भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
अधिवक्ता अमित साहनी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थानों को अवरूद्ध करने को लेकर फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों/सड़कों पर अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करने के दौरान सार्वजनिक सड़क पर यातायात को बाधित करने को लेकर आया है। गौरतलब है कि इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क पर ही धरना दिया जा रहा था, जिस कारण इस सड़क से आने जाने वाला यातायात बाधित होने के कारण और उस सड़क से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस/प्रशासन को कार्यवाही हेतु ऐसी जगहों से कब्जा हटाने के लिए कोर्ट के ऑर्डर का इंतजार नही करना चाहिये । प्राधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते हैं। लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं। न्यायमूर्ति संजय कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून के तहत सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर कब्जे के अधिकार के तहत प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
फैसले के ऑपरेटिव भाग को पढ़ते हुए न्यायमूर्ति ने कहा, सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है चाहे शाहीन बाग हो या कोई और जगह। पीठ ने कहा कि विरोध करने का अधिकार संविधान के तहत एक आधिकारिक गारंटी है, लेकिन विरोध प्रदर्शन संबंधित अधिकारियों से उचित अनुमोदन के बाद निर्दिष्ट क्षेत्रों में ही होना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में अन्य शहरों के साथ दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण लाखों यात्रियों को होने वाली असुविधा को इंगित किया। इसमें कहा गया कि प्रशासन को सार्वजनिक स्थानों को अवरोधों से मुक्त रखना चाहिए और वे अदालत के आदेश के लिए इंतजार नहीं कर सकते और ना ही प्रदर्शनकारियों के साथ अंतहीन वार्ता कर सकते हैं।