मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर आईजी गढ़वाल परिक्षेत्र ने यूपीआरएनएन के पूर्व अधिकारियों द्वारा 136 करोड़ रुपये के निर्माण घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। यह घोटाला 2012 से 2018 के बीच औद्योगिक प्रशिक्षण आपदा राहत केंद्रों और अन्य निर्माण कार्यों में हुआ था। पुलिस अधीक्षक को हर 15 दिन में जांच की प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से घोटालेबाजों के खिलाफ शुरू किए अभियान के तहत अब आईजी गढ़वाल परिक्षेत्र राजीव स्वरूप भी एक्शन मोड में आ गए हैं।
आईजी ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के पूर्व अधिकारियों की ओर से निर्माण कार्यों में किए 136 करोड़ रुपये घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दी है। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून को विवेचना में हुई प्रगति की आख्या प्रत्येक 15 दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश भी जारी किए हैं।
निगम के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक, परियोजना महाप्रबंधक ने सहायक लेखाधिकारी के साथ मिलकर विभिन्न निर्माण कार्यों में 136 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। वर्ष 2012 से 2018 के बीच हुए इस घोटाले की परतें तब खुलीं, जब वर्ष 2019 में जांच हुई।
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम इकाई-1 के अपर परियोजना प्रबंधक सुनील कुमार मलिक की शिकायत पर नेहरू कॉलोनी थाने में घोटाले संबंधी छह मुकदमे दर्ज किए गए, जिसमें पांच आरोपी बनाए गए हैं। वर्ष 2012 से 2018 के बीच उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट दिए गए थे।
इनमें कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग उत्तराखंड में 15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण, डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स के निर्माण कार्य, उत्तराखंड राज्य के पर्यटन विभाग के निर्माण कार्य, दून मेडिकल कालेज का ओपीडी ब्लाक, एकीकृत औद्योगिक आस्थान सुविधाओं के अंतर्गत स्ट्रीट लाइट (बैकअप एनर्जी प्रोजेक्ट) का निर्माण सहित अन्य कार्य मिले थे। करीब छह साल के बीच हुए निर्माण कार्यों में निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने लेखा अधिकारी के साथ मिलीभगत करके करोड़ों रुपये का घोटाला किया।
निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने मनमाफिक ढंग से निर्माण कार्यों के नाम पर जमकर लूट मचाई। घपलेबाजी के मास्टरमाइंड पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर प्राप्त धनराशि से अधिक खर्च कर डाला और एक कार्य का धन अन्यत्र भी खर्च दर्शाया गया। वहीं एक प्रोजेक्ट में जमीन प्राप्त किए बिना ही करोड़ों रुपये का भुगतान भी कर दिया।
- शिव आसरे शर्मा, तत्कालीन परियोजना महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त) निवासी ग्राम व पोस्ट ठेकमा, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
- प्रदीप कुमार शर्मा, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक निवासी (सेवानिवृत्त) जयदेव पार्क, पूर्वी पंजाबी बाग, नई दिल्ली
- वीरेंद्र कुमार, सहायक लेखाधिकारी (बर्खास्त) ग्राम खेड़ी, भोजपुर, सरकड़ा पोस्ट नजीबाबाद, बिजनौर, उत्तर प्रदेश
- राम प्रकाश गुप्ता, सहायक लेखाधिकारी (सेवानिवृत्त) निवासी मोहल्ला बरौनी, जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश
- सतीश कुमार उपाध्याय, स्थानिक अभियंता (सेवानिवृत्त) निवासी ग्राम सरियांवा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) उत्तराखंड में पहले भी विवादों में रह चुका है। राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) घोटाले में भी यूपीआरएनएन का नाम सामने आया था।
पांच वर्ष चली लंबी जांच के बाद सिडकुल में फर्जी शैक्षिक प्रमाण-पत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने वाली सिडकुल की पूर्व सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) राखी निवासी रानीपुर हरिद्वार, चालक अमित खत्री निवासी इंदिरा भवन मसूरी और विकास कुमार निवासी लोअर नेहरूग्राम, देहरादून के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।
वर्ष 2012 से 2017 के बीच सिडकुल ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में औद्योगिक क्षेत्रों में निर्माण कार्य कराए थे। निर्माण का काम यूपीआरएनएन को दिया गया। वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर शासन ने वर्ष 2018 में आईजी गढ़वाल की देखरेख में एसआइटी गठित कर जांच बैठा दी।
इसी दौरान सिडकुल में नियुक्ति फर्जीवाड़ा भी सामने आया। इस दौरान कई आईजी बदले गए, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई। बताया गया कि सिडकुल की ओर से जांच से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए जा रहे थे।
वर्ष 2023 अक्टूबर में आईजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल ने जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। इसके बाद शासन ने फर्जी नियुक्ति को लेकर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।