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उत्तराखंड:कोरोना में जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवज़े हेतु चक्कर कटवाने पर आयोग के तेवर तल्ख सचिव आपदा प्रबंधन को नोटिस जारी

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

उत्तराखंड कोरोना महामारी में जान गंवाने वालें लोगों के परिजन मुआवजे के लिए भटक रहे हैं देहरादून तहसील में 1 महीने से आवेदन पटवारियों की घोर लापरवाही से रिपोर्ट ना लगने के कारण अटके हुए हैं।
समस्त मामला इस प्रकार हैं कि केंद्र सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार द्वारा 14 अक्टूबर को आपदा में मारे गए राज्य के निवासियों या यहां रोजगार करने वाले लोगों की मदद हेतु रु 50,000(पचास हज़ार) का मुआवजा देने हेतु शासनादेश जारी किया गया। शासनादेश जारी होने के बाद से अब तक जिला आपदा कंट्रोल रूम में 341 आवेदन पहुंचे हैं, परंतु पटवारियों की घोर लापरवाही के कारण आवेदन 1 महीने से तहसील में अटके हुए हैं जबकि पटवारियों को इतने गंभीर मामले में आवेदन रोकने नहीं चाहिए थे, बल्कि त्वरित गति से आवेदनों पर रिपोर्ट लगानी चाहिए थी।
देहरादून के प्रभारी सदर तहसीलदार सुरेंद्र सिंह का भी कहना है कि तहसील में मिले आवेदनों को जांच के लिए पटवारीयों को दे दिया गया है, परंतु एक भी आवेदन पटवारियों से जांच रिपोर्ट लगाकर वापस नहीं मिला है।
पहला उदहारण देहरादून के लोअर तुनवाला निवासी गृहणी मीनाक्षी हटवाल के पति प्रवीन निजी कंपनी में नौकरी करते थे पति के सहारे ही परिवार चलता था पति की 9 मई 2021 कोरोना से मौत के बाद से परिवार आर्थिक तंगी में है। सरकार से मदद मिलने का पता लगा तो आवेदन किया एक महीना बीत गया है खाते में पैसा आना तो दूर अभी तक कोई वेरिफिकेशन के लिए भी नहीं पहुंचा हैं।
दूसरा उदाहरण देहरादून अधोईवाला निवासी बिजेंद्र कुमार दैनिक कामकाज के जरिए खर्च चलाते हैं। उनकी पत्नी उर्मिला देवी की कोरोना के कारण 23 नवंबर 2020 को मृत्यु हो गई थी, मदद राशि का शासनादेश हुआ तो उन्होंने भी आवेदन किया उनके खाते में अब तक मदद राशि नहीं पहुंच पाई है।
इस संवाददाता ने इस प्रकरण में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि उपरोक्त प्रकरण बहुत ही गंभीर है और स्पष्ट रूप से आमजनता से जुड़ा हुआ है, कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों की मदद करने की कृपा कर समस्त उत्तराखंड के जिलों से रिपोर्ट तलब करने के साथ ही कार्यवाही हेतु भी निर्देशित करने की कृपा करें क्योंकि देहरादून के साथ ही यह स्थिति समस्त उत्तराखंड के जिलों में भी हो सकती है।
मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की सुनवाई तत्काल डबल बैंच में की गई ओर जस्टिस अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य राम सिंह मीना द्वारा द्वारा आदेश पारित किए गए कि शिकायत की प्रति सचिव आपदा प्रबंधन उत्तराखण्ड शासन को भेज दी जाय ओर सचिव आपदा प्रबंधन उत्तराखंड शासन को इस सम्बन्ध में निर्देशित किया जाता हैं कि जांच कर अपनी आख्या 04 सप्ताह में आयेाग के समक्ष प्रस्तुत करे।