केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव की जीत को अभी कुछ ही घंटे हुए हैं और भाजपा ने आगे की जीत की रणनीति सोच-विचार शुरू कर दिया है। पार्टी को अब पहले निकायों के और उसके बाद पंचायत चुनाव में जाना है। इन दोनों चुनावों के बाद भाजपा के सामने 2027 के विधानसभा चुनाव की चुनौती होगी।
निकायों के चुनाव में भाजपा केदारनाथ के जीत के उत्साह के साथ ही नहीं बल्कि उसके तरकश में चुनावी व्यूह रचना के वे सारे तीर हैं, जो केदारनाथ की बाजी पलटने में अचूक साबित हुए। आने वाले हर चुनाव में भाजपा की इसी व्यूह रचना के साथ उतरने की तैयारी है।केदारनाथ के चुनावी रणनीतिकारों का दावा है कि संगठन ने इसी व्यूह रचना के साथ भविष्य में चुनाव लड़ा तो विपक्षियों का शायद ही कोई दुर्ग सलामत रह पाएगा।
चुनावी व्यूह रचना की लगातार नब्ज टटोलते रहे
पार्टी ने चुनाव को प्रचार के आखिरी दिन तक फिसलने नहीं दिया। उनके मुताबिक, विपक्ष की रणनीति में उलझने के बजाय भाजपा ने केदारनाथ के कील-कांटों को हटाने और समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित किया। देहरादून से केदारनाथ तक सीएम धामी, प्रदेश अध्यक्ष भट्ट और प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय चुनावी व्यूह रचना की लगातार नब्ज टटोलते रहे। संगठन ने समस्याओं की सूची रखी और सीएम ने उनके फटाफट समाधान किए।
पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी कहते हैं कि केदारनाथ में अपनाई गई व्यूह रचना विपक्ष के किसी भी अजेय दुर्ग को भेदने में सक्षम है। इस व्यूह रचना से कांग्रेस के अभेद दुर्ग चकराता को भेदा जा सकता है। यानी पार्टी रणनीतिकार केदारनाथ के फार्मूले से चकराता के चक्रव्यूह को भेदने का ख्वाब देख रही है।
चुनाव से पहले बदल डाली 50 प्रतिशत बूथ कमेटियां
चार महीने पहले संगठन ने 56 अनुभवी पार्टी पदाधिकारियों की टीम को केदारनाथ में उतारा। प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, विधायक भरत चौधरी और प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा के संयोजन में इस टीम ने सबसे पहले उन कारणों की पहचान की, जो चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकते थे। 50 प्रतिशत निष्क्रिय बूथों को बदल डाला। पांच मंडलों में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए वहां पांच दलित नेताओं की टीम लगाई गई।
प्रत्येक शक्ति केंद्र पर लगाए गए पूर्ण कालिकों ने समस्याओं और विकास कार्यों की एक सूची तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपी। पूरे चुनाव के दौरान सीएम ने प्रत्येक बूथ अध्यक्ष से बात की। सूची के आधार पर केदारनाथ आपदा के 5821 प्रभावितों के खातों में 700 करोड़ की राहत भेजी गई और अधूरी योजनाओं पर काम शुरू कराया गया जिन पर करोड़ों खर्च हो चुके थे। ये सारे काम चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले भाजपा निपटा चुकी थी।