टिहरी विस्थापितों के पुनर्वास हेतु मुआवजे के संबंध में स्पष्ट जानकारी न देने पर सूचना आयोग ने दो अलग-अलग अपीलों में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट द्वारा विशेष भूमि अध्यापित कार्यालय एवं अवस्थापना पुर्नवास खंड टिहरी के लोक सूचना अधिकारियों पर ₹40000 का जुर्माना अधिरोपित किया है। आयोग के निर्देश पर लोक सूचना अधिकारी विशेष भूमि अध्यापित कार्यालय टिहरी द्वारा विस्थापितों की मुआवजे के संबंध में अनुरोधकर्ता को एक साल बाद सूचना उपलब्ध कराई गयी। आयोग ने गैर राजपत्रित अधिकारियों को लोक सूचना अधिकारी नामित किए जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए जिला अधिकारी टिहरी को शासन एवं आयोग द्वारा जारी निर्देशों के क्रम में राजपत्रित अधिकारियों को ही लोक सूचना अधिकारी नामित किए जाने के निर्देश दिए हैं। एक अन्य प्रकरण भी आयोग ने अवस्थापना पुनर्वास खण्ड टिहरी के अधिशासी अभियंता को सूचना प्रेषित किए जाने के संबंध में भ्रामक तथ्य प्रस्तुत करने पर चेतावनी जारी करते हुए ₹15000 का अर्थ दंड
अधिरोपित नई टिहरी के बौराड़ी निवासी श्री विजय सिंह परमार द्वारा दिनांक 09.02.2023 को लोक सूचना अधिकारी विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी नई टिहरी टिहरी गढ़वाल से पुरानी टिहरी शहर स्थित वार्ड संख्या 1 से लेकर वार्ड संख्या 6 तक की विस्थापित परिवारों को भुगतान किए गए भूमि के प्रतिकार के संबंध में सूचना चाही गई थी। लोक सूचना अधिकारी विशेष भूमि अध्यापित कार्यालय द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं कराई गयी। सूचना के लिए प्रथम अपील की गई लेकिन लोक सूचना अधिकारी प्रथम अपील में उपस्थित नहीं हुई। राज्य सूचना आयोग में अभिलार्थी की द्वितीय अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट ने अपीलार्थी को स्पष्ट सूचना दिए जाने के निर्देश के साथ मूल पंजिकाओं सहित लोक सूचना अधिकारी को तलब किया। अंतिम सुनवाई में अभिलार्थी को संतोषजनक सूचना उपलब्ध कराते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट ने एक वर्ष तक सूचना न दिए जाने पर ₹25000 का अर्थ दंड आरोपित करते हुए भविष्य में सूचना प्रेषण में कोताही बरतने की चेतावनी दी।
प्रश्नगत प्रकरण में यह भी प्रकाश में आया है कि उपस्थित लोक सूचना अधिकारी राजपत्रित अधिकारी नहीं है। जबकि प्रश्नगत प्रकरण में नामित लोक सूचना अधिकारी, जिलाधिकारी के अन्तर्गत विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी कार्यालय से संबंधित है। उत्तराखण्ड शासन एवं आयोग के स्पष्ट निर्देश है कि विभाग में राजपत्रित अधिकारी ही लोक सूचना अधिकारी नामित होने चाहिए किन्तु उसके बाद भी व्यवस्था सही नहीं बनाई गयी है। अतः जिलाधिकारी, टिहरी को निर्देशित किया जाता है कि उत्तराखण्ड शासन एवं आयोग के निर्देश के क्रम में राजपत्रित को ही लोक सूचना अधिकारी नामित करना सुनिश्चित करें।
एक अन्य प्रकरण में आवेदक सुश्री शिल्पी नेगी को सूचना प्रेषित किये जाले के संबंध में लोक सूचना अधिकारी/अधिशासी अभियंता अवस्थापना पुर्नवास खण्ड टिहरी द्वारा आयोग के समक्ष भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किया गया। आयोग के निर्देश पर लोक सूचना अधिकारी/श्री डी0एस0 नेगी, अवस्थापना पुनर्वास खण्ड, नई टिहरी कार्यालय की डिस्पैच पंजिका एवं स्पष्टीकरण के साथ सुनवाई में उपस्थित हुए। डिस्पैच पंजिका के अवलोकन से स्पष्ट है अपीलार्थी को साधारण डाक से सूचना प्रेषित किए जाने का विवरण आयोग के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के उद्देश्य से बाद में दर्ज किया गया है। पंजिका के अवलोकन से कूटरचित साक्ष्य प्रस्तुत कर आयोग को गुमराह किये जाने की पुष्टि हुई। सुनवाई के दौरान डिस्पैच पंजिका में की गयी कूटरचना पर लोक सूचना अधिकारी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाये। प्रकरण पर योजनाबद्ध तरीके से अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ कर आयोग के समक्ष कूटरचित साक्ष्य प्रस्तुत करने पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट द्वारा धीरेन्द्र सिंह नेगी लोक सूचना अधिकारी, अवस्थापना पुनर्वास खण्ड नई टिहरी पर संतोषजनक न पाते हुए आयोग ने ₹15000 (पन्द्रह हज़ार रूपये) की शास्ति अधिरोपित की गयी। लोक सूचना अधिकारी को धारा 20(2) के अंतर्गत प्रेषित नोटिस इस चेतावनी के साथ वापस लिया जाता है कि भविष्य में साक्ष्यों की कूटरचना किये जाने अथवा आयोग को गुमराह किये जाने पर अधिनियम के अनुसार कार्यवाही संस्तुत की जाएगी।