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देहरादून:10 फुट की गली में MDDA के सौजन्य से बनाए गए अवैध कॉन्प्लेक्स की आयोग ने तलब की संपूर्ण पत्रावली तथा आदेशों का पालन ना करने पर दी यथोचित कार्यवाही की चेतावनी

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

सम्पूर्ण मामला इस प्रकार हैं कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के सौजन्य से 10 फिट की गली में कॉम्प्लेक्स के अवैध निर्माण पर मानवाधिकार आयोग की डबल बैंच ने MDDA सचिव को नोटिस भेज जवाब मांगा था क्योंकि 10 फुट की गली में अवैध रूप से एमडीडीए की मिलीभगत से सौजन्य से 4 मंजिले कॉम्प्लेक्स/भवन का निर्माण आखिर कर कैसे दिया गया।
जिला देहरादून के कांवली रोड क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड स्वर्गीय श्री नित्यानंद स्वामी के आवास को जाने वाली सड़क से अगली ट्रांसफार्मर के सामने वाली गली में प्रवीन कुमार अग्रवाल नामक व्यक्ति ने एमडीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से कॉम्प्लेक्स/भवन के अगल-बगल,पीछे बिना सेटबैक छोड़े लगभग 10 फुट की गली में स्टिल-पार्किंग सहित 4 मंजिल कॉम्प्लेक्स/भवन का निर्माण कर दिया हैं और यह भवन/कॉम्पलेक्स शहर के बीचो बीच आबादी में स्थित है ओर अगर कभी कोई आग लगने संबंधी या अन्य कोई दुर्घटना होती हैं तो अगल बगल में रहने वाले लोगों की जान पर बन आएगी।
साथ मुख्यतः बात यह हैं कि ये एक बहुत ही गंभीर मामला हैं क्योंकि लगभग 10 फुट की गली में बिना सेटबैक छोड़े एमडीडीए ने इस 4 मंजिल कॉम्प्लेक्स/भवन का नक्शा कैसे पास कर दिया एमडीडीए के उच्च अधिकारियों को इस अवैध निर्माण के बारें में पता ना हो ऐसा नही हो सकता भवन स्वामी ओर एमडीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध निर्माण कर दिया गया जिस कारण लोगो की जान पर भी बन आ सकती हैं।
इस अत्यन्त ही जनहित राज्यहित के मामलें में मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि जनहित में उपरोक्त मामले में कार्यवाही करने की कृपा करें साथ ही पूरे मामले की रिपोर्ट मंगवाने की कृपा करें कि किन अधिकारियों की मिलीभगत से 10 फुट की गली में 4 मंजिला अवैध कंपलेक्स का निर्माण कर दिया गया।
मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की सुनवाई तत्काल डबल बैंच में की गई ओर जस्टिस अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य राम सिंह मीना द्वारा एमडीडीए सचिव देहरादून को कार्यवाही हेतु निर्देश जारी कर मामलें में अपनी आख्या सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया ।
आयोग के नोटिस का एमडीडीए सचिव द्वारा जवाब ना देने पर आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुनः नोटिस जारी कर चेतावनी दी हैं कि सचिव एम0डी0डी0ए0 देहरादून द्वारा आख्या प्रस्तुत नही की गयी है पुनः शिकायत की प्रति सचिव एम0डी0डी0ए0 देहरादून को भेज दी जाए कि वह चार सप्ताह के अन्दर अवश्य आख्या प्रस्तुत करें आख्या प्रस्तुत न करने की स्थिति में वह किसी वरिष्ठ भिज्ञ अधिकारी को आयोग के समक्ष समस्त प्रपत्रों के साथ उपस्थित करेंगे जिससे उनका सशपथ बयान अंकित किया जा सके तथा सुनवाई हेतु अगली दिनांक 20.05.2021 नियत की गई।

आयोग के एमडीडीए को सशपथ बयान अंकित कराने हेतु नोटिस जारी होते ही दिनांक 31-03-2022 को संयुक्त सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण देहरादून ने आयोग में प्रस्तुत की गई अपनी आख्या में अंकित किया गया कि प्रवीन गुप्ता निवासी कांवली रोड शिवाजी मार्ग द्वारा, द्वितीय व तृतीय तल पर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है, जिसकी कोई स्वीकृति नहीं दिखाई गई है के संबंध में नोटिस जारी कर वाद योजित किया गया है तथा लम्बित हैं।

इस संवाददाता ने एमडीडीए द्वारा दाखिल की गई आख्या के विरोध में अपना प्रत्युत्तर दाखिल करते हुए मानवाधिकार आयोग में प्रार्थना की गई कि संयुक्त सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण देहरादून ने अपनी आख्या में यह नहीं बताया कि आखिर 10 फुट की गली में बनाए गए कॉन्प्लेक्स का मानचित्र कैसे स्वीकृत कर दिया गया तथा किस अधिकारी द्वारा मानचित्र स्वीकृत किया गया और जिस समय कॉम्प्लेक्स का निर्माण हो रहा था एमडीडीए से कौन-कौन से अधिकारी मौके पर गए। इसलिए निवेदन है कि प्रकरण बहुत ही गंभीर है इसलिए जनहित में इस मामलें/कॉम्प्लेक्स से संबंधित संपूर्ण पत्रावली तलब करने की कृपा करें,ताकि यह पता लग सके कि आखिर 10 फुट की गली में मानचित्र कैसे पास कर दिया गया और किस अधिकारी ने किया और कौन-कौन अधिकारी कॉम्प्लेक्स निर्माण के समय मौके पर गए तथा कब-कब नोटिस जारी किए गए, क्योंकि 10 फुट की गली में इस अवैध निर्माण में एमडीडीए के अधिकारियों कर्मचारियों की संपूर्ण मिलीभगत प्रतीत होती है।
आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त सचिव एमडीडीए देहरादून को निर्देशित किया गया कि उपरोक्त मामले में आयोग के उपरोक्त आदेश के अनुपालन में वांछित सूचना/रिपोर्ट दिनांक 20/7/2022 तक उपलब्ध कराई जाए तथा आयोग के उपरोक्त आदेश की अपेक्षानुरूप कार्यवाही न किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोपरान्त यथोचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे।