छह दिन में दो पश्चिमी विक्षोभ आने से हुई वर्षा, मध्य व उच्च हिमालय में हिमपात के बाद मौसम के तेवर नरम पड़े हैं। इससे बढ़ते तापमान पर अंकुश लगा है।
पर्वतीय क्षेत्रों पर अब भी गरम कपड़े नहीं उतरे हैं। यह राहत होली के आसपास तक जारी रह सकती है। गर्मी बढ़ने का सिलसिला 20 मार्च के बाद शुरू होगा। मौसम का पिछले 10 वर्षों का ट्रेंड भी यही बताता है।
25 से 31 मार्च के बीच ही रहता है सर्वाधिक तापमान
कुमाऊं का तराई क्षेत्र हो या फिर पर्वतीय भूभाग। मार्च में सर्वाधिक तापमान अंतिम सप्ताह में रिकार्ड हुआ है। पंतनगर में 25 से लेकर 31 मार्च के बीच तापमान सर्वाधिक रहता है। 2014 के बाद सर्वाधिक 36.9 डिग्री तापमान 30 मार्च 2017 को रहा था।
दूसरी ओर मुक्तेश्वर में 2023 के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो यहां भी 25 से 31 मार्च के बीच ही सर्वाधिक तापमान रहता है। 2017 में 31 मार्च का तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था। इस समय पर्वतीय क्षेत्र में 20 डिग्री व मैदानी क्षेत्र में 28 डिग्री के आसपास पहुंच रहा है।
न्यूनतम तापमान पर्वतीय क्षेत्र में छह डिग्री व मैदान में 13 डिग्री है। इस बार एक के बाद एक दो पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय में पहुंचे हैं। पहला विक्षोभ 27 मार्च को सक्रिय हुआ था। 27 व 28 फरवरी को कुमाऊं समेत प्रदेश के अधिकांश जिलों में मध्यम वर्षा देखने को मिली।
दूसरा विक्षोभ तीन मार्च को हुआ था सक्रिय
पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी जिलों में 2500 मीटर से ऊंचाई वाली चोटियां बर्फ से लकदक हो गई। दूसरा विक्षोभ तीन मार्च को सक्रिय हुआ। सोमवार रात कुमाऊं के अनेक स्थानों पर छिटपुट वर्षा हुई। 3500 मीटर से ऊंचाई वाली चोटियों पर बर्फ गिरी है। मंगलवार दिनभर बादल छाए रहे।
पिछले 10 वर्षों में मार्च के तापमान का अधिकतम स्तर
वर्ष |
तिथि |
तापमान |
2024 |
30 |
35.8 |
2023 |
30 |
32.4 |
2022 |
31 |
35.6 |
2021 |
30 |
35.8 |
2020 |
25 |
31.3 |
2019 |
31 |
35.4 |
2018 |
28 |
34.8 |
2017 |
30 |
36.9 |
2016 |
31 |
34.5 |
2015 |
25 |
33.8 |