भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
खुलासा:देहरादून राजपुर रोड स्थित मोतीमहल रेस्टोरेंट के मालिक खाने के पैकिंग वालें बिलों में खेल करके खुलेआम ग्राहकों की आँखों में धूल झोंक लगा रहा हैं चूना।
मामला इस प्रकार है कि दिनांक 06-10-2021 को दिन में लगभग 1:00 बजे एक ग्राहक और उसका मित्र देहरादून राजपुर रोड स्थित मोती महल रेस्टोरेंट में बटर चिकन लेने गए रेस्टोरेंट में पहुंचने पर काउंटर पर एक सरदार जी बैठे थे, शायद वह मोती महल रेस्टोरेंट के मालिक होंगे। उनको ग्राहक ने आर्डर दिया कि एक बटर चिकन पैक कर दीजिए घर लेकर जाना है, बटर चिकन पैक हो कर आने के बाद ग्राहक को रेस्टोरेंट के मालिक सरदार जी द्वारा ₹678/- का बिल दिया गया ओर ग्राहक ने वह बिल अदा कर दिया ।
घर पहुंच कर भोजन करने के बाद ग्राहक से उसके घर वालों ने पूछा कि बटर चिकन कितने पैसे का लगाया है तो ग्राहक ने अपने घर वालों को बोला कि मैंने ₹678 दिए हैं, ओर ₹678 किस तरह से बनते हैं, यह चेक करने के लिए ग्राहक ने जब बिल को देखा तो उसमें ₹550 बटर चिकन की कीमत अंकित थी और जिस डिब्बे में बटर चिकन पैक कर कर दिया उसके भी ₹100 जुड़े हुए थे तथा ₹27/50 पैसे जीएसटी के जुड़े हुए थे।
इसके बाद जब गौर से बिल को देखा गया तो जिस डिब्बे में बटर चिकन पैक कर के दिया गया था उन डिब्बों की संख्या 10 लिखी हुई थी, मतलब की एक बटर चिकन 10 डिब्बों में पैक कर के दिया गया और बिल में डिब्बों की संख्या 10×10 कर आगे रु 100/- डिब्बे के जुड़े हुए हैं।
ग्राहक द्वारा बिल में यह सब देखने के बाद उसी समय लगभग 2:29 बजे रेस्टोरेंट के लैंडलाइन फोन पर फोन किया गया जो नंबर मोती महल रेस्टोरेंट के बिल पर अंकित है ओर ग्राहक की लगभग 1 मिनट 3 सैकंड बात हुई । ग्राहक द्वारा फोन करके बोला गया कि मैं अभी थोड़ी देर पहले आपके यहां से एक बटर चिकन ले कर गया था और बिल में आपने डिब्बे की कीमत 100/- रु जोड़ी हुई है और आपने एक बटर चिकन को 10 डिब्बों में पैक करना दर्शाया गया है, परंतु फोन पर बात करने समझाने के बाद भी रेस्टोरेंट वालें समझने को राजी नहीं हुए और कहा गया कि हमारे द्वारा बिल में जो लिखा गया हैं वह ठीक ही लिखा गया हैं काफी निवेदन करने के बाद भी वह टस से मस नहीं हुए।
मोती महल रेस्टोरेंट वाले की इस हरकत से ऐसा प्रतीत होता है कि यह इस काम के आदी हैं क्योंकि स्पष्ट रूप से गलती करने के बाद भी अपनी गलती नहीं मान रहे यह तो सीधे-सीधे ग्राहक के साथ बेईमानी है पता नहीं कितने ग्राहकों के साथ यह ऐसा करते होंगे। इसलिए इनके पिछले कम से कम लॉकडाउन खुलने के बाद से उन सारे बिलों की चेकिंग होनी चाहिए जो इन्होंने सामान पैक करके दिया है, साथ ही इनके द्वारा जीएसटी जो ₹27 50 पैसे थी उसके भी इन्होंने ₹28 काटे हुए हैं मतलब वहां पर भी 50 पैसे की हेराफेरी मतलब ग्राहक को टांका लगाना ही लगाना है चाहे जैसे भी लगाए।
ग्राहक द्वारा अपने साथ हुई इस हेराफेरी के बारे में जनहित में कई जगह कार्यवाही करने हेतु कहा गया है क्योंकि उनके द्वारा कहा गया है कि जैसा उनके साथ हुआ है यह औरों के साथ भी कहीं हो ना रहा हो और मैं अगर जनहित में कार्यवाही नहीं करूंगा तो यह लगता है आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा क्योंकि मेरे द्वारा फोन करने के बाद भी रेस्टोरेंट द्वारा अपनी गलती नहीं मानी गई