भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
निम्न पंक्तियाँ मेरी प्यारी बिटिया सृष्टि(मयूरी) द्वारा रचित की गयी हैं ।
जिंदगी एक चुनौती है’………..
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है यहाँ हर मोड़ पर चुनौतियों को अपनाकर परीक्षा देनी पड़ती है । जिस में गिरना भी है और गिर कर उठना भी है पर हारना नहीं है ।
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है साहब सफर कितना भी मुश्किल क्यों ना हो मंजिल तक पहुंचने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता ही है ।
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है साहब हालात बदलने के लिए ख्वाहिशों को कम करना पड़ता ही है ।
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है साहब कुछ इस तरह मैं अपनी जिंदगी के तजुर्बे को आप लोगों के साथ साझा करना चाहूँगी !
वह दिन था 15 मार्च 2019 का जब मैं स्कूल में परीक्षा दे रही थी अनुमान भी नहीं लगाया था कुछ इस प्रकार हो जाएगा जब मेरी प्यारी माँ मुझसे बिछुड़ जाएगी सोचा नहीं था रास्ता बदल जाएगा मंजिलें बदल जाएंगी सपने टूट जाएंगे जिंदगी बिखर जाएगी सब कुछ अधूरा-अधूरा खाली-खाली सा हो जाएगा ।
पर माँ के जाने के बाद फिर एक चुनौती आई जिंदगी में जिस में संभलना भी था संभालना भी था चुप कराना भी था और रोना भी था पर रोते हुए दिखना भी नहीं था खुश रहना भी था ख़ुशी देनी भी थी ।
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है साहब अभी कुछ दिन ही बीते हैं माँ अपनी बेटी को रसोई में घुसने नहीं देती थी आज उसी माँ की बेटी को खाना बनाना आ ही गया अंधेरी रात में सुबह ढूंढने मकसद मिल ही गया ।
क्योंकि जिंदगी एक चुनौती है साहब चुनौती का सामना किया जिसमें गिरी भी उठकर चली भी चलना ही था क्योंकि चुनौती थी सामना तो करना ही था ।
जिन्दगी ने इस तरह इम्तिहान लेना शुरू किया कि मैंने मासूमियत को अलविदा कह उससे रूबरू होने की क़ाबलियत पा ली ये या तो उसका गुरूर था या मेरी जीत मालूम नहीं शायद जिन्दगी के मायने यही तो नहीं ?
पर जिंदगी का नाम है जीना तो जीना सीखना ही था क्योंकि जिन्दगी एक चुनौती है साहब।सृष्टि