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इसरो की चेतावनी की अनदेखी करने पर वर्षाकाल में भूस्खलन के कारण रुद्रप्रयाग टिहरी में जानमाल का हुआ भारी नुकसान,सचिव आपदा को अब करनी पड़ेगी कार्यवाही

उत्तराखंड:भूस्खलन पर इसरो ने आगाह किया था इसरो की फरवरी में जारी लैंडस्लाइड रिपोर्ट में उत्तराखंड के जिले सर्वाधिक संवेदनशील है और रुद्रप्रयाग देश में शीर्ष पर है परंतु इसरो की ओर से रिपोर्ट जारी कर आगाह किए जाने के बावजूद उत्तराखंड में संवेदनशील क्षेत्रों में कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए गए,इसी का नतीजा है कि इस वर्षाकाल में रुद्रप्रयाग और टिहरी में भूस्खलन के कारण जान-माल का खासा नुकसान हुआ  

इस संवाददाता ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया कि भूस्खलन पर इसरो ने आगाह किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले उत्तराखंड में भूस्खलन की संभावनाएं सर्वाधिक है। इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) ने भी इस बात पर मुहर लगाई है कि देश में उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला सर्वाधिक संवेदनशील है, जबकि टिहरी जिला दूसरे स्थान पर है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से फरवरी में जारी रिपोर्ट में यह सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि इसरो की ओर से रिपोर्ट जारी कर आगाह किए जाने के बावजूद उत्तराखंड में संवेदनशील क्षेत्रों में कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए गए। इसी का नतीजा है कि इस वर्षाकाल में रुद्रप्रयाग और टिहरी में भूस्खलन के कारण जान-माल का खासा नुकसान हुआ है।

यह कि इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने फरवरी-2023 में भूस्खलन एटलस आफ इंडिया में देश के 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों का भूस्खलन जोखिम को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें वर्ष 1998 और 2022 के बीच देश में हुए 80 हजार से ज्यादा भूस्खलनों का डेटाबेस बनाने के लिए इसरो के उपग्रहों से प्राप्त डाटा का उपयोग किया गया। 

इसके अलावा भौगोलिक परिस्थितियों और भूगर्भीय स्थिति की जानकारी भी जुटाई गई। जिसके आधार पर उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग देशभर में पहले और टिहरी दूसरे स्थान पर है। इन दोनों जिलों में भूस्खलन का सबसे अधिक जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।

रुद्रप्रयाग में 32 पुराने भूस्खलन क्षेत्र हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के सभी 13 जिले भूस्खलन जोखिम वाली रिपोर्ट में शामिल हैं। दुर्भाग्यवश इसरो की इस रिपेर्ट का कोई संज्ञान नहीं लिया गया। न तो वर्षकाल से पहले भूस्खलन जोन पर बचाव कार्य या पहाड़ियों का ट्रीटमेंट किया गया और न ही अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बरती गई। ऐसे में इसी माह रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड में भूस्खलन के कारण बड़ा हादसा हुआ और कई व्यक्तियों की जान चली गई। इसके अलावा टिहरी में भी चंबा और अन्य क्षेत्रों में जान-माल का नुकसान हुआ।

उपरोक्त शिकायत का विषय स्पष्ट रूप से आमजनता की जानमाल की हानि से जुड़ा हुआ है इसलिये जनहित राज्यहित में तत्काल रिपोर्ट तलब कर कार्यवाही करने की कृपा करें। आदेश:-

 

आयोग द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किए गए कि शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी ने भूस्खलन पर इसरो द्वारा उत्तराखण्ड में सर्वाधिक संवेदनशील जनपदों के बारे में आगाह करने के उपरान्त भी ऐतिहासिक कदम ना उठाने जिसकी वजह से वर्षा काल में रूद्रप्रयाग व टिहरी में भूस्खलन से जानमाल का खासा नुकशान होने, रूद्रप्रयाग के गौरीकुण्ड में भूस्खलन के कारण बडा हादसा होने जिससे कई व्यक्तियों की जान जाने तथा टिहरी के चंबा और अन्य क्षेत्रों में जानमाल का नुकसान होने के सम्बन्ध में शिकायती पत्र प्रेषित किया गया है।

न्याय हित में शिकायत की प्रति सचिव, आपदा प्रबन्धन, उत्तराखण्ड शासन, देहरादून को भेज दी जाए कि वह विधि अनुसार उचित कार्यवाही करेगें।