देहरादून। प्रदेश सरकार अब अपना गेमिंग एक्ट बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसमें आनलाइन गेमिंग को इसके दायरे में लिया जाएगा। इसमें गेमिंग और गैंबलिंग का भी विभेद किया जाएगा। यह स्पष्ट किया जाएगा कि गेमिंग एक्ट के दायरे में कौन-कौन से खेलों को लिया जाएगा।देश में इस समय आनलाइन गेमिंग तेजी से पैर पसार रही है। दर्जनों ऐसे गेपिंग एप व साइट हैं, जो इनमें टीमें बनाकर करोड़ों रुपये जीतने का मौका दे रही हैं। इसमें लोग जीत भी रहे हैं।
ऐसे में इनका क्रेज और अधिक बढ़ रहा है। इसे देखते हुए वर्ष 2023 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को गेमिंग एक्ट को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे। कहा गया था कि राज्य अपने यहां की परिस्थितियों के अनुसार इस पर निर्णय लें।
कुछ प्रदेशों ने लागू किया है गेमिंग एक्ट
केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में कुछ प्रदेशों ने अपने यहां गेमिंग एक्ट लागू किया है। इसके अंतर्गत वहां की सरकार आनलाइन गेम संचालित करने वाली कंपनियों को लाइसेंस जारी कर रही है। आनलाइन गेमिंग के मनोरंजन का साधन माने जाने के कारण इसमें 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इससे लाइसेंस जारी करने वाली सरकारों को भी फायदा हुआ है।इस समय देश और प्रदेश में जो गैंंबलिंग एक्ट लागू है, उसमें कौशल के खेल, यानी गेम आफ स्किल्स को गैंंबलिंग की परिभाषा से बाहर रखा गया है और इसे जुआ नहीं माना गया है। अब उत्तराखंड सरकार भी इसे देखते हुए प्रदेश में लागू गैंबलिंग एक्ट के स्थान पर गेमिंग एक्ट बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
तैयार किया जा रहा गेमिंग एक्ट का खाका
इस क्रम में गेमिंग एक्ट का खाका तैयार किया जा रहा है। इमसें आनलाइन गेमिंग की व्याख्या करने के साथ ही इसे लागू करने के नियम बनाए जा रहे हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि गेमिंग के दायरे में क्या आएगा और गैंबलिंग के दायरे में किसे लिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो टीमों की जीत-हार पर सट्टा लगाने को जुए की परिधि में लिया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो एक्ट का खाका तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इस पर विधि व न्याय विभाग का परामर्श लिया जाएगा। इसके बाद इसे प्रदेश में लागू करने पर निर्णय लिया जाएगा।