भूपेन्द्र लक्ष्मी
उत्तराखंड के जिला देहरादून के प्रेस क्लब में स्पेक्स नामक एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा हैं ने दिनाँक 28-10-2021 को प्रैस वार्ता आयोजित कर जानकारी दी कि उनके द्वारा जून से सितंबर, 2021 तक सरसों के तेल में मिलावट के परीक्षण के लिए अभियान शुरू किया गया जिसमें स्पेक्स से जुडे़ स्वयं सेवकों ने उत्तराखंड के 20 स्थानों-
देहरादून, विकास नगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, राम नगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से 469 नमूने एकत्र किए जिनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए।
उपरोक्त नमूनों में पीले रंग यानी मेटानिल पीला, सफेद तेल, कैटर ऑयल, सोयाबीन और मूंगफली जिसमें सस्ते कपास के बीज का तेल होता है, और हेक्सेन की मिलावट का अधिक प्रतिशत पाया गया ।
बड़ी संख्या में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन ही है, और यह हमेशा मांस या सब्जियों की गुणवत्ता के बारे में नहीं होता है बल्कि भोजन के तेल की गुणवत्ता के बारे में भी होता है।
सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है जिससे जल शोथ (Ascites) रोग होते हैं,इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है, जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, परन्तु लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
इस संवाददाता ने इस अत्यंत ही गंभीर प्रकरण में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि उपरोक्त प्रकरण बहुत ही गंभीर है और स्पष्ट रूप से आमजनता की जानमाल की हानि से जुड़ा हुआ है इसलिए शिकायत पर तत्काल सुनवाई करते हुए कार्यवाही करने की कृपा करें, साथ ही जल्द से जल्द मामले की रिपोर्ट मंगवा कार्यवाही हेतु निर्देशित करने की कृपा कर कोई भी नजदीक की तिथि सुनाई हेतु नियत करने की कृपा करें क्योंकि प्रकरण बहुत ही गंभीर है।
मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की सुनवाई तत्काल डबल बैंच में की गई ओर जस्टिस अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य राम सिंह मीना द्वारा द्वारा आदेश पारित किए गए कि शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी ने स्पेक्स नाम एनजीओ के सचिव, डा0 बृजमोहन शर्मा की रिर्पोट द्वारा मिलावट के परीक्षण के लिए चलाये गये अभियान में सरसों के तेल के 469 नमूनों में से 415 नमूने फेल होने तथा उत्तराखण्ड के 20 स्थानों पर मिलावट की स्थिति होने एवं जनहित में जल्द से जल्द कार्यवाही किये जाने की शिकायत प्रस्तुत की है। न्यायहित में शिकायत की प्रति सचिव खाघ्य विभाग उत्तराखण्ड शासन को भेज दी जाय ओर सचिव खाघ्य इस सम्बन्ध में निर्देशित किया जाता हैं कि जांच कराकर अपनी आख्या 04 सप्ताह में आयेाग के समक्ष प्रस्तुत करे।
परंतु स्पष्ट रूप से आम जनता की जान माल की हानि से जुड़े इस अत्यंत ही गंभीर मामले में सचिव खाद्य उत्तराखंड शासन ने शायद गंभीरता से नहीं लिया इसलिए नियत तिथि पर अपनी जांच रिपोर्ट आयोग में प्रस्तुत नहीं की, आयोग द्वारा इसे अत्यंत ही गंभीरता से लेते हुए सचिव खाद्य को आदेशित किया गया है कि 4 सप्ताह के अंदर अपनी आख्या अवश्य दाखिल करें। आयोग के आदेश की अपेक्षानुरूप कार्यवाही न किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोपरांत यथोचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे।
आयोग द्वारा जवाब ना देने पर खाद्य सचिव को कार्यवाही हेतु नोटिस भेजते ही कार्यालय आयुक्त खाद्य संरक्षा एवम ओषधि प्रशासन उत्तराखंड देहरादून के अभिहित अधिकारी, मुख्यालय द्वारा आयोग को अपना जवाब भेज कर कहा गया कि-
*अभिहित अधिकारी मुख्यालय द्वारा आयोग भेजा गया जवाब*
*”उक्त प्रकरण में संबंधित एनजीओ द्वारा किस अधिसूचित व NABL प्रत्यायित प्रयोगशाला में जांच की गई व नमूना संग्रहण हेतु निर्धारित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित किए जाने का उल्लेख शिकायती पत्र में नहीं है। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा अपमिश्रण से संबंधित प्राप्त शिकायतों पर नियमानुसार आवश्यक जांच कराई जाती है व अधिनियम के प्राविधानों के तहत नियमानुसार नमूना संग्रहित कर जांच हेतु खाद्य प्रयोगशाला को प्रेषित किया जाता है।*
*स्पेक्स एनजीओ के सचिव *डॉ.बृजमोहन शर्मा ने अपने प्रेस नोट में यह नही बताया कि कहा-कहा से लिए सैंपल*
शिकायतकर्ता द्वारा अभिहित अधिकारी मुख्यालय द्वारा भेजे गए जवाब के संबंध में यह उत्तर दिया गया कि स्पेक्स एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा द्वारा अपनी प्रैस वार्ता में यह सार्वजनिक तौर पर बताया गया था कि सरसों के तेल के 469 नमूने एकत्र किए थे जिनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए और इस मिलावटी सरसो के तेल को प्रयोग करने से लोगों की सेहत पर विपरीत गंभीर परिणाम हो सकते हैं,परन्तु
*डॉ.बृजमोहन शर्मा ने प्रेस वार्ता में अपने प्रेस नोट में यह लिखित में नही बताया कि कौन-कौन सी कंपनी कौन-कौन से मार्का का सरसों का तेल मिलावटी हैं और किन-किन दुकानों,संस्थानों आदि से सैम्पल एकत्र किए गए तथा किस- किस प्रयोगशाला में सरसों के तेल के नमूनों की जॉच की गई।*
शिकायतकर्ता ने आयोग से निवेदन किया कि आमजनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वालें सरसों के तेल के मार्का, कम्पनी आदि तथा जिन दुकानों ,संस्थानों से तेल के सैम्पल लिए गए तथा किस- किस प्रयोगशाला में सरसों के तेल के नमूनों की जॉच की गई उन सबकी जानकारी/रिपोर्ट व्यापक जनहित में स्पेक्स एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा से मंगवाने की कृपा कर कार्यवाही करने की कृपा करें।
आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल स्पेक्स NGO के सचिव डॉक्टर बृजमोहन शर्मा को 4 सप्ताह में अपना जवाब देने हेतु नोटिस जारी किए गए हैं।