नौ साल तक नहीं की कोई कार्रवाई
गोल्फ कोर्स और क्रिकेट स्टेडियम समेत कुल चार प्रोजेक्ट दिया गया लेकिन बिल्डरों ने कोई विकास कार्य नहीं किया। किस्तें नोएडा अथॉरिटी को जमा नहीं की गई। राज्य सरकार व प्राधिकरण को घोटाले की जानकारी के बावजूद नौ साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई। नोएडा, सरकार व खरीदारों को भारी नुकसान हुआ। 2011 से 2020 तक मिलीभगत से घपला किया जाता रहा। जब सीएजी रिपोर्ट में स्पोर्ट्स सिटी घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो सरकार हरकत में आई।
नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चार बिल्डरों को भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका क्षेत्रफल करीब 32 लाख 30 हजार 500 वर्ग मीटर है। जमीन आवंटन के समय नोएडा प्राधिकरण ने शर्त यह रही थी कि 70 प्रतिशत जमीन पर खेल सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके अलावा 28 प्रतिशत जमीन आवासीय और दो प्रतिशत व्यावसायिक उपयोग में लाई जा सकेगी। शुरुआत में चार भूखंड जिन चार बिल्डर ग्रुप को आवंटित हुए थे। इनमें थ्रीसी, लाजिक्स, जनाडू और एटीएस को यह भूखंड का आवंटन हुआ। इन्होंने सब डिवीजन कर इनको अलग-अलग बिल्डरों को 84 टुकड़ों में बेच दिया। इसमें 74 सब-डिवीजन को प्राधिकरण ने मंजूरी दी है।
प्राधिकरण ने 46 ग्रुप हाउसिंग के नक्शे भी पास किए। बिल्डरों ने समय पर बकाया नहीं जमा किया। प्राधिकरण का इस सभी पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया।