भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
उत्तराखंड में इसी वर्ष 2021 में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर पदक दिलाने के नाम पर पुलिसकर्मी द्वारा पैसे की मांग कर पदकों का सौदा करना, यह अत्यंत ही गंभीर मामला हैं क्योंकि पदक की संस्तुति पैसे मांगने वाले पुलिसकर्मी ने तो करनी नही इसलिये इस मामले में अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध हैं ।
समस्त मामला इस प्रकार हैं कि उत्तराखंड में स्वतंत्रता दिवस पर पदक दिलाने के नाम पर एक पुलिसकर्मी पैसे की मांग कर रहा था, मामला जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में भी आया ओर संज्ञान में आते ही डीजीपी ने एसडीआरएफ के पुलिसकर्मी को तत्काल सस्पेंड कर दिया ।
वायरल ऑडियो में एक पुलिसकर्मी दूसरे से कह रहा हैं कि अगर कुछ खर्चा पानी हो जाए तो उसे पदक दिला सकता है, ओर ख़र्चा पानी का तो मतलब पदक के बदले पैसे की डिमांड , जांच के बाद पता चला कि यह सिपाही एसडीआरएफ का बाबू प्रमोद कुमार है।
यह जो सिपाही पदक दिलवाने के बदले पैसे की मांग कर रहा है फोन पर जिससे बात कर रहा हैं उसको इंस्पेक्टर साहब से संबोधन कर नमस्ते कर रहा हैं ओर जिस इंस्पेक्टर से बात हो रही हैं वह किसी डूंगर सिंह के लिए कह रहा हैं कि इसे तो पदक देना ही देना हैं ओर उधर से पुलिसकर्मी कह रहा हैं कि मैडम तो हटाने के लिये बोल रही हैं।
आखिर सवाल यह है कि पैसे की मांग करने वाले इस पुलिसकर्मी के भी तो कोई आका होंगें जिनके दम पर ये पदक दिलवाने की सिफारिश करेगा। यह अत्यंत ही गंभीर मामला हैं क्योंकि पदक की संस्तुति पैसे मांगने वाले पुलिसकर्मी ने तो करनी नही इसलिये इस मामले में अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध हैं ओर इस अत्यंत ही गंभीर प्रकरण जो हमारे देश से भी जुड़ा हुआ हैं,परंतु इस मामले में मात्र एक पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया गया हैं जबकि इस मामले में अधिकारियों की भूमिका भी स्पष्ट रूप से संदिग्ध हैं इसलिये पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि पदक की संस्तुति पैसे मांगने वाले पुलिसकर्मी ने तो करनी नही संस्तुति तो अधिकारियों ने ही करनी हैं।
साथ ही यह तो एक ही मामला सामने आया है पता नहीं इस तरह के और कितने ही प्रकरण होंगे इसलिए इस वर्ष जितने भी अधिकारियों कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस पर पदक दिए गए हैं। इसकी राष्ट्रहित राज्यहित जनहित में जांच होनी चाहिए के क्या-क्या कार्य करने पर अधिकारियों कर्मचारियों को पदकों से नवाजा गया है क्योंकि पैसे देकर कोई भी अयोग्य पात्र जिसने राष्ट्रहित राज्यहित में कोई कार्य ना किया हो वह भी पदक प्राप्त कर रहा होगा और योग्य पात्र जो होगा वो ताकता ही रहेगा।
इस संवाददाता ने इस अत्यंत ही गंभीर संवेदनशील प्रकरण जो स्पष्ट रूप से हमारे देश और राज्य से जुड़ा हुआ हैं में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया है कि मामला बहुत ही गंभीर हैं क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पदक दिलाने के नाम पर पैसों की मांग की जा रही है, पदक बेचे जा रहे हैं जिस कारण अयोग्य व्यक्ति तो पैसे देकर पदक प्राप्त कर लेगा और पदक हेतु योग्य व्यक्ति जो योग्य होते हुए भी पदक से वंचित हो रहे होंगे यह उनके मानव-अधिकारों का खुलेआम स्पष्ट रूप से उल्लंघन है इसलिए राष्ट्रहित राज्यहित जनहित न्यायहित में प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच के आदेश कर कार्यवाही करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रकरण की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा शिकायत पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया हैं।