकता नहीं है।
प्रोसीजर को सफल बनाने में डॉ देव सिंह जंगपांगी, डॉ रितिशा भट्ट, डॉ तेजस सूद, डॉ अभय प्रताप सिंह का योगदान रहा। एनेस्थीसिया विभाग के डॉ आशुतोष, टैक्नीशियन संजीव, नर्सिंग स्टाफ अजीत ने प्रोसीजर को सफल बनाने में सहयोग दिया।