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यूपी में मौसम का यू-टर्न.. बारिश और तेज हवाओं ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें

लखनऊ।  प्रदेश के कई जिलों में गुरुवार को अचानक मौसम बदल गया। कहीं हल्की, तो कहीं तेज बारिश के साथ वज्रपात और तेज हवाओं ने जनजीवन को प्रभावित किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में एक सेंटीमीटर तक बारिश रिकार्ड की गई। बहराइच और लखीमपुर खीरी में ओले भी गिरे।

वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हवाएं 48 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलीं, जबकि प्रयागराज और गोरखपुर जैसे शहरों में 43 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज झोंके महसूस किए गए। बारिश से तापमान में तेजी से गिरावट हुई। इससे लोगों को गर्मी से राहत मिली, लेकिन किसानों की चिंता बढ़ गई।
गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे तक खलीलाबाद, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, कानपुर (आईएएफ), बहराइच, लखनऊ (मलिहाबाद), गोंडा, बस्ती जैसे पूर्वी जिलों में एक सेंटीमीटर तक बारिश हुई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी, एटा, मथुरा, अलीगढ़, फिरोजाबाद, पीलीभीत और बरेली जैसे जिलों में भी एक सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई।

पुराने लखनऊ में घंटाघर के पास जल भराव। जागरण
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गुरुवार को बारिश से प्रदेश के अधिकांश जिलों में तापमान में गिरावट हुई है, बांदा को छोड़कर अधिकांश जिलों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया। मौसम में यह बदलाव पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, शुक्रवार और शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। रविवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम साफ रहेगा, लेकिन पूर्वी हिस्सों में कहीं-कहीं हल्की बारिश जारी रह सकती है।

बीकेटी के कठवार गांव के खेतों में बरसात से भीगी फसल। जागरण
फसलों को नुकसान, आम को राहत
अचानक हुई इस बारिश से जहां आम जनता को गर्मी से राहत मिली, वहीं किसानों के लिए यह मुसीबत बन गई। राजधानी लखनऊ के आसपास के क्षेत्रों जैसे बख्शी का तालाब, बीकेटी, मलिहाबाद, काकोरी और मोहनलालगंज में खेतों में पानी भर गया। तेज हवाओं और बारिश से कटी हुई गेहूं की फसल भीग गई, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस बारिश से गेहूं की चमक घटेगी और बीज के रूप में इसका उपयोग भी प्रभावित होगा।

वहीं आम के बागानों के लिए यह बारिश वरदान साबित हुई है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक पीके शुक्ला ने बताया कि बारिश से पेड़ों की धुलाई हो गई, जिससे लासी और अन्य रोगों की संभावना कम हो जाएगी। हालांकि, खरबूजा, ककड़ी, तरबूज, लौकी और करेला जैसी सब्जियों की फसल पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

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