भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
देहरादून: देहरादून में चाय बागान की जमीन की अवैध रूप खरीद फरोख्त को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चाय बागान की भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगाई है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार, कमिश्नर गढ़वाल और डीएम देहरादून को 11 सितंबर तक विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई अब 12 सितंबर को होनी हैं ।
बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई थी । देहरादून के विकेश सिंह नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सरकार में निहित जमीन को खुर्द बुर्द करने का आरोप लगाया है।
वहीं जनहित याचिका में कहा गया है कि राजा चंद्र बहादुर सिंह की जमीन जो सरप्लस लैंड है, उसको 1960 में सरकार में निहित करा जाना था, लेकिन लाडपुर, नथनपुर और रायपुर समेत अन्य जमीन को भूमाफिया द्वारा बेचा जा रहा है। याचिका में कहा गया कि करीब 350 बीघा जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगाई जाए, ये जमीन सरकार तत्काल अपने कब्जे में ले और जमीन खरीदने और बेचने वालों पर कार्रवाई की जाए।
देहरादून के रिंग रोड पर सूचना भवन के आसपास की जमीन पर कई बोर्ड लगे हैं कि यह संपत्ति संतोष अग्रवाल की है। जबकि इस भूमि को लेकर 1974 में ही विवाद था और इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सीलिंग से बचने के लिए इस जमीन पर चाय बागान लगाने की कोशिश की गयी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दस अक्टूबर के बाद इस भूमि की कोई सेलडीड बनती है तो यह जमीन सरकार की मान ली जाएगी।
उपरोक्त प्रकरण में अपर कलेक्टर देहरादून डॉक्टर शिव कुमार बरनवाल ने मृतक कुमारी पदमा कुमारी के वारिसानों कुमुद वैद्य पत्नी दीपक वैद्य एवं कमल प्रसाद पुत्र कर्नल कांता प्रसाद निवासी जिला देहरादून को नोटिस जारी किया है कि आपने उत्तर प्रदेश जोत सीमा रोपण अधिनियम 1960 की धारा-6(2) का उल्लंघन कर बिना उत्तराखंड शासन की पूर्व अनुमति के बिना नोटिस के साथ संलग्न सूची के अनुसार ग्राम रायपुर, चकरायपुर, लाडपुर, नत्थनपुर परगना परवादून तहसील व जिला देहरादून का क्रय-विक्रय किया है जो विक्रय के दिनांक से ही शून्य है और धारा 6(2) के अंतर्गत 10 अक्टूबर 1975 से अतिरिक्त भूमि घोषित समझी गई क्योंकि क्रय-विक्रय से पूर्व यह भूमि चाय बगीचे का भाग थी और भूमि सभी भार बंधनों से मुक्त होकर राज्य सरकार में निधित हो चुकी है। उक्त भूमि का कब्जा तुरंत राज्य सरकार को दिलाया जाना है।
एतदद्वारा आपको सूचित किया जाता है कि आप दिनांक 25-7-2022 को स्वयं या किसी अधिकृत अधिवक्ता के द्वारा इस न्यायालय में उपस्थित होकर राज्य सरकार की पूर्व अनुमति बिना क्रय-विक्रय करने के संबंध में अपना लिखित स्पष्टीकरण दें कि क्यूँ ना विवादित भूमि का आधिपत्य धारा 6(3) के अंतर्गत बलपूर्वक राज्य सरकार द्वारा प्राप्त कर लिया जाए।