कोलकाता। वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के कई जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा को रोकने के लिए बंगाल सरकार द्वारा उठाए गए कदम अपर्याप्त हैं। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यह भी कहा कि प्रदेश के कुछ जिलों में हुई तोड़फोड़ की खबरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रहेंगे निर्देश
कोर्ट ने मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह निर्देश सिर्फ मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रहेगा। जरूरत पड़ने पर इसे अन्य जिलों तक बढ़ाया जाना चाहिए और स्थिति को नियंत्रित करने और सामान्य बनाने के लिए तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती की जा सकती है।
रिपोर्टों को नजरअंदाज नहीं कर सकते
न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हम विभिन्न रिपोर्टों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं, जो प्रथम दृष्टया पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में तोड़फोड़ दिखाती हैं। अदालत ने 17 अप्रैल तक जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती का आदेश दिया।
पहले होती तैनाती तो इतनी गंभीर नहीं होती स्थिति
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की विशेष खंडपीठ ने आगे कहा कि अगर सीएपीएफ की तैनाती पहले की गई होती तो स्थिति इतनी गंभीर और अस्थिर नहीं होती। केंद्रीय सशस्त्र बलों की पहले तैनाती से स्थिति में सुधार हो सकता था, क्योंकि ऐसा लगता है कि समय रहते पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
दोषियों पर तुरंत कार्रवाई हो
अदालत ने स्पष्ट किया है कि सीएपीएफ की तैनाती केवल राज्य प्रशासन को लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करने के उद्देश्य से की गई है। हाई कोर्ट ने कहा कि निर्दोष नागरिकों पर किए गए अत्याचारों को युद्ध स्तर पर रोकने के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तुरंत आवश्यकता है।
नागरिकों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य
आदेश में खंडपीठ ने कहा कि संवैधानिक न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकते और जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो तो तकनीकी बचाव में खुद को उलझा नहीं सकते। अदालत का कर्तव्य नागरिकों की रक्षा करना है। नागरिक को जीवन का अधिकार है और यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक का जीवन और संपत्ति सुरक्षित रहे।