लगातार बढ़ रहा प्रदूषण
खासकर ग्रीष्म और शीत के चरम पर रहने पर वायु प्रदूषण का स्तर भी शीर्ष पर पहुंच जाता है। भले ही केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत दून में भी आबोहवा को दूषित होने से बचाने के प्रयास किए तो जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल यह नाकाफी साबित हो रहे हैं। दून में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाहनों के धुएं और खुले में उड़ रही धूल-मिट्टी से ही होता है।
पीएम-2.5 स्वास्थ्य के लिए ज्यादा घातक
काबर्न मोनो आक्साइड वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक
वायु प्रदूषण में ज्यादा समय तक रहने पर गंभीर परिणाम
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। पीएम-2.5 के अधिक समय तक संपर्क में रहने से हृदय व फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा के दौरे, श्वसन संबंधी समस्याएं होने का खतरा है।
ये प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव मुख्य रूप से शिशुओं, बच्चों और पहले से हृदय या फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे वयस्कों के लिए घातक होते हैं। पीएम-10 के अधिक संपर्क में रहने से भी मुख्य रूप से अस्थमा और क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) समेत अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
भाजपा-कांग्रेस ने दून को हरा-भरा बनाने का किया वादा
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों की पार्टियों के महापौर प्रत्याशियों ने शहर को हरा-भरा बनाने और प्रदूषण की रोकथाम को उपाय करने की बात कही है। भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल के घोषणा पत्र में हर वार्ड को ग्रीन वार्ड बनाने, पार्कों को विकसित करने, हरियाली सड़क अभियान आदि चलाने की बात कही गई है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल पहले दिन से ही दून में हर वर्ष ढाई लाख पौधे रोपने की बात कह रहे हैं। उन्होंने दून को हराभरा बनाने के लिए अपनी योजना बताई है।