भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
समस्त मामला इस प्रकार हैं कि दिनांक 2 अक्टूबर को नेहरू कॉलोनी से प्रिंस होटल की ओर जा रहा था तो आराघर के बाद सीएमआई अस्पताल पार करते ही प्रार्थी की गाड़ी के आगे देहरादून ट्रैफिक पुलिस की क्रेन जिसका नंबर UK07 GA 2074 हैं, जा रही थी जैसे ही रेसकोर्स चौराहा आया उसी समय चौराहे पर रेड लाइट हो गई।जिस कारण ट्रैफिक रुक गया परंतु ट्रैफिक पुलिस की क्रेन/ट्रक के ड्राईवर ने लालबत्ती चौराहे पर रैड लाईट होने पर रुकने की जहमत नहीं उठाई और अपनी हेकड़ी में जैसे की मेरी तो पुलिस की गाड़ी हैं तो मैं क्यों लालबत्ती पर रुकू ओर फ़र्राटे भरता हुआ भागता चला गया। इस कारण कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी, क्योंकि जिस तरफ से ग्रीनलाईट थी उधर से अगर कोई भी गाड़ी तेजी से आ रही होती तो एक्सीडेंट भी हो सकता था। यह लगभग 2:20 बजे का वाक्या है।
इसके बाद प्रार्थी ने ग्रीनलाइट होते ही अपनी गाड़ी ट्रैफिक पुलिस की क्रेन/ट्रक के पीछे दौड़ाई तो आगे कचहरी तिराहे पर पहुंचने पर क्रेन दिखाई ना देने पर प्रार्थी ट्रैफिक ऑफिस पहुंच गया वहां पर क्रेन/ट्रक का ड्राइवर क्रेन को पार्क कर रहा था।
इस संवाददाता ने इस मामलें में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि ट्रैफिक पुलिस में होते हुए भी क्रेन के ड्राईवर ने रेड लाइट जंप करी है और रेड लाइट जंप करने पर कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी इसलिए जनहित में इस अत्यंत गंभीर मामलें की रिपोर्ट तलब कर कार्यवाही करने की कृपा करें।
आयोग द्वारा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए निदेशक यातायात उत्तराखंड को नियमानुसार एवं विधिनुसार आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया हैं।