भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
सम्पूर्ण वाक्या इस प्रकार हैं कि उत्तराखंड के जिला देहरादून के कांवली रोड क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड स्वर्गीय श्री नित्यानंद स्वामी के आवास को जाने वाली सड़क से अगली ट्रांसफार्मर के सामने वाली गली में प्रवीन कुमार अग्रवाल के लगभग 10 फुट की गली में स्टिल-पार्किंग सहित कॉम्प्लेक्स/भवन का की-प्लान संलग्न कर सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से जनहित राज्यहित में विभागीय प्रमाण सहित निम्न सूचनायें मांगी गई ।
1- यह कि जिस दिनाँक को कॉम्प्लेक्स/भवन का मानचित्र मंजूरी हेतु कार्यालय में जमा किया गया तथा जिस दिनाँक को मानचित्र स्वीकृत किया गया तथा मानचित्र की छायाप्रति ।
2- यह कि कार्यालय के जिस जिस अधिकारी द्वारा कॉम्प्लेक्स/भवन निर्माण के समय किस किस दिनाँक को निरीक्षण किया गया अधिकारियों के नाम पदनाम सहित समस्त सूचनाएं विभागीय प्रमाण सहित उपलब्ध करवाए ।
3- यह कि कॉम्प्लेक्स/भवन का अगल-बगल,पीछे तथा सामने 15 फिट की गली में कितना-कितना सेट बैक छोड़ा गया हैं तथा वाहन पार्किंग से संबंधित समस्त सूचनाए विभागीय प्रमाण सहित सूचना उपलब्ध करवाए ।
4- यह कि कॉम्प्लेक्स/भवन का अगल-बगल,पीछे तथा सामने 15 फिट की गली में सेट -बैक छोड़े बिना किन नियमों तथा जिन अधिकारियों की संस्तुति एव जिस अधिकारी द्वारा मानचित्र स्वीकृत किया गया अधिकारियों के नाम पदनाम सहित समस्त सूचनाएं विभागीय प्रमाण सहित उपलब्ध करवाए ।
5- यह कि कॉम्प्लेक्स/भवन से संबंधित सम्पूर्ण पत्रावली की सत्यप्रतिलिपि ।
एमडीडीए की लोक सूचना अधिकारी एकता अरोड़ा ने सूचना के अधिकार अधिनियम में पूर्ण रुप से बाधा पहुंचाते लगभग 73 दिन बाद अपीलार्थी के द्वारा प्रथम अपील योजित करने के पश्चात सूचना पत्र से संबंधित सूचनाये उपलब्ध करवाने के बजाय मात्र उत्तर पत्र भेजा गया कि कंप्यूटर अनुभाग की आख्यानुसार के अनुसार अवगत कराना है किसी भी स्वीकृत मानचित्र की जानकारी हेतु भवन मानचित्र संख्या भूस्वामी का नाम रजिस्ट्री के अनुसार मौजा अनुसार स्थल का पता वह भूमि खसरा नंबरान इत्यादि का स्पष्ट उल्लेख प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है इसके उपरांत ही नियम अनुसार वंचित सूचना प्रदान की जा सकती है ।
लोक सूचना अधिकारी एकता अरोड़ा ने शायद जानबूझकर ध्यानपूर्वक सूचना का अनुरोध पर पढ़ा नहीं क्योंकि अपीलार्थी द्वारा अपने सूचना पत्र के साथ संबंधित कॉम्पलेक्स/भवन का की प्लान भी सलंग्न किया था और यह भवन/कॉम्पलेक्स शहर के बीचो बीच आबादी में स्थित है जिसके पूर्ण पते आदि की जानकारी भी अपीलार्थी द्वारा अपने सूचना पत्र में अंकित की गई थी ।
इससे स्पष्ट रूप से ऐसा ही प्रतीत होता है की लोक सूचना अधिकारी एकता अरोड़ा द्वारा लगभग 10 फिट की गली में स्टिल-पार्किंग के साथ व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाने वालें प्रवीन कुमार अग्रवाल और अवैध रूप से कार्य को अंजाम तक पहुँचाहने वाले MDDA के अधिकारियों की सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाकर स्पष्ट रूप से उन्हें बचाया जा रहा है और क्या ऐसा हो सकता है कि एमडीडीए के उच्च अधिकारियों को सूचना के इस प्रकरण के बारे में ना पता ना हो ‘परन्तु लगता है दाल में काला नहीं है बल्कि पूरी दाल ही काली है’ क्योंकि आवासीय से कैसे बना दिया व्यावसायिक कॉम्पलेक्स ।
इस अत्यंत गंभीर प्रकरण की शिकायत जो स्पष्ट रूप से राज्यहित जनहित से जुड़ा हुआ है की शिकायत अब महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष भी तथा राज्य सूचना आयोग आदि अन्य अथॉरिटीज में भी कार्यवाही हेतु की जाएगी ।