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अयोध्या की भांति हरिद्वार-ऋषिकेश का एकीकृत विकास

देहरादून। उत्तराखंड के धार्मिक और आध्यात्मिक नगरों हरिद्वार और ऋषिकेश को अब अयोध्या की भांति एकीकृत ढंग से विकसित किया जाएगा। धार्मिक स्थल क्षेत्र के साथ ही इन नगरों में अवस्थापना ढांचे को भी सुव्यवस्थित किया जाएगा।

पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कारीडोर के लिए पहले गठित की गई स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) को निरस्त कर यह कार्य अब उत्तराखंड इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड (यूआइआइडीबी) को सौंपने का निर्णय लिया।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में हल्द्वानी के गौलापार व आसपास के क्षेत्रों में नियोजित तरीके से विकसित करने के लिए फ्रीज जोन घोषित किया गया है। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में मास्टर प्लान लागू होने तक निर्माण कार्य प्रतिबंधित किए गए हैं।

मंत्रिमंडल की बैठक

सचिवालय में गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हरिद्वार, ऋषिकेश और हल्द्वानी शहरों को सुव्यवस्थित कर सुंदर स्वरूप देने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कारीडोर परियोजना का विकास अयोध्या की भांति किया जाएगा। गत नौ जनवरी को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यूआइआइडीबी की बोर्ड बैठक में इस परियोजना से संबंधित कार्य बोर्ड से संचालित करने का निर्णय लिया गया है।

मंत्रिमंडल ने इस निर्णय पर अपनी स्वीकृति दी है। साथ ही आवास विभाग के अंतर्गत परियोजना के लिए गठित एसपीवी को निरस्त करने पर मुहर लगा दी गई। एसपीवी के रूप में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में हरिद्वार ऋषिकेश रीडेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड गठित की गई थी।

पुनर्विकास परियोजना क्षेत्र में क्या-क्या शामिल?

पुनर्विकास परियोजना क्षेत्र में हरिद्वार में देवीपुरा से भूपतवाला (दूधाधारी चौक), हरकी पैड़ी से डेढ़ किमी परिधि का क्षेत्र, कनखल क्षेत्र (दक्ष मंदिर व संन्यास रोड), भूपतवाला से सप्तऋषि आश्रम (भारत माता मंदिर क्षेत्र) के क्षेत्र सम्मिलित किए गए हैं। ऋषिकेश में तपोवन का संपूर्ण क्षेत्र, रेलवे स्टेशन के पास कोर क्षेत्र, आइएसबीटी व त्रिवेणी घाट के पास के क्षेत्रों को लिया गया है।

मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र की तिथियां निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री धामी को किया अधिकृत किया है। कैबिनेट ने प्रदेश के नौ में से सात छावनी परिषदों के नागरिक क्षेत्रों को हटाकर निकटस्थ नगर निकायों में सम्मिलित करने को सैद्धांतिक स्वीकृति दी है।