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उत्तराखंड:बाजारों में बिक रहे मिलावटी जानलेवा हैंड-सैनिटाइजर पर सचिव स्वास्थ्य को कार्यवाही हेतु नोटिस जारी कर मांगा जवाब

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

सम्पूर्ण प्रकरण यह हैं कि स्पेक्स संस्था के राज्य भर में चलाए गए सैनिटाइजर जांच अभियान में 56 फ़ीसदी नमूने फेल पाए गए हैं। संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि आपदा में कैसे कुछ लोगों ने इसे अवसर बना डाला है।

यह कि स्पेक्स ने मई-जून में उत्तराखंड के सभी जिलों में सेनेटाइजर टेस्टिंग अभियान -2021 चलाया जिसमे 1050 नमूने एकत्र किये जिसमे 578 नमूनों में एलकोहॉल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। कोरोना महामारी से बचने का मूल मंत्र भारत सरकार एवम अन्य स्वस्थ सम्बन्धी संस्थाओ ने यही समझाया की दिन में बार-बार एलकोहॉल वाले सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करने से कोरोना जैसे वायरस से बचाव संभव है । इस सुझाव के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ गयी और कुछ लोगो ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सेनेटाइजर बाजार में बेचने शुरू कर दिए । इस प्रक्रिया को समझने के उद्देश्य से स्पेक्स ने अपने साथियो के साथ मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक अध्ययन 3 मई से 5 जुलाई ,2021 तक किया गया । नमूनों में एलकोहॉल परसेंटेज के साथ साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड ,मेथेनॉल और रंगो की गुणवत्ता का परिक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया। यह प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ,भारत सरकार ने प्रदान की थी।

सेनेटाइजर में एलकोहॉल की प्रयाप्त मात्रा नहीं होने के कारण भी उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या शायद बढ़ी हो,कृत्रिम रंग आपकी त्वचा पर जो विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, वे आपकी संवेदनशीलता और जलन के जोखिम को बहुत बढ़ा देते हैं और इन रसायनों को आपके शरीर में अवशोषित होने देते हैं जहां वे और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे आपके छिद्रों को भी अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे मुंहासों का अधिक खतरा होता है।

हाइड्रोजन पेरोक्साइड भी लिपिड प्रति ऑक्सीकरण के माध्यम से एक सीधा साइटोटोक्सिक प्रभाव डाल सकता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड के अंतर्ग्रहण से मतली, उल्टी, रक्तगुल्म और मुंह से झाग के साथ जठरांत्र संबंधी मार्ग में जलन हो सकती है; फोम श्वसन पथ को बाधित कर सकता है या फुफ्फुसीय आकांक्षा में परिणाम कर सकता है।

मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे डर्मेटाइटिस हो सकता है। तीव्र मेथनॉल एक्सपोजर के लक्षणों में सिरदर्द, कमजोरी, उनींदापन, मतली, सांस लेने में कठिनाई, नशे, आंखों में जलन, धुंधली दृष्टि, चेतना की हानि और संभवतः मृत्यु शामिल हो सकती है।

इस संवाददाता द्वारा मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि यह बहुत ही गंभीर ओर स्पष्ट रूप से आमजनता की जनहानि से जुड़ा हुआ मामला है क्योंकि कोरोना बीमारी के कारण लाखों लोगों की असमय मृत्यु हो गयी हैं और आगे भी स्थिति बहुत ही चिंताजनक हैं क्योंकि आमजनता विश्वास कर दुकानों से हैंड सैनिटाइजर खरीद रही है कि इसके प्रयोग से हम सुरक्षित रहेंगे परंतु जब हैंड सैनिटाइजर ही नकली होगा तो लोग कोरोना का शिकार होने से कैसे बचेंगे। उत्तराखंड के बाजारों में बिकने के लिए हैंड-सैनिटाइजरों के ढेर लगे हुए हैं और कुछ पत्थर दिल लोग एक अपने फायदे के लिए आपदा को भी अवसर बनाने से नहीं चूक रहे हैं, इसलिए इस मामले में जनहित न्यायहित में तत्काल राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को कार्यवाही हेतु निर्देशित कर संपूर्ण मामले की रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें क्योंकि सरकार ही आगे कोरोना की तीसरी लहर आने की चिंता जता रही है। इस कारण इन हैंड-सैनिटाइजर के कारण लोग गंभीर बीमारियों और असमय कोरोना का शिकार होने से बच सकें साथ ही प्रकरण बहुत ही गंभीर है इसलिए कार्यवाही के साथ ही न्यायहित में सुनवाई हेतु कोई भी नजदीक की तिथि नियत करने की कृपा करें।

प्रकरण की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा सचिव स्वास्थ्य उत्तराखंड को कार्यवाही हेतु नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया हैं।