माता-पिता पर बहू-बेटों के जुल्म से देवभूमि शर्मसार हो रही है। अत्याचार की शिकायतों से कलेक्टर ऑफिस की फाइलें मोटी होती जा रही हैं। जनसुनवाई में भी हर सोमवार कोई न कोई प्रताड़ना से तंग बुजुर्ग डीएम के सामने जरूर पहुंचता है। शिकायत प्रकोष्ठ में भी हर सप्ताह 15 से 20 बुजुर्ग अपने बहू-बेटों के जुल्म की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
लोकलाज के कारण खुलकर सामने नहीं आते बुजुर्ग
सीनियर सिटिजन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल जोशी कहते हैं, बुजुर्गों पर बढ़ रहे अत्याचार के मामले चिंता का विषय हैं। आए दिन उनके संगठन के समक्ष भी ऐसे मामले आते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में लोकलाज के कारण बुजुर्ग माता पिता खुलकर सामने नहीं आते और प्रताड़ना सहते रहते हैं। संगठन ऐसे मामलों में पीड़ितों की आवाज उठाने का काम करता है।
भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम है उम्मीद
बुजुर्गों की सुरक्षा, चिकित्सा और गुजारा के प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने 2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 पारित कराया। ये कानून बुजुर्गों का सहारा है। इससे वह अपनी मदद खुद कर सकते हैं। अधिनियम का लाभ 60 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को मिलता है। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल शर्मा ने बताया कि बुजुर्गों को कानूनी सुरक्षा देने के लिए कानून में विशेष प्रावधान किया गया है।
अधिनियम के तहत मिले हैं अधिकार
धारा 2 डी – जन्मदाता माता-पिता, दत्तक संतान ग्रहण करने वाले, सौतेले माता और पिता
धारा 2 जी – जिनके बच्चे नहीं उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी वे संबंधी उठाएंगे जो उनकी संपत्ति के हकदार हैं।
धारा 5 – वे वरिष्ठ नागरिक जिनकी देखरेख उनके बच्चे या संबंधी नहीं कर रहे हैं, वे एसडीएम कोर्ट (ट्रिब्यूनल) में शिकायत कर सकते हैं। नोटिस मिलने के 90 दिन में फैसला हो जाता है।
– अंतरिम गुजारा भत्ता की राशि ट्रिब्यूनल दस हजार रुपये तक तय करता है, नहीं देने पर जेल भी हो सकती है। देखभाल नहीं करने पर नहीं मिलेगी दावेदार को संपत्ति
राज्य सरकार भी है जिम्मेदार
धारा-19 : राज्य सरकार प्रत्येक जिले में कम से कम एक ओल्ड एज होम बनाएगी, इसमें 150 लोग रखे जा सकेंगे। वरिष्ठ नागरिकों के रहने खाने, चिकित्सा, मनोरंजन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
धारा-20 : जिले के सरकारी चिकित्सालयों में बेड आरक्षित करने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की होगी।
धारा-23 : माता-पिता ने अपनी संपत्ति बच्चों को दे दी है और बच्चे उनकी सेवा नहीं कर रहे तो संपत्ति पुन: माता पिता के नाम पर आ जाएगी।