भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
जिला कारागार देहरादून में खुलेआम जेल के अधिकारियों की आँखों के आगे चल रहा अवैध वसूली का खेल जेल के सर्किल अफ़सर द्वारा जेल में बंदी एक व्यक्ति को अन्य लोगों से धमकवाना, उससे धन की अवैध वसूली करना खाने का सामान छीनना आदि अन्य प्रकार से मानसिक उत्पीड़न करना ।
समस्त मामला इस प्रकार हैं कि जिला कारागार देहरादून में नियुक्त एक सर्किल अफ़सर के द्वारा जेल में बंद अन्य लोगों से बंदी को धमकवाना, उससे धन की अवैध वसूली करना खाने का सामान छीनना आदि अन्य प्रकार से घोर उत्पीड़न किया गया ।
एक व्यक्ति पिछले दिनों जेल में लगभग एक माह तक बंद रहा जेल में बंद रहने के दौरान उसको जेल में नियुक्त एक सर्किल अफसर जिसकी ड्यूटी हमेशा गुमटी में ही रहती है उसके द्वारा जेल में बंद व्यक्ति को जेल में बंद अन्य लोगों से धमकवाकर डरा कर पैसे की मांग की गई तथा जो भी इसके पास अच्छा खाने पीने का ड्राईफ्रूट आदि सामान था वह भी छीन लिया गया और ₹10,000(दस हज़ार) की मांग की गई परंतु ₹10000(दस हज़ार)देने का बंदी व्यक्ति द्वारा विरोध करने पर उसको जेल में स्थित कैंटीन से भी खाने का सामान लेने में दिक्कत पैदा की जाने लगी और आखिर में हार मान बंदी व्यक्ति ने इस सर्किल अफसर से हाथ जोड़कर कहा कि आपको पैसे में जब जमानत पर जेल से बाहर आऊंगा तब दे दूंगा मुझे परेशान मत करो तब जाकर उसके बाद से उसे कैंटीन में खाने का समान मिलने लगा ।
इसके बाद जेल में बंद व्यक्ति की जब जमानत हो गई तब सर्किल अफसर ने उससे कहा कि अब तो तुम्हारी जमानत हो गई है और तुमने मुझे जो ₹10000(दस हज़ार) देने का जो वादा किया है वह जेल से बाहर जाकर जेल के बाहर जो रावत नाम का ढाबा है उस ढाबे वाले को वह पैसे दे देना मैं तुम्हारे को एक नंबर दे रहा हूं जो मेरा है यह नंबर उस ढाबे वालों को दिखाओगे तो वह पैसे ले लेगा इसके बाद उस व्यक्ति ने बाहर आकर अपने जानने वालों से पैसे लेकर उस ढाबे वाले को दे दिए ।
जेल में बंद रहने के दौरान बंदी व्यक्ति ने यह बात नोट की कि वह जितने दिन भी जेल में रहा इस सर्किल अफसर की ड्यूटी गुमटी पर ही लगी रहती थी अथवा जेल के अधिकारियों द्वारा सर्किल अफ़सर की ड्यूटी गुमटी पर ही लगाई जाती है । गुमटी जेल का वह स्थान है जहां से जेल की लगभग समस्त गतिविधियां संचालित होती हैं जैसे कि बंदियों को खाना बांटना, बंदियों द्वारा कैंटीन से सामान लेना, बंदियों द्वारा फोन करना आदि साथ ही अगर जेल की बैरिकों में कोई भी घटना घटित होती है तो बंदियों द्वारा उसकी शिकायत सर्वप्रथम गुमटी पर तैनात सर्किल अफ़सर को ही की जाती है । कुल मिलाकर यह मतलब निकलता है कि जेल किस तरह चलानी है यह इस सर्किल अफसर के हाथ में ही है ।
इस संवाददाता द्वारा इस अत्यन्त ही गम्भीर मामलें में जो स्पष्ट रूप से जनहित से जुड़ा हुआ हैं के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री भारत गृह मंत्री भारत तथा मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में शिकायत भेज कर निवेदन किया गया कि मामला अत्यंत ही गंभीर और संवेदनशील है क्योंकि यह जेल में बंद कैदियों के घोर मानसिक उत्पीड़न उनसे अवैध वसूली आदि का है इसलिए इस अत्यंत गंभीर प्रकरण की उत्तराखंड गृह विभाग से उच्च स्तरीय जांच करवाने एवं कार्यवाही करने की कृपा करें क्योंकि जो इस बंदी व्यक्ति के साथ हुआ हैं ऐसा अन्य बंदियों के साथ भी होता होगा और जेल में यह सब होने की क्या जेल अधिकारियों को ख़बर नहीं होगी । साथ ही जेल के इस सर्किल अफसर की गुमटी पर ड्यूटी लगाने संबंधी रिपोर्ट भी मंगवाने की कृपा करें कि कितने समय से इसकी ड्यूटी गुमटी पर है तथा जेल के नियमों के अनुसार जेल में नियुक्त अधिकारियों कर्मचारियों की कितने कितने समय तक एक ही स्थान पर ड्यूटी रहती है।
मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की सुनवाई तत्काल डबल बैंच में की गई ओर जस्टिस अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य राम सिंह मीना द्वारा पुलिस महानिरीक्षक जेल उत्तराखंड को कार्यवाही हेतु निर्देश जारी कर मामलें में अपनी आख्या सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया ।