संगम नगरी में बेतिया राज की तरह सौ से ज्यादा राजघरानों की संपत्तियों पर अवैध कब्जा हो गया है। ढाई सौ से अधिक राजा-महाराजाओं ने यहाँ महल और कोठियाँ बनवाई थीं। कई रियासतों के वारिस न होने से उनकी संपत्तियों पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है। राजस्व विभाग के अनुसार लगभग 110 राज परिवारों की संपत्तियों पर मुकदमे चल रहे हैं।
युगों-युगों से धर्म-अध्यात्म का प्रमुख केंद्र संगम नगरी सनातन धर्मावलंबियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। इस धर्म धरा पर सनातन का परचम लहराने में देश के राजा-महाराजाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज परिवार भी यहां यज्ञ के साथ ही जप-तप को आते थे।
देश के ढाई सौ से ज्यादा राजघरानों के यहां पर महल, कोठियां और अहाते इसलिए बने थे कि कुंभ और महाकुंभ में वह प्रवास कर सकें। मौजूदा समय में बेतिया राज की तरह ही सौ से ज्यादा राजघरानों की संपत्तियों पर कब्जा है।
मुट्ठीगंज, रामबाग, गऊघाट, बलुआघाट, चौक, जानसेनगंज, खुल्दाबाद, अतरसुइया, कैंट, मीरापुर, दारागंज, शिवकुटी, तेलियरगंज, बघाड़ा, राजापुर, कीडगंज, बैरहना, अलोपीबाग, एलनगंज, कर्नलगंज, चर्चलेन, टैगोर टाउन, झूंसी, नैनी क्षेत्र में भी देश की बड़ी-बड़ी रियासतों की संपत्तियां राजस्व अभिलेखों में पाई गई हैं। उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, ओडिसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, तेलांगाना, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लगभग ढाई सौ राजघरानों की प्रयागराज में संपत्तियां हैं।
काशी नरेश और नेपाल नरेश तथा महाराजा रीवा और महाराजा ग्वालियर की भी संपत्ति यहां है। इसमें कई रियासतों की संपत्तियों पर अवैध कब्जा है, जिसमें कई राजघरानों के वारिस ही नहीं है जिसके कारण उनकी संपत्तियों पर दशकों से कब्जा है। राजस्व विभाग के मुताबिक लगभग 110 राज परिवारों की संपत्तियों पर अवैध कब्जे के मुकदमे न्यायालयों में चल रहे हैं।
बिहार के बेतिया राज की संपत्तियों के सर्वे का कार्य अब तेज होगा। इसके लिए बुधवार से बिहार राजस्व परिषद के अफसरों का डेरा प्रयागराज में होगा। उनका कार्यालय कटरा में खुल चुका है। साथ ही अधिकारियों की यहां तैनाती भी चुकी है। बिहार राजस्व परिषद के राजस्व अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि बुधवार से सर्वे का कार्य तेजी से कराया जाएगा।
भारतीय स्टेट बैंक की त्रिवेणी शाखा में रखी बिहार के बेतिया राज की महारानी जानकी कुंवर की तिजोरी को खोलवाने के लिए बिहार राजस्व परिषद के अधिकारी अब कोशिश करेंगे। इसकी चाबी का पता नहीं चलने से ताला तोड़ने पर विचार हो रहा है। लगभग 85 वर्ष पहले 1939 में रियासत के प्रबंधन ने यह तिजोरी बैंक के लाकर में रखवाई गई थी। तिजोरी में ऐतिहासिक दस्तावेजों के अलावा 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के हीरे-मोती और सोने के जेवरात भी हैं।