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सीएम योगी ने केहा, समाजवादी भी सनातनी हो गए

लखनऊ। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाजवादी से सनातनी हो गए हैं नेता प्रतिपक्ष। समाजवादी जब अंतिम पायदान पर खड़ा होता है तो उसे धर्म की याद आती है। अच्छा लगा कि आपने महाकुंभ, सनातन परंपरा व अयोध्या धाम को स्वीकार किया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष समाजवादी से सनातनी हो गए हैं। स्वभाव के विपरीत उन्होंने अपने सदस्यों को टोका भी, यह स्वागतयोग्य है कि आपने इस विषय को समझा और महत्व देकर सम्मान का भाव प्रकट किया। नेता प्रतिपक्ष को आपत्ति थी कि भाजपा ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में तथा राज्यपाल के अभिभाषण में महाकुंभ को वैश्विक स्तर का आयोजन बनाने का उल्लेख क्यों किया?

नेता प्रतिपक्ष की आपत्तियों पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जिन महापुरुषों ने भारत में जन्म लिया, मैं उन सभी को मानता हूं। मुख्यमंत्री आवास पर निरंतर गुरुवाणी का पाठ हो रहा है। जिससे सनातन धर्म को मजबूती प्रदान होती हो, उन सबके प्रति हमारे मन में श्रद्धा का भाव है। मैं बुद्ध, जैन परंपरा (सभी तीर्थंकरों) को मानता हूं। भगवान बुद्ध, जैन तीर्थंकरों, सिख परंपरा, कबीरपंथी, रविदासी, महर्षि वाल्मीकि की परंपरा या भारत के अंदर जन्मी हर उस उपासना विधि का, जिससे सनातन धर्म को मजबूती प्रदान होती हो और देश एक भारत, श्रेष्ठ भारत के रूप में आगे बढ़ता है, उन सबके प्रति हमारे मन में श्रद्धा व सम्मान का भाव है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की टिप्पणी से बात का आगाज किया। उन्होंने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि मानव का मानव होना उपलब्धि है, मानव का दानव होना पराजय और मानव का महामानव होना उसकी विजय है। मानव, दानव व महामानव (देव) तीनों श्रेणी सदा रही हैं। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि महर्षि कश्यप की दो रानियां थीं। एक से देव व दूसरे से दानव हुए।

मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष से कहा कि 2013 में आपको कुंभ में जाने नहीं दिया गया था। इस बार आप गए थे। आपने स्नान किया, सुविधाओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। व्यवस्था सरकार की थी। महाकुंभ में यदि विश्वस्तरीय सुविधा नहीं होती तो अब तक 63 करोड़ श्रद्धालु उसका हिस्सा नहीं बनते। अनुमान है कि 26 फरवरी तक यह संख्या 65 करोड़ पार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी और वामपंथियों को महाकुम्भ में सनातन की सुंदरता नजर नहीं आई। उन्होंने विपक्ष को महाकुंभ का दुष्प्रचार करने पर आड़े हाथों लिया। विपक्ष द्ने महाकुंभ में एक जाति विशेष को वहां जाने से रोकने की बात कही, किसी जाति को रोका नहीं गया था। हमने कहा था कि महाकुंभ में जो सद्भावना से जाएगा उसका स्वागत है। जो दुर्भावना से जाएगा उसकी दुर्गति भी होगी। महाकुंभ में यदि किसी ने अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास किया तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

उन्होंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के एक साथ एक घाट पर स्नान करना ही सच्चा सनातन धर्म है। ऐसा आयोजन पहली बार हुआ और दुनिया में ऐसा आयोजन कहीं नहीं होता है। यह हमारे लिए गौरव का विषय होना चाहिए। गत वर्ष अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ। उसको भी पूरी दुनिया ने देखा। इस वर्ष महाकुंभ के आयोजन के साथ हमें जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। वहीं महाकुंभ के साथ-साथ अयोध्या और काशी को नजदीक से देखने का अवसर आमजन को प्राप्त हुआ है। यह दो महा आयोजन अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर रामलला का विराजमान होना और महाकुंभ का आयोजन इन दोनों ने ही एक भारत श्रेष्ठ भारत को दर्शाया है। यह प्रधानमंत्री के विजन में मिल का पत्थर साबित होगा।

महाकुंभ में भेदभाव की बात कहने वालों ने भी देखा होगा कि बिना किसी भेदभाव के सभी एक साथ एक घाट पर स्नान कर रहे हैं। इससे बड़ी एकात्मता और एकता का संदेश नहीं हो सकता है। यही सच्चा सनातन धर्म भी है।

विपक्ष ने नॉन सनातनी को कुंभ का प्रभारी बनाया था, मैं खुद लगातार महाकुम्भ की समीक्षा कर रहा हूं। हमने समाजवादी पार्टी की तरह आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया। उनके समय में मुख्यमंत्री को फुर्सत नहीं थी कि वे उस आयोजन को देख सकें, उसकी समीक्षा कर सकें। यही वजह है कि 2013 के कुम्भ में जो भी गया, उसे अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और प्रदूषण देखने को मिला। मां गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करने लायक पानी नहीं था। मारिशस के प्रधानमंत्री ने स्नान करने से ही इंकार कर दिया था। इस बार देश और दुनिया को कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो महाकुंभ में शामिल न हुआ हो। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, भूटान के नरेश समेत 74 देशों के राजनायिक और कई देशों के मंत्री शामिल हुए।

वामपंथियों और समाजवादियों की वाल पर सिर्फ विषवमन देखने को मिला। सीएम ने कहा कि सोशल मीडिया हैंडल पर एक सज्जन ने महाकुंभ का विरोध करने वालों पर सटीक टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि पिछले डेढ़ महीने में आप वामपंथियों और समाजवादियों की वॉल खंगाल लीजिए, वहां महाकुंभ को लेकर विषवमन के अलावा कुछ नहीं दिखेगा। उनकी वाल पर गंदगी, अव्यवस्था, पर्यटकों की परेशानी के अलावा दूसरा कुछ भी नहीं मिलेगा, लेकिन इन सभी से इतर धरातल पर इनकी बजबजाती विचारधारा का कोई असर नहीं है। हज के दौरान अव्यवस्था से होने वाली सैकड़ों मौतें किसी से छुपी नहीं हैं।

भारत के वामपंथी, सेकुलर स्कालर महाकुंभ की भव्यता पर उल्टी करते नजर आए हैं। हर बार उनकी कोशिश महाकुंभ को बदनाम करने और फेल करने की रही है, लेकिन ऐसे तमाम लोगों की मनसा को दरकिनार करते हुए करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर उनके जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।

उन्होंने आगे लिखा है कि महाकुंभ के दौरान दुखद हादसा हुआ। इसके बाद भी आस्था और विश्वास तमाम परेशानियों पर भारी पड़ी। तीर्थ यात्री समस्त परेशानी और मुश्किलों का पहाड़ चढ़ करके भी प्रयागराज महाकुंभ पहुंचे। महाकुंभ से निकला संदेश हर सनातनी के मन में अमिट छाप छोड़ गया।

महाकुंभ में ज‍िसने जो तलाशा, उसको वह म‍िला

सीएम योगी ने कहा कि किसी ने सच कहा कि महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसको वह मिला है। महाकुंभ में गिद्धों को केवल लाश मिली है, सुअरों को गंदगी मिली, संवेदनशील लोगों को रिश्तों की खूबसूरत तस्वीर मिली, आस्थावान को पुण्य मिला, सज्जनों को सज्जनता मिली, गरीबों को रोजगार मिला, अमीरों को धंधा मिला, श्रद्धालुओं को साफ सुथरी व्यवस्था मिली, पर्यटकों को व्यवस्था मिली, सद्भावना वाले लोगों को जाति रहित व्यवस्था मिली तथा भक्तों को भगवान मिले। इससे साफ है कि सब ने अपने स्वभाव और चरित्र के अनुसार चीजों को देखा है।सनातन की सुंदरता आखिर समाजवादी और वामपंथियों को कैसे नजर आएगी।

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