भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
स्लॉटर हाउस बंद हैं ओर दुकानों में जानवर काटने की अनुमति नहीं तो आखिर बिना डॉक्टरी जांच की व्यवस्था के जानवर आखिर कट कहां रहे हैं ।
मामला इस प्रकार हैं कि बकरों/जानवरों आदि को काटने से पूर्व स्लॉटर हाऊस में पशु चिकित्सकों द्वारा उनकी स्वास्थ्य जाँच किये जाने के संबंध में कि कही ‘मांस विक्रेताओं द्वारा जनता को अस्वस्थ बकरों/जानवरों आदि का मांस विक्रय कर उनकी जान से खिलवाड़ तो नही किया जा रहा हैं और जो फ्रोज़न मांस विक्रेता विक्रय कर रहे हैं, उस पर अधिकतर जगह उसकी मैन्यूफैक्चरिंग तिथि ओर एक्सपायर तिथि अंकित ना होना तथा बिना लाइसेंस धारकों द्वारा दुकानों या अपने घरों/ठिकानों पर बिना डॉक्टरी जाँच के जानवर काटना साथ ही मनमर्जी से कभी भी मांस के दाम बढ़ा ओवररेटिंग करना परंतु कोई भी रोकने वाला नहीं’ ।
यह संवाददाता वर्ष 2018 से आमजनता की जान-माल की हानि से स्पष्ट रूप से जुड़े इस मामलें में लगातार कार्यवाही हेतु कार्य कर रहा हैं परंतु कहीं भी जिला प्रशासन नगर निगम जिलापूर्ति विभाग और खाद्य विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती नजर नहीं आती शायद कभी दिखावे और खानापूर्ति के लिए कार्रवाही कर भी देते होंगे, सारे के सारे कार्यवाही करने वाले मौनी बाबा बने हुए हैं ।
इस संवाददाता द्वारा इस अत्यंत ही जनहित के प्रकरण में सर्वप्रथम दिनांक 19-2-2018 को जिलाधिकारी देहरादून के जनता दरबार में शिकायत दर्ज करवाई गई कि जिला देहरादून के नगर एवं बाहरी क्षेत्रों में मांस विक्रेताओं द्वारा कही स्वास्थ्य विभाग से मिलीभगत कर अस्वस्थ बकरों, जानवरों का मांस विक्रय कर आमजनता की जान से खिलवाड़ तो नहीं किया जा रहा इसलिए इस संबंध में तत्काल जनहित में कार्यवाही करने की कृपा करें, परंतु हुआ क्या सारे के सारे मोनी बाबा विभाग मौन रहे ।
इसके पश्चात दिनांक 10-6-2020 को इस संवाददाता द्वारा मानव अधिकार आयोग उत्तराखंड में शिकायत दर्ज करवाई गई की जिला देहरादून में मांस विक्रेताओं द्वारा मनमाने अधिकतम दामों पर मांस विक्रय किया जा रहा है साथ ही अत्यंत ही गंभीर की जानवरों को काटने से पूर्व उनकी स्वास्थ्य संबंधी जांच में भी खुलेआम लापरवाही बरती जा रही है साथ ही जो फ्रोजन मांस बेचा जा रहा है उस फ्रोजन मांस में भी ना तो मैन्युफैक्चर तिथि अंकित रहती है ना ही एक्सपायर तिथि अंकित रहती है । यह स्पष्ट रूप से आमजनता की जान से खिलवाड़ है ।
मानवाधिकार आयोग शिकायत दर्ज होने के पश्चात तत्काल मामलें पर सुनवाई पश्चात आयोग के सदस्य राम सिंह मीना द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी देहरादून को कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया ।
आयोग के आदेशों पश्चात जिलाधिकारी देहरादून इस अत्यंत ही गंभीर मामले में जागृत हुए और उनके द्वारा द्वारा नगर निगम देहरादून को कार्यवाही हेतु आदेशित कर संपूर्ण मामले में रिपोर्ट तलब की गई जिलाधिकारी देहरादून के नोटिस के क्रम में जवाब देते हुए उप नगर आयुक्त ने जवाब दिया कि भंडारी बाग में संचालित हो रहे जिस स्लाटर हाउस में भेड़ बकरों का वध किया जाता था और जानवरों के वध से पहले पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता था परंतु यह व्यवस्था 26 फरवरी 2020 से बंद है इससे यह साफ हो गया कि जो व्यवस्था जानवरों के कटने से पूर्व उनकी स्वास्थ्य परीक्षण संबंधी थी, वह ठप हो गई है साथ ही उप नगर आयुक्त द्वारा जिलाधिकारी देहरादून को उत्तर दिया गया कि मांस विक्रेताओं को अपनी दुकान पर जानवरों को काटने की अनुमति नहीं है । अरे भई अगर स्लॉटर हाउस बंद हैं ओर दुकानों में जानवर काटने की अनुमति नहीं तो आखिर बिना डॉक्टरी जांच की व्यवस्था के जानवर आखिर कट कहां रहे हैं । क्या पता बीमार जानवरों को भी काट कर आमजनता की जान से खेल किया जा रहा हो परंतु कार्यवाही के लिये जिम्मेदार संबंधित मौनी बाबा विभागों की आंखें बंद हैं साथ ही मांस विक्रेताओं द्वारा की जा रही ओवररेटिंग के बारे में उप नगर आयुक्त द्वारा जिलाधिकारी को जवाब दिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा अभी मांस को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सूचीबद्ध ना होने के चलते दामों पर नियंत्रण लगाना संभव नहीं है परंतु भईया अगर केंद्र ने ओवररेटिंग के बारे में कुछ नहीं करा तो जनता को लुटने देंगे क्या आप और यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन जिलाधिकारी देहरादून और जिलापूर्ति अधिकारी की तो कम से कम बनती ही है, परंतु कुछ नहीं लुट रही हैं बेचारी जनता ।
साथ ही बिना लाइसेंस धारक दुकानदारों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से खाद्य विभाग की है परंतु वह भी मौनी बाबा का रूप धारण किए हुए हैं ।
उप नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून द्वारा इस अत्यंत ही गंभीर मामले में जिलाधिकारी देहरादून को उनके आदेशों पर क्या कार्यवाही की गयी यह जवाब तो दिया नही क्योकि कार्यवाही तो कुछ की नही होगी ! परंतु बहुत ही गजब का जवाब दिया है कि यदि आप ‘सहमत’ हो तो नगर क्षेत्र के कार्य हेतु इनको वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी नगर निगम देहरादून एवं अन्य क्षेत्रों में उन क्षेत्रों के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों के निर्देशन में मांस विक्रेता प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही हेतु निर्दिष्ट करने का कष्ट करें ।
सवाल यह है कि:-
1- क्या अवैध रूप से बिना डॉक्टरी जांच के मांस बेचने वाली दुकानों पर बिना जिलाधिकारी की सहमती के कार्यवाही नहीं करनी चाहिए ।
2- क्या ओवररेटिंग कर मांस बेचने वाले दुकानों पर बिना जिलाधिकारी की सहमती के कार्यवाही नहीं करनी चाहिए ।
3- क्या आमजनता की जानमाल की हानि को देखते हुए जानवरों को काटने से पहले उसके स्वास्थ्य की जांच और जानवरों को काटने के बाद उसकी पोस्टमार्टम जांच होनी चाहिए या नही ।
4 – क्या खाद्य विभाग को क्या बिना लाइसेंस धारक मांस बेचने वाले दुकानदारों पर कार्यवाही करनी चाहिए या नही।
5- क्या ओवररेटिंग के लिए दुकानदारों पर जिलाधिकारी और जिलापूर्ति अधिकारी देहरादून को कार्यवाही नहीं करनी चाहिए ? क्योंकि यह मामला स्पष्ट रूप से आम जनता की जान और माल दोनों की हानि से जुड़ा हुआ है ।
6 – और सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि देहरादून का स्लॉटर हाउस जो फिलहाल बंद है जहाँ रोजाना सैकड़ों की तादाद में बकरे/जानवर काटे जाते हैं और उन काटे जाने वाले जानवरों की कटने से पूर्व स्वास्थ्य जांच और काटने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए देहरादून नगर निगम में मात्र एक ही पशु चिकित्सा अधिकारी है क्या यह संभव है कि एक पशु चिकित्सा अधिकारी रोजाना सैकड़ों काटे जाने वाले जानवरों का स्वास्थ्य परीक्षण कर पाता होगा ।
यह मामला बहुत ही गंभीर है इसलिए नगर निगम द्वारा दिए गए जवाब के संबंध में मानवाधिकार उत्तराखंड आयोग में कार्यवाही हेतु जवाब दाखिल किया जाएगा साथ ही उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में भी जल्द ही जनहित में याचिका दायर की जाएगी क्योंकि मामला स्पष्ट रूप से आमजनता की जान और माल दोनों की हानि से स्पष्ट रूप से जुड़ा हुआ है ।