विशेष

भूपेंद्र कंडारी के नेतृत्व में पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल डीजीपी से मिला,पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमा होगा निरस्त

पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमा निरस्त होगा: डीजीपी

– उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के ने दिया पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को ज्ञापन

– पुलिस की कार्यवाही की कडे़ शब्दों में भर्त्सना करते हुए मुकदमा वापस लेने की मांग की

देहरादून। पुलिस महानिदेशक डीजीपी उत्तराखंड अभिनव कुमार ने कहा कि पत्रकार मनमीन रावत के खिलाफ उत्तरकाशी जो मुकदमा दर्ज किया गया है उसमें पत्रकार हितों को ध्यान में रखते हुए मुकदमें के निस्तारण की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा पत्रकार की मंशा समाचार को जनहित में प्रकाशित करने की थी और मनमनीत के खिलाफ गलतफहमी के तहत जो मुकदमा दर्ज हो गया है उसमें पत्रकार को किसी तरह की हानि पंहुचाये बिना मामले का निस्तारण किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि पत्रकार मनमीत रावत के खिलाफ उत्तरकाशी कोतवाली मंे धारा 155 और 505 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया हैं। उत्तराखंड पत्रकार यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी के नेतृत्व में पुलिस की इस कार्यवाही की घोर भर्त्सना करते हुए गुरूवार को पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार से मिला और समस्त पत्रकारों की तरफ से अपना विरोध दर्ज किया। प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस की कार्यवाही का विरोध करते हुए कहा कि पत्रकार के खिलाफ जो धारायें लगाई गई हैं वह संबंधित धारायें उस व्यक्ति पर लगाई जाती है, जिसने धार्मिक भावनायें आहात की हों। पत्रकार मनमीत ने चारधाम यात्रा के संबंध में और खासकर यमनोत्री में फैली अव्यवस्थाओं पर को लेकर अपने समाचार प्रकाशित किया था जिसमें दस लोगों की मौत पर सवाल उठाये गये थें। यह समाचार 15 मई 2024 को दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित था। उसी दिन गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने एक पत्रकार वार्ता में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुये कहा था कि चारधाम में मौतें दस नहीं, बल्कि 11 हुई है। ऐसे में ये आश्चर्य का विषय है कि जब सरकार खुद ही मान रही है कि मौतों का आकंड़ा दस से ज्यादा है तो फिर समाचार को भ्रामक और धार्मिक भावनाओं को भड़काने से संबंधित कैसे माना जा सकता है।

प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि यह समाचार केवल एक अखबार में नहीं बल्कि सभी राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुआ तो अकेले मनमीन के खिलाफ ही मुकदमा क्यों दर्ज किया गया। जबकि नियम के तहत मुकदमा दर्ज करने से पहले नोटिस भेजकर संबंधित पत्रकार का पक्ष जानना चाहिए और अगर समाचार गलत है तो उसका खंडन करने के लिए कहा जाना चाहिए। उसके बाद कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जा सकती थी। जबकि इस मामले में सारे नियमों को ध्वस्त कर सीधे पत्रकार के खिलाफ ऐसे मुकदमा दर्ज कराया गया है, मानो उससे कोई निजी दुश्मनी हो।

प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि चारों धामों में अव्यवस्था फैली हुई है। जिसका मुख्य कारण है अत्याधिक श्रद्धालुओं का धामों में पहुंचना। उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से तमाम रणनीतियां ध्वस्त हुई है और निश्चत तौर पर पुलिस और अन्य उत्तरदायी संस्थायें बहुत सारी नई कवायदें कर भी रही होंगी। लेकिन जिस प्रकार एक पत्रकार पर इन अव्यवस्थाओं की खीझ उतारी गई है, वो बिल्कुल भी उचित नही है। पत्रकार का मूल काम है, जो है उसे वैसे ही लिखना। प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन प्रेषित किया जिसमें पत्रकार के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमें को वापस लेने और भविष्य में किसी भी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले उस मामले की जांच-पड़ताल कराये जाने और फिर कानूनी कार्यवाही अमल में लाने की मांग की है। 

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पत्रकार और पुलिस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। चारधाम में अत्याधिक यात्रियों के आ जाने से स्थानीय प्रशासन पर भारी दबाव बना हुआ है। पुलिस ने जानबूझकर पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया । उन्होंने कहा कि पत्रकार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी और जितने जल्दी हो सके वह इस मामले में जांच-पड़ताल के उपरांत मामले का निस्तारण करेंगें और प्रयास करेंगें कि भविष्य में इस तरह से कोई दूसरी घटना न दोहराई जाय।