देहरादून : राज्य में गो तस्करी के मामले में सजा का प्रवधान बढ़ाने के लिए उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने तैयारी कर ली है। इस संबंध में आयोग ने उत्तराखंड गोवंश संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने के लिए छह बिंदुओं पर शासन को प्रस्ताव भेजा है। इसमें विशेष रूप से सजा, आर्थिक दंड बढ़ाने व गोवंशी के पंजीकरण पर जोर दिया गया है।
अब आयोग ने इसी हफ्ते शासन को इस संबंध में अन्य प्रस्ताव भेजे हैं। उत्तराखंड गो सेवा आयोग के अध्यक्ष पंडित राजेंद्र अणथ्वाल ने बताया कि गोवंशी के संरक्षण व सुरक्षा के लिए आयोग लगाकार कार्य कर रहा है। शासन को भेजे प्रस्ताव के बाद उम्मीद है कि जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी हो जाएगा। कहा कि पशु तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए यह बेहद जरूरी है।
आयोग के मुख्य प्रस्ताव
-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशी पालने के लिए प्रत्येक गोवंशी का पंजीकरण व जन्म से मृत्यु तक का दस्तावेज रखना अनिवार्य हो।
-गोवध, गोमांस रखने, बेचने पर सजा तीन वर्ष से बढ़कर 10 वर्ष किया जाए। साथ ही आर्थिक दंड का प्रवधान 10 हजार से बढ़कर 70 हजार रुपये किया जाए।
-अनुमति के बिना राज्य से बाहर गोवंशी लाने व ले जाने पर सजा तीन वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष किया जाए। वहीं आर्थिक दंड 2500 से 70 हजार रुपये किया जाए।
-राज्य के बाहर गोवंशी लाने-ले लाने वाले को जिलाधिकारी से अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, इसमें गोवंशी को गोवध के लिए नहीं ले जाने का भी जिक्र करना होगा।
-एक से दूसरे जिले में गोवंशी पालने के लिए दो से अधिक गोवंशी को ले जाने के संबंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। उल्लंघन पर छह माह की सजा व 10 हजार प्रति गोवंशी देना होगा।
-गोवंशी पर किसी भी तरह की क्रूरता दंडनीय होगी। शारीरिक कष्ट व अंग को क्षति पहुंचाने, सड़कों पर निराश्रित छोड़ने पर छह माह की सजा व 25 हजार रुपये आर्थिक दंड प्रस्तावित है।
-क्षेत्र के सभी गोवंशी का पंजीकरण कराने का दायित्व संबंधित नगर निगम में नगर आयुक्त, नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी व पंचायतों में लेवल-3 अधिकारियों का हो।