भुपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
बाटला हाउस एनकाउंटर को इतने वर्षों बाद भी देशवासी भूल नहीं पाए हैं। एनकाउंटर में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को 12 वर्षों बाद गैलेंटरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। समस्त देश के पुलिस विभागों में इस खबर से खुशी की है।
गृह मंत्रालय द्वारा गैलेंटरी अवॉर्ड का एलान किया गया जिसमें देशभर के 215 पुलिसकर्मियों को गैलेंटरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। जांबाजों की इसी सूची में मंत्रालय ने बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में कार्यरत इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को भी विशेष स्थान दिया गया है, तथा जब भी बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र होता हैं जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की यादें ताज़ा हो जाती है। एनकाउंटर वाले दिन बाटला हाउस की खबर ने जैसे सभी को हतप्रभ कर के रख दिया था।
लोग घटना को लेकर जितने हैरान थे, उससे भी बढ़कर मोहन चंद शर्मा के बारे में जानने के लिए भी उत्सुक थे। ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसकी जुबां पर मोहन चंद शर्मा का नाम नहीं होगा।
इस एनकाउंटर का किस्सा शुरू होता है 13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में हुए सीरियल बमों के ब्लास्ट से। उन ब्लास्टों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस द्वारा जांच में पाया था कि बम ब्लास्टों को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया था।
इस ब्लास्ट के बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बाटला हाउस के एक फ्लैट में किराए पर मकान लेकर रहते हैं। इसके बाद पुलिस टीम अलर्ट हो गई ओर 19 सितंबर 2008 की सुबह आठ बजे के करीब इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा ने स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल कुमार सिंह को फोन कर बताया कि इंडियन मुजाहिद्दीन का एक आतंकी आतिफ एल-18 मकान में अपने साथियों के साथ रह रहा है ओर उसे पकड़ने के लिए टीम लेकर तत्काल वह बाटला हाउस पहुंच जाए. राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम आदि पुलिसकर्मियों को लेकर निजी वाहन से रवाना हुए उस समय टीम के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा का बेटा उस समय बहुत ही बीमार था परन्तु फिर भी उन्होंने बेटे को अस्पताल में छोड़ा और फौरन बाटला हाउस के लिए रवाना हो गए। लेकिन इस दौरान जैसे ही पुलिस टीम उस मकान तक पहुंची, आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उन्हें तीन गोलियां लग गईं। बाद में इलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
वह 1989 में दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर शामिल हुए थे और अपनी मेहनत के बल पर महज छह साल में ही आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर 1995 में इंस्पेक्टर बन गए थे ओर उन्हें 2009 में भी अशोक चक्र से भी सम्मानित किया गया था। यह मोहन चंद शर्मा का सातवां वीरता पदक है। उन्हें सात बार राष्ट्रपति के पदक से सम्मानित किया जा चुका है। हालांकि इस बार गैलेंटरी अवार्ड के विजेता की बहादुरी के कार्यों का उल्लेख करने वाला उद्धरण अब तक जारी नहीं किया गया है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि मोहन चंद शर्मा को बाटला हाउस मुठभेड़ के लिए या फिर पिछले किसी अन्य वीरता के कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया है