भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
नगर निगम देहरादून से प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत लिये गए ऋण पर ऋण लेने वाले श्री गुलशन कुमार के बार-बार निगम के चक्कर काटने के बावजूद ऋण योजना पर दी जाने वाली पूर्ण सब्सिडी का भुगतान नहीं करना।
समस्त मामला इस यह हैं कि गुलशन कुमार निवासी नेहरू कालोनी देहरादून ने वर्ष 2015 में नगर निगम देहरादून से प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत ₹200000/-(दो लाख )का ऋण लिया था, योजना के अन्तर्गत नगर निगम द्वारा रु 50,000/- (पचास हजा़र) की सब्सिडी बैँक को अदा की जानी थी।
नगर निगम द्वारा श्री गुलशन कुमार की ऋण संबंधी पत्रावली डिस्ट्रिक कोऑपरेटिव बैंक देहरादून की शाखा नेहरू कॉलोनी में भेज दी गई तथा बैंक द्वारा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के पश्चात ऋण की धनराशि का भुगतान श्री गुलशन कुमार को कर दिया गया, गुलशन कुमार द्वारा माह अगस्त वर्ष 2019 में पूर्ण ऋण बैंक को अदा कर दिया तथा बैंक द्वारा गुलशन को क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी दे दिया कि अब उनके ऊपर बैंक का कोई भी ऋण बकाया नहीं है परंतु बैंक से अदा ऋण की स्टेटमेंट लेने के बाद देखा गया तो नगर निगम ने लगभग मात्र ₹19000 की ही सब्सिडी बैंक में भेजी है जबकि उन्हें रु 50,000 की सब्सिडी बैंक में भेजनी चाहिए थी जो उनके द्वारा जानबूझकर नहीं भेजी गई हैं। पीड़ित गुलशन कुमार अपनी बक़ाया सब्सिडी की धनराशि लगभग रू 31000/-(इकत्तीस हजा़र ) के लिये नगर निगम के कई चक्कर काट चुका है परंतु नगर निगम वाले बात तक करने को राजी नहीं है, उसका खुलेआम उत्पीड़न कर परेशान किया जा रहा है।
इस संवाददाता द्वारा इस अत्यन्त ही गम्भीर मामला में जो प्रधानमंत्री रोजगार योजना से जुड़ा पर मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि पीड़ित ग़रीब की मदद कर उसकी सब्सिडी की बकाया धनराशि दिलवाने की कृपा करें, साथ ही इस संबंध में कार्यवाही कर पूरे मामले की जांच करवाने की कृपा करें क्योंकि जिस प्रकार इस मामले में सब्सिडी नहीं दी गई है। अन्य मामलों में भी ऐसा हो सकता है इसलिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत दिए गए ऋण के समस्त मामलों की जनहित न्यायहित में जांच करवाने की कृपा करें।
आयोग में इस अत्यंत ही गंभीर मामले की सुनवाई पश्चात न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द्र शर्मा द्वारा अधिशासी अधिकारी नगर निगम को नोटिस जारी कर मामलें में जवाब मांगा हैं तथा आयोग के उपरोक्त आदेश की अपेक्षा अनुरूप कार्रवाही न किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोंप्रान्त यथोचित आदेश पारित करने की चेतावनी भी दी गई है ।