हरिद्वार जिले में स्थित नारसन ब्लॉक के ठस्का गांव से डेंगू के अब तक 72 मामले सामने आ चुके हैं। इससे ठस्का समेत आस-पास के गांवाें में भी हड़कंप मचा हुआ है। जहां एक ओर डेंगू का सीजन अपने अंतिम दौर में है, वहीं वह जाते-जाते सिस्टम के दावों की पोल खोल रहा है।
गांव से हर रोज करीब 100 लोगों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं। डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसे में जिलाधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
सिस्टम की क्रियान्वयन नीति अगर सही न हो तो वह कब सवालों के घेरे में खड़ा हो जाएगा पता भी नहीं चलेगा। सरकारी दावे तभी तक सही माने जा सकते हैं जब तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हो। वह चाहे भगवान भरोसे सही चल रहा हो या इस दिशा में किए जा रहे प्रयास फलीभूत हो रहे हों। इसका एक सटीक उदाहरण हरिद्वार जिले में स्थित नारसन ब्लॉक के ठस्का गांव ने भी पेश कर दिया है।
यहां पर डेंगू ने कुछ इस तरह कहर बरपाया कि सिस्टम के दावों की परतें खुलती चली गईं। स्वास्थ्य विभाग पिछले दो महीने से डेंगू के राेकथाम के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा था। इसके लिए विभाग ने बड़े स्तर पर मानवीय और तकनीकी संसाधनों का भी सहारा लिया। दो-ढाई महीने तक सब कुछ ठीक-ठाक चलने से लोग स्वास्थ्य विभाग की तारीफ भी कर रहे थे। लेेकिन डेंगू ने जाते-जाते स्वास्थ्य विभाग के दावों की परतों को उधेड़ कर रख दिया।
गांव में जल भराव और लोगों में जागरूकता की कमी ने बढ़ाई परेशानी
जिला मलेरिया अधिकारी गुरमान सिंह बताते हैं कि गांव में पहले से जल भराव था। साथ ही लोग डेंगू को लेकर जागरूक नहीं थे। यही मुख्य कारण रहा कि नारसन के ठस्का गांव में डेंगू के इतने अधिक मामले देखने को मिले हैं। स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में काम किया जा रहा है।