भुपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
सम्पूर्ण मामला यह हैं कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण कार्यालय देहरादून में कंप्यूटर एडमिनिस्ट्रेटिव पद पर नियुक्त संजीवन सूठा के संबंध में इस संवाददाता द्वारा जनहित राज्यहित में विभागीय प्रमाण सहित 7 बिंदुओं की सूचनाएं मांगी गयी ।
1- यह कि किस दिनांक से कार्यालय में नियुक्त है।
2- यह कि श्री संजीवन सूठा की नियुक्ति संबंधी संपूर्ण पत्रावली की सत्य प्रतिलिपि ।
3- यह कि श्री संजीवन सूठा के शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्रों की छायाप्रतिया ।
4- यह कि श्री संजीवन सूठा की नियुक्ति से पूर्व विभाग द्वारा कंप्यूटर एडमिनिस्ट्रेटिव पद पर नियुक्ति हेतु जिन समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए गए सूचना तथा विज्ञापन की छाया प्रतियां ।
5- यह कि श्री संजीवन सूठा की नियुक्ति जिन नियमों के अंतर्गत की गई विभागीय प्रमाण सहित सूचना उपलब्ध कराएं।
6- यह की श्री संजीवन सूठा की विभाग में नियुक्ति के समय कितनी उम्र थी विभागीय प्रमाण सहित सूचना उपलब्ध करवाए ।
7- यह कि विभाग में अधिकतम कितनी उम्र तक सेवा/नौकरी हेतु आवेदन किया जा सकता है विभागीय प्रमाण सहित सूचना उपलब्ध करवाएं ।
सूचना पत्र प्राप्त होने के बाद लोक सूचना अधिकारी मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण अनुसचिव अनुजा सिंह द्वारा 7 बिंदुओं में से बिंदु संख्या 1 तथा 7 की सूचना दी गई कि संजीवन सूठा प्राधिकरण में वर्ष 2002 से संविदा पर कार्यरत हैं और प्राधिकरण में सर्विस हेतु अधिकतम आयु 40 वर्ष है और बिंदु संख्या 2 से 6 तक के बिंदुओं की सूचना पर जवाब दिया की सूचना तृतीय पक्ष से संबंधित है जनहित से संबंधित नहीं है और प्राधिकरण के जिस अधिकारी संजीवन सूठा के संबंध में सूचनाएं मांगी गई हैं उसने सूचना से संबंधित अभिलेखों को उपलब्ध कराए जाने में आपत्ति व्यक्त की है ।
गौरतलब है कि इसी प्रकार की मिलती-जुलती सूचना एक अन्य सूचना आवेदक अवनीश गुप्ता द्वारा भी प्राधिकरण से मांगी गई थी और सूचना आवेदक अवनीश गुप्ता को अनुजा सिंह लोक सूचना अधिकारी ने संजीवन सूठा के शैक्षिक प्रमाणपत्रों आदि की सूचनाएं उपलब्ध करा दी गई ।
अब मेरे प्रिय पाठको आप ही देखिए मेरे को तो 10 जून 2020 को पत्र प्रेषित कर अनुजा सिंह ने यह लिखा कि सूचनाएं नहीं दी जा सकती और दूसरी ओर अन्य सूचना आवेदक अवनीश गुप्ता को दिनांक 30 जुलाई 2020 को सूचनाएं उपलब्ध करवा दी गई इसे ही कहते हैं जंगलराज जिसको मर्जी होगी सूचना उसी को देंगे ।
इस संवाददाता द्वारा इस पूरे मामले की प्रथम अपील प्राधिकरण में और शिकायत राज्य सूचना आयोग में तो की ही जा रही है साथ ही प्राधिकरण में कार्यरत जिस अधिकारी संजीवन सूठा के संबंध में सूचनाएं मांगी गई थी उनकी नियुक्ति संबंधी/शैक्षिक प्रमाणपत्रों संबंधी/पद पर नियुक्ति से पूर्व जिन समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए गए तथा जिन नियमों के तहत इनकी नियुक्ति प्राधिकरण में की गई इस समस्त प्रकरण की जांच ओर कार्यवाही हेतु राज्यपाल उत्तराखंड तथा अन्य उच्च अथॉरिटीज में शिकायत की जा रही है क्योंकि यह सूचनाएं स्पष्ट रूप से जनहित राज्यहित की थी क्योंकि इस अधिकारी की नियुक्ति संबंधी पत्रावली शैक्षिक योग्यता संबंधी प्रमाण पत्रों तथा नियुक्ति से पूर्व जिन समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए गए तथा जिन नियमों के तहत इस अधिकारी की नियुक्ति की गई यह व्यक्तिगत सूचनाएं नहीं है क्योंकि अधिकारी की प्राधिकरण में नियुक्ति होते ही यह सूचनाएं आम हो गई हैं साथ ही जिस समय इस अधिकारी की नियुक्ति प्राधिकरण में हुई उसकी उम्र 40 वर्ष होने वाली थी ओर 40 वर्ष पूर्ण होने में 116 दिन बचे थे और लोक सूचना अधिकारी ने उत्तर में यह बताया हैं कि प्राधिकरण में सर्विस हेतु अधिकतम आयु 40 वर्ष है ।
बड़ा सवाल आख़िर संजीवन सूठा की नियुक्ति आदि से संबंधित सूचनायें क्यों छुपाई जा रही हैं ।